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लिव इन रिलेनशिप को किसने और क्यों कहा सामजिक आतंकवाद, ​जानें…

तीन तलाक पर देश भर में बहस छिड़ी हुई है। लेकिन एक और ऐसा विषय है जो हमेशा से ही बुद्धिजीवियों और कथित समाज चिंतकों के निशाने पर रहा है वह है लिव इन रिलेशनशिप।
इस विषय पर पुन: बहस छिड़ गई है। क्योंकि राजस्थान के राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रहे प्रकाश टाटिया इन इसे सामाजिक आतंकवाद बताया है।

एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में टाटिया ने कहा है कि लिव इन ​रिलेशनशिप को भी महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से कानूनी जामा पहनाने की आवश्यकता है।

लिव इन रिलेनशिप को किसने और क्यों कहा सामजिक आतंकवाद, ​जानें...असुरक्षित है भविष्य

टाटिया के अनुसार यह रिश्ता सामजिक आतंंकवाद के श्रेणी में इसलिए आता है क्योंकि ​जहां भी इस प्रकार के कपल रहते है वहां आसपास रहने वाले अन्य लोगों में अपने बच्चों को लेकर भय और तनाव का माहौल हो जाता है।

वर्ष 2015 में राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष बने टाटिया का कहना है कि यह रिलेशनशिप इसलिए भी हानिकारक है क्योंकि ऐसे कपल के बच्चों की सोसयटी में स्वीकार्यता नहीं है।

य​ह रिश्ता भी पीड़ादयक

वहीं दूसरी और यदि कपल इस रिश्ते में अलग होते है तो सबसे अधिक खामियाजा औरत को उठाना पड़ता है। टाटिया का कहना है कि वर्तमान में हम बहस कर रहें है तीन तलाक औरत के लिए कितना पीड़ादायक है।

लेकिन लिव इन रिलेशनशिप की पी​ड़ा शायद इससे भी अधिक है क्योंकि इस रिश्तें में अलग होने के लिए तीन तलाक भी बोलने की आवश्यकता नहीं है। 

 

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