

देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को कमजोर करने अथवा धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लेख के जरिए मांग की गई कि दादरी जैसी घटनाओं में कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाए।
लेख में महाराष्ट्र सरकार पर भी धार्मिक उन्माद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। लेख में जैन समुदाय के पर्युषण पर्व के दरम्यान धार्मिक विद्वेष भड़काने का प्रयास किया गया। और मांस बिक्री पर पाबंदी लगाई गई।
सामना में दादरी हिंसा के मामले में यूएन तक ले जाने के बयान पर एसपी नेता आजम खान को भी लताड़ा गया। लेख में लिखा कि आजम खान खुद को सेक्युलर और मुसलमानों का मसीहा मानते हैं लेकिन उन्होंने सेक्युलर शब्द का गलत अर्थ अपना रखा है।
आगे कहा गया है कि देश में हिंदू और मुसलमानों में ऐसे कई आजम खान हैं, जिनके कारण देश जातिवाद और धार्मिकता के दो हिस्सों में बंट गया है। लेख में कहा गया है कि कश्मीर में हिंदू मारे जाते हैं और पाकिस्तान में हिंदुओं को रौंदा जा रहा है ।
लेकिन इस समस्या को कभी भी आजम खान ने नहीं उठाया। संजय राऊत ने सामना में गड्ढे में गिरी गाय को मुस्लिम युवक के द्वारा बचाए जाने की पिछले दिनोंं आई एक खबर का जिक्र करते हुए कहा एक ओर जहां स्वघोषित गोरक्षकों पर हमला बोला तो दूसरी ओर देश की धर्म निरपेक्ष भावना की सराहना भी ।
लेख मेंं कहा गया कि यूपी के एक गांव मेंं एक गाय कुएं में गिर गई और मदद के लिए चीख-चीख कर रंभाने लगी। तमाशबीनों की भीड़ भी एकत्रित हो गई लेकिन गाय की रक्षा करने एक भी गौ रक्षक आगे नहीं आया। एक मुस्लिम युवक ने कुएं में उतरकर गाय को बाहर निकाला।