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लड़कियों को नहीं है इंटरनेट की आजादी,सामाजिक बंधन में जकड़ी महिलाएं

things-women-hide_1460009410गांव ही नहीं बल्कि शहरों में भी लड़कियां सामाजिक बंधन में जकड़ी हुई हैं। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यांवयन मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस यानी एनएसएसओ के सर्वेक्षण के मुताबिक  कम्प्यूटर, इंटरनेट और ई मेल के इस्तेमाल में युवतियां पुरुष के मुकाबले काफी पीछे है।

विशेषज्ञ मानते है कि गांव हो या शहर अभी भी समाज की सोच नहीं बदल रही है। लड़कों के लिए ज्यादा संभावनाए हैँ। इसलिए लड़कियां पीछे है। जानकार मानते है कि सोशल मीडिया इस्तेमाल करने में लड़कियों को इतनी आजादी नहीं है। उन पर लड़कों के मुकाबले ज्यादा रोक टोक लगाई जाती है।

 एनएसएसओ 2015 का सर्वे कहता है कि गांवों और शहरों में कम्प्यूटर और इस्तेमाल करने को लेकर काफी अंतर है। गांवों में बेहद कम लोगों की कम्प्यूटर और इंटरनेट तक पहुंच है। मगर गांव और शहरों में एक चीज में समानता है कि वहां लड़कियां लड़कों के मुकाबले काफी पीछे है।

देश के ग्रामीण और शहरों में मिलाकर प्रति एक हजार में से सिर्फ 137 परिवारों में ही कम्प्यूटर की सुविधा है। वहीं इंटरनेट की सुविधा सिर्फ प्रति एक हजार परिवारों में से सिर्फ 267 परिवारों तक ही इंटरनेट की पहुंच है।

बिहार, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, झारखंड, उड़ीसा, त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ में सबसे कम्प्यूर और इंटरनेट की पहुंच बहुत कम परिवारों में है। शिक्षविद्व प्रोफेसर इम्तियाज अहमद शहरों में कम्प्यूटर और इंटरनेट में महिलाओं के पिछड़ेपन को बहुत दुखद मानते है।

उनका मानना है कि शहरों में मध्यम वर्ग में लड़कियां पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं है। उनको स्कूल और कॉलेजों में भेजा तो जाता है। मगर उन पर रोक टोक और एक नियंत्रण अभिभावकों की ओर से है।

इसी वजह से शहरों में लड़कों के मुकाबले उनकी संख्या कम है। उच्च वर्ग में लड़कियां स्वतंत्र हो सकती है। मगर निमभन और मध्यम वर्ग में अभी लड़कियों को लड़कों के मुकाबले कम छूट मिलती हैं।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर रामकिशोर शास्त्री कहते है कि गांव और शहरों में सामाजिक संस्कार की वजह से कम्प्यूटर और इंटरनेट में लड़कियों की पहुंच कम हो सकती है।

शास्त्री कहते है कि वे खुद विश्वविद्यालय में देखते है कि लड़कियां भी स्वत: फेसबुक और व्हाट्सऐप से बचना चाहती है। खासकर पढ़ने में अच्छी लड़कियां भी परहेज करती है। शास्त्री मानते है कि कैरियर को लेकर बहुत कम लड़कियां जागरूक है।

ज्यादातर लड़कियां अपने मां बाप की इच्छा पर पढ़ रही है। 12वीं या फिर ग्रेजुएट होने के बाद पढ़ाई छोड़ कर शादी कर लेती है। इन सब वजहों से भी कम्प्यूटर और इंटरनेट में महिलाए लड़कों से पीछे हो सकती है। वहीं प्रोफेसर इम्तियाज कहते है कि डिजिटल इंडिया की बात करने से पहले महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है। 

 

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