उत्तर प्रदेशराज्य

लड़की ने लिखी मार्मिक चिट्ठी, शर्मनाक बातें आई सामने

girls-home-56d3d77db29f5_exlstमंत्री महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं राजकीय बालगृह बालिका मोतीनगर संस्था में हूं। यहां के हालात बिल्कुल ठीक नहीं। बच्चों को गालियां देना, डराना और धमकाना आम है।

यहां की स्टाफ शिखा और जेबा बच्चों की झूठी शिकायतें अधीक्षिका रुपिंदर कौर से करती हैं। होली-दीवाली जैसे त्यौहारों पर लोग जो सामान दे जाते हैं, उसमें से हमें थोड़ा ही मिलता है।

बाकी सामान अधीक्षिका और स्टाफ रख लेते हैं। पिछली दिवाली लावा आया था, जिसमें कीड़ा लगा था। उसे किसी ने नहीं रखा। बड़े बच्चों ने खाने से मना किया तो छोटे बच्चों को जबरन खिलाया गया।

बड़ी लड़कियों ने जब कहा कि यह खाने से बच्चे बीमार पड़ जाएंगे तो, उन्हें डरा कर चुप करा दिया गया।� सुबह बच्चों के लिए आने वाले दूध में से दो पैकेट अधीक्षिका अपने लिए निकलवा लेती हैं।

कई बार दाल में फिनाइल की बदबू आती है, शिकायत करो तो डांट कर चुप करा दिया जाता है। एक बालिका पूनम ने इसका विरोध किया और निरीक्षण के समय शिकायत करने की धमकी दी तो उसे कहीं और भिजवा दिया गया।

सरकार की ओर से आने वाले अच्छी क्वालिटी के चावल को बदल कर घटिया चावल परोसा जाता है, उसमें भी अक्सर कीड़े निकलते हैं।

करीब 70 लोगों का खाना, जिस बर्तन में बनता है, उन्हें छोटी बच्चियों से साफ कराया जाता है। सफाई करवाई जाती है। बच्चे काम में ही व्यस्त रहते हैं, पढ़ नहीं पाते। लगातार फेल होने की यही वजह है।

12-13 साल के बच्चे भी कक्षा दो में ही पढ़ रहे हैं। स्कूल में बच्चों का नाम नहीं लिखवाया जा रहा। शैंपू मिलता है न साबुन। निरीक्षण की सूचना आने पर सभी बच्चों को काम पर लगा दिया जाता है।

यदि कोई बालिका मुंह खोलती है तो उसे जमकर डांट पड़ती है। अधीक्षिका कहती हैं कि कोई भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। आपसे निवेदन है कि किसी तरह किसी तरह अधीक्षिका और यहां के स्टाफ को बदल दीजिए। वह यहां रहते हुए पढ़ने और आगे बढ़ने नहीं देंगी। प्लीज, हम बच्चों की मदद कीजिए।

यह शोचनीय है कि एक तरफ सरकार हालात और समाज से परेशान बालिकाओं के� सुरक्षित भविष्य के लिए पैसा खर्च कर रही है, जबकि उसके नुमाइंदे बच्चों के मुंह से दूध और निवाला भी छीन ले रहे हैं।

बालगृह के बच्चों की चिट्ठी संचालकों की यह सच्चाई बयां करती है। रविवार को उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने मोतीनगर स्थित राजकीय बालिका गृह का आकस्मिक निरीक्षण किया।

इस दौरान बच्चियों ने आयोग अध्यक्ष जूही सिंह को अपनी पीड़ा बताते हुए यह चिट्ठी सौंपी है।� चिट्ठी पर 29 नवंबर 2015 की तारीख लिखी गई है और किसी मंत्री को लिखी गई।

समझा जा रहा है कि वे किसी बड़े अधिकारी या मंत्री के बालिका गृह दौरे के इंतजार में थीं ताकि उन्हें अपने हालात बता सकें। दुर्भाग्य से वहां कोई निरीक्षण करने ही नहीं पहुंच रहा।

उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष जूही सिंह कहती हैं कि मैंने चिट्ठी पढ़ी है। हालात बेहद दुखद हैं। जिस स्टाफ के जिम्मे इन बच्चों को छोड़ा गया है, वही अगर इनके छोटे-छोटे हक मारेंगे तो समझ नहीं आता किस पर भरोसा किया जाए।
अधीक्षिका रुपिंदर कौर, पिछले सात दिन से छुट्टी पर बताई जा रही हैं, लेकिन उनकी लीव एप्लीकेशन बालिका गृह के कार्यालय में नहीं मिली।
उनका दफ्तर सील कर दिया गया है। अब पहले वह आयोग के समक्ष पहला अपना पक्ष रखेंगी, उसके बाद ही कार्यालय जा सकती हैं।

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