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लोढ़ा समितिः बीसीसीआई में ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन की सिफारिश

Justice-Lodha-panel-1451897288नई दिल्ली। तीन सदस्यीय जस्टिस लोढा समिति ने सोमवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) में क्रांतिकारी बदलावों की सिफारिश करते हुये उच्चतम न्यायालय में अपनी रिपोर्ट सौंप दी।
 
लोढा समिति की इस रिपोर्ट को वकील गोपाल शंकर नारायण ने उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में दायर किया जिस पर बाद में मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ विचार करेगी।
 
समिति ने अपनी इस रिपोर्ट में भारतीय बोर्ड में पारदर्शिता लाने से लेकर हितों के टकराव और अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में बड़े सुधार की सिफारिश की है। 
 
उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी रिपोर्ट में लोढा समिति ने बोर्ड में सभी अधिकारियों की नियुक्ति की कड़ी शर्तों से लेकर उनके कार्यकाल की समयसीमा तय करने तक की सिफारिश की है। 
 
अन्य बदलावों में समिति ने इंडियन प्रीमियर लीग(आईपीएल) की संचालन परिषद की स्वायत्ता को सीमित करने, खिलाड़ियों के संघ बनाने और बीसीसीआई में हितों के टकराव, विवाद निपटारा और चुनावी प्रक्रिया की निगरानी के लिये तीन स्वतंत्र अधिकारियों की नियुक्ति करने की भी सिफारिश की है। 
 
इसके साथ तीन सदस्यीय समिति ने कहा है कि हर राज्य से केवल एक क्रिकेट संघ ही बीसीसीआई का सदस्य हो और उन्हें वोट करने का अधिकार भी दिया जाए। 
 
इसके अलावा अन्य टीमों जैसे कि सेना, क्रिकेट क्लब आफ इंडिया, नेशनल क्रिकेट क्लब आदि को एसोसिएट का दर्जा दिया जाए लेकिन इसमें इन क्लबों को वोट का अधिकार हासिल नहीं होना चाहिये।
 
समिति ने बीसीसीआई के पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए कड़े नियमों का सुझाव दिया है जिसमें अध्यक्ष से लेकर सचिव, उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के सभी पद शामिल हैं। 
 
इस नियम के तहत इन पदों पर उम्मीदवार की उम्र 70 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा उम्मीदवार दिवालिया या सरकार में मंत्री नहीं होना चाहिये और न ही बीसीसीआई में नौ वर्ष या तीन बार इन पदों पर रह चुका हो। 
 
समिति ने सुझाव दिया है कि किसी भी अधिकारी को लगातार दो कार्यकाल से अधिक पद पर रहने की अनुमति न हो। न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने आईपीएल संचालन परिषद की शक्तियों को सीमित करने की भी सिफारिश दी है। 
 
समिति ने प्रस्ताव दिया है कि नौ सदस्यीय समिति का गठन किया जाए जो टूर्नामेंट का कामकाज संभाले। इसमें फ्रेंचाइजियों के प्रतिनिधि, खिलाड़ी, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(कैग) का प्रतिनिधि शामिल हो। 
 
इसके साथ ही आईपीएल की संचालन परिषद आर्थिक सहित टूर्नामेंट से संबंधित सभी निर्णय भी ले और वह बीसीसीआई को जवाबदेह हो।
 
अन्य सुझावों में समिति ने सुझाव दिया है कि बीसीसीआई के दिन प्रतिदिन की गतिविधियों की देखरेख के लिये छह पेशेवर प्रबंधकों के साथ मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति की जाए। यह समूह शीर्ष परिषद को जवाबदेह हो।
 
लोढ़ा समिति ने दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड में सुचारू संचालन के लिये तीन स्वतंत्र अधिकारियों, लोकपाल, नैतिक अधिकारी और चुनाव अधिकारी की नियुक्ति की भी प्रमुखता से सिफारिश की है। 
 
बोर्ड में नियुक्त लोकपाल के दायरे में आंतरिक विवादों का निपटारा, बोर्ड एवं उसके सदस्य एवं एसोसिएट सदस्यों के बीच किसी तरह के विवाद को सुलझाना, प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा नियमों के उल्लंघन, खिलाड़ियों, टीम अधिकारियों की शिकायतों को देखना, टिकट वितरण में किसी तरह की धांधली आदि के मामलों का निपटारा जैसे अहम मुद्दे रहेंगे। 
 
समिति ने सिफारिश दी है कि बोर्ड में लोकपाल की भूमिका में उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त जज या उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को नियुक्त किया जाए। 
 
उल्लेखनीय है कि बीसीसीआई के अध्यक्ष शशांक मनोहर ने दिल्ली एवं मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए पी शाह को नवंबर में बोर्ड में लोकपाल नियुक्त किया था। 
 
लोढ़ा समिति ने स्वतंत्र नैतिक अधिकारी को बोर्ड में हितों के टकराव के मुद्दों के निपटारे के लिये नियुक्त किये जाने का भी सुझाव दिया है। समिति ने कहा कि उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश को इस पद पर नियुकत किया जाए जो बोर्ड में अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार के मुद्दों की भी देखरेख करें।
 
इसके अलावा चुनाव प्रक्रिया की निगरानी के लिये निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति भी समिति के सुझावों में अहम है। समिति ने सुझाया है कि पदाधिकारियों के चुनाव के लिये निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति चुनाव से दो सप्ताह पहले की जाए। यह अधिकारी पूर्व भारतीय चुनाव आयुक्त होना चाहिये। 
 
इस तीन सदस्यीय समिति में पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा के अलावा उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अशोक भान और आर रवींद्रन शामिल हैं। 
 
इस समिति को जनवरी 2015 में गठित किया गया था। समिति को मुख्य रूप से राजस्थान रायल्स के सह मालिक राज कुंद्रा, चेन्नई सुपरकिंग्स के टीम प्रिंसीपल गुरूनाथ मेयप्पन और उनकी फ्रेंचाइजियों तथा आईपीएल के मुख्य संचालन अधिकारी सुंदर रमन को आईपीएल छह भ्रष्टाचार मामले में संलिप्तता के लिये सजा सुनिश्चित करने और बीसीसीआई में पारदर्शिता लाने के लिये सिफारिशों के प्रस्ताव देने के लिये गठित किया गया था।

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