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श्रम कानून उल्लंघन मामले में सजा के तौर पर कर्मचारियों को करनी पड़ेगी सेवा

नई दिल्ली : श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा बनाए गए सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2018 के मसौदे में श्रम कानूनों के उल्लंघन के लिए समाज सेवा का प्रस्ताव रखा गया है। यह पहला मौका है जब भारत में ऐसा प्रस्ताव आया है जबकि विदेशों में यह आम बात है। इससे अदालतें श्रम कानूनों का उल्लंघन करने वाले कारोबारियों और कर्मचारियों को समाज सेवा का आदेश दे सकेंगी। इसके बाद से कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारी जल्द ही सड़कों पर सार्वजनिक स्थानों की सफाई करते, दीवारों पर रंग पोतते या गरीबों की सेवा करते नजर आ सकते हैं। यह कोई परोपकार नहीं होगा बल्कि देश के सामाजिक सुरक्षा कानूनों का उल्लंघन करने की सजा होगी। आर्थिक रूप से सम्पन्न किसी कारोबारी के लिए जुर्माना भरना कोई बड़ी बात नहीं है और उन पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि नई व्यवस्था के तहत नियमों के उल्लंघन पर कोई व्यक्ति जेल तो नहीं जाएगा लेकिन उसे समाज सेवा करनी पड़ेगी। इससे दूसरों को सबक मिलेगा। सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत समाज सेवा एक तरह की वैकल्पिक सजा है। अगर किसी पर जुर्माना हुआ है या फिर उसने ऐसा उल्लंघन किया है जिसमें दो साल तक जेल की सजा का प्रावधान है तो उसके पास समाज सेवा का विकल्प होगा। इनमें कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा में भुगतान, रिकॉर्ड रखने, निरीक्षकों को सूचना देने, कर्मचारियों की ग्रैच्युटी देने, बच्चों के देखभाल की सुविधा देने और चिकित्सा खर्च का भुगतान करने में नाकाम रहने तथा मातृत्व अवकाश के दौरान महिला कर्मचारियों को नौकरी से निकालना शामिल है। इस मामले में न्यायाधीश का कहना था कि अधिक से अधिक जुर्माने का भी उतना असर नहीं होगा जितना कि समाज सेवा का। कई देशों में आपराधिक कानूनों में समाज सेवा का प्रावधान है, श्रम कानूनों के उल्लंघन के लिए नहीं। भारत के श्रम कानूनों में इस तरह के प्रावधान से कानून का खौफ कम होगा और सामाजिक सुरक्षा ढांचा नियोक्ताओं के अनुकूल बनेगा। श्रम कानूनों के वकील रामप्रिय गोपालकृष्णन ने कहा कि नियोक्ताओं को इस बात से डरना चाहिए कि उन पर मुकदमा चलाया जाएगा और अनुपालन नहीं करने पर उन्हें जेल जाना होगा। प्रस्तावित कानून के मुताबिक कारोबारियों को उल्लंघन के उन गंभीर मामलों में जेल जाना पड़ेगा जहां दो साल से अधिक सजा का प्रावधान है। उदाहरण के लिए अगर किसी नियोक्ता ने कर्मचारियों के मासिक वेतन में से पैसा तो काट लिया है लेकिन उसे सामाजिक सुरक्षा कोष में जमा नहीं कराया है तो उसे 3 साल जेल की सजा होगी। समाज सेवा के औचित्य को समझाते हुए मसौदा कानून में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति सामाजिक सुरक्षा कानून का उल्लंघन करता है तो वह किसी व्यक्ति के नहीं बल्कि पूरे समाज के खिलाफ अपराध करता है। कानून का उल्लंघन करने वाले को अदालत के आदेश के दो साल के भीतर निर्धारित समय के लिए समाज सेवा करनी होगी। अलबत्ता मसौदा कानून के मुताबिक नियमों का उल्लंघन करने वाले को यह विकल्प दिया जाएगा कि वह समाज सेवा करना चाहता है या फिर जुर्माना भरना चाहता है और जेल जाना चाहता है। मसौदे में कहा गया है कि केंद्र सरकार समाज सेवा के बारे में नियम बनाएगी।

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