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वास्तु विज्ञान में दक्षिण दिशा को माना जाता है अशुभ, जानिए इसके प्रभाव

इस वजह से दक्षिण दिशा को माना जाता है अशुभ

आपने अक्सर घर के बड़े-बुजुर्गों को यह कहते सुना होगा कि दक्षिण दिशा में न सोएं। दरअसल बुजुर्गों के इस कथन के पीछे वास्तुशास्त्र की मान्यता है। वास्तुविज्ञान में दक्षिण दिशा को अशुभ माना जाता है। वास्तु विज्ञान में बताया गया है कि दक्षिण की ओर पैर करके सोने और मुख करके बैठने से आपके आस-पास नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहता है। आइए देखें कि वास्तुविज्ञान में दक्षिण दिशा को क्यों कहा गया है अशुभ।वास्तु विज्ञान में दक्षिण दिशा

हो सकते हैं यह रोग

वास्तु विज्ञान में इसके पीछे का तर्क है कि पृथ्वी गुरुत्वाकर्षण बल पर टिकी है। वह अपनी धुरी पर लगातार घूमती है। इसकी धुरी के उत्तर-दक्षिण दो छोर हैं। यह चुंबकीय क्षेत्र होता है। इसलिए जब भी इंसान दक्षिण दिशा में पैर करके सोता है तो वह तो पृथ्वी की धुरी के समानांतर हो जाता है। इससे धुरी के चुंबकीय प्रभाव से रक्तप्रवाह प्रभावित होता है। इससे हाथ-पैर में दर्द, कमर दर्द, शरीर का कांपना आदि जैसे दोष हो जाते हैं।

दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने का परिणाम

माना जाता है दक्षिण दिशा में सोने से फेफड़ों की गति मंद हो जाती है। इसीलिए मृत्यु के बाद इंसान के पैर दक्षिण दिशा की ओर कर दिए जाते हैं ताकि उसके शरीर से बचा हुआ जीवांश समाप्त हो जाए। इस दिशा के स्वामी यमराज माने जाते हैं। इस दिशा की ओर पैर करके सोने से आयु कम होती है, ऐसी भी मान्यता है।

घर और तिजोरी का दरवाजा

वास्तु विज्ञान के अनुसार, घर का मुख्य दरवाजा कभी भी दक्षिण दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए। साथ ही तिजोरी का दरवाजा भी दक्षिण की ओर न खुले इसका ध्यान रखना चाहिए। अगर आपकी तिजारो इस दिशा में है तो बरकत एवं लाभ के लिए दिशा बदल लेनी चाहिए।

दक्षिण की दिशा में न लगाएं घड़ी

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घड़ी को कभी भी दक्षिण की दिशा में नहीं लगाना चाहिए। दक्षिण, यम की दिशा मानी जाती है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार यम को मृत्यु का देवता माना जाता है। हमेशा घड़ी को उत्तर-पूर्व की तरफ ही लगाएं।

दक्षिण की दिशा में न हो शौचलाय

शौचालय में सीट इस प्रकार रखनी चाहिए कि शौच करते वक्‍त मुख उत्‍तर या दक्षिण दिशा की ओर रहे और दरवाजा सदैव बंद रखना चाहिए।

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