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शनिवार को शुभ मुहूर्त में करें ये काम, शनिदेव लगाएंगे बेड़ा पार

phpThumb_generated_thumbnailएजेन्सी/19 मार्च 2016 को शनिवार है। इस दिन शुभ वि.सं.: 2072, संवत्सर नाम: कीलक, अयन: उत्तर, शाके: 1937, हिजरी: 1437, मु.मास: जमादि-उलसानि-9, ऋतु: बसन्त, मास: फाल्गुन, पक्ष: शुक्ल है। 
 
शुभ तिथि
एकादशी नन्दा संज्ञक तिथि प्रात: 10.20 तक, तदुपरान्त द्वादशी भद्रा संज्ञक तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। यदि समयादि शुद्ध हो तो एकादशी तिथि में विवाहादि समस्त शुभ व मांगलिक कार्य, जनेऊ, देवोत्सव, वास्तु-गृहारम्भ, प्रवेश, यात्रा, चित्रकारी, अलंकार और व्रतोपवास आदि कार्य तथा 
 
द्वादशी तिथि में विवाहादि मांगलिक कार्य, जनेऊ व अन्य चर-स्थिर कार्य करने चाहिए। पर अभी होलाष्टक व मलमास दोष है। इसलिए शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हैं। एकादशी तिथि में जन्मा जातक शुद्ध विचार वाला, धर्म कार्यों में रुचि रखने वाला, धनवान, गुरु व माता-पिता की सेवा-विनय में व्यस्त। धन-ऐश्वर्य, संतानयुक्त तथा न्यायप्रिय होता है।
 
नक्षत्र
पुष्य नक्षत्र प्रात: 9.49 तक, तदन्तर आश्लेषा नक्षत्र रहेगा। पुष्य नक्षत्र में विवाह को छोड़कर चर, स्थिर, शांति, पुष्टता तथा अन्य उत्सव सम्बन्धी कार्य करने चाहिए और आश्लेषा नक्षत्र में साहसिक कार्य सिद्ध होते हैं। आश्लेषा गण्डान्त मूल संज्ञक नक्षत्र भी है। 
 
अत: लोकाचार से 27 दिन बाद जब आश्लेषा नक्षत्र की पुनरावृत्ति हो उस दिन नक्षत्र शान्ति करवा लेना जातकों के हित में होगा। पुष्य नक्षत्र में जन्मा जातक सामान्यत: बुद्धिमान, सुशील, सुन्दर, धर्मपरायण, परोपकारी, चतुर, मेधावी, सत्यप्रिय, देव-गुरु-अतिथि प्रेमी होता है। इनका भाग्योदय 35 वर्ष की आयु के पश्चात होता है।
 
योग
अतिगंड नामक नैसर्गिक अशुभ योग प्रात: 7.01 तक तदन्तर सुकर्मा नामक नैसर्गिक शुभ योग रहेगा।
 
विशिष्ट योग
दोष समूह नाशक रवियोग नामक शक्तिशाली शुभ योग प्रात: 9.49 तक।
 
करण
भद्रा संज्ञक विष्टि नामकरण प्रात: 10.20 तक, इसके बाद बवादि करण रहेंगे। भद्रा में शुभ कार्य यथासंभव त्याग देने चाहिए।
 
चंद्रमा
सम्पूर्ण दिवारात्रि कर्क राशि में रहेगा।
 
व्रतोत्सव
शनिवार को आमला एकादशी व्रत सबका, रंग भरी ग्यारस, मुख्य मेला खाटूश्याम जी तथा गुरु हरगोविन्द पुण्य दिवस (प्राचीन मत से)।
 
शुभ मुहूर्त
उक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार किसी शुभ व मांगलिक कार्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं हैं।
 
वारकृत्य कार्य
शनिवार को सामान्यत: लोहा, पत्थर, शीशा, रांगा, अस्त्र-शस्त्र सम्बन्धी कार्य, नौकरी या नौकर रखना, दीक्षा ग्रहण आदि स्थिर कर्म करने चाहिए।
 
दिशाशूल
शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। अति आवश्यकता में कुछ उड़द के दाने खाकर शूल दिशा की अनिवार्य यात्रा पर प्रस्थान कर लेना चाहिए। चन्द्र स्थिति के अनुसार उत्तर दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद रहेगी। 

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