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शहीद के अंतिम संस्कार के लिए जगह देने से ऊंची जाति वालों का इनकार

constable_vir_singh_funeral_27_06_2016एजेंसी/ फिरोजाबाद। वो अपनी और अपने परिवार की परवाह किए बगैर देश के लिए लड़ा, शहीद हुआ, लेकिन पार्थिव शरीर को उसकी अपनी जन्मभूमि पर ही अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं मिल पाई। कारण- जातिवाद का जहर।

गांव के ऊंची जाति वालों ने पंपोर हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ कांस्टेबल वीर सिंह के अंतिम संस्कार के लिए सरकारी जमीन का इस्तेमाल करने से रोक दिया।

रविवार को शहीद वीर सिंह का शव फिरोजबाद जिले के नागला गांव लाया गया। हर किसी की आंख नम थी। इस बीच अंतिम संस्कार की तैयारियां भी हो गईं। जैसे ही शव यात्रा शुरू हुई, गांव के ऊंची जाति वालों ने अंतिम संस्कार के लिए सार्वजनिक जमीन का इस्तेमाल करने से रोक दिया। वीर सिंह नट जाति के थे।

हालांकि बाद में जिला प्रशासन ने दखल दिया तो बमुश्किल दस गुना दस मीटर की जमीन के टुकड़े का उपयोग करने दिया गया। वहीं ग्राम प्रधान विजय सिंह के मुताबिक, शहीद के परिजन सरकारी जमीन पर अंतिम संस्कार कर वहां मूर्ति स्थापित करना चाहते थे। हालांकि प्रशासन से चर्चा के बाद विवाद हल हो गया।

मालूम हो, जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हुए आतंकी हमले में उत्तर प्रदेश के तीन जवान शहीद हुए हैं। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के इन जवानों पर आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया था।

शहीद जवानों में फिरोजाबाद के वीर सिंह, मेरठ के सतीश चंद मावी और इलाहाबाद के राजेश कुमार देश की रक्षा में लगे थे। अब इनके पैतृक आवासों पर सन्नाटा पसरा है। वीर सिंह फिरोजाबाद के शिकोहाबाद क्षेत्र के गांव नगला केवल का रहने वाले हैं। शहीद जवान सतीश चंद मावी मेरठ के किला परीक्षितगढ़ क्षेत्र के गांव बली का रहने वाले था। जवान राजेश कुमार इलाहबाद जिले के मेजा के निबी के रहने वाले थे।

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