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संगम तट पर धनंजय सिंह की वापसी, मायावती ने ही भिजवाया था जेल

800x480_IMAGE57564968इाहाबाद। तमाम सर्वे पोल भले ही मायावती को तीसरे पायदान की पार्टी बता रहे हों लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती यूपी में अपनी ताकत का एहसास लोगों को अपनी रैलियों से करा रही है।

इलाहाबाद में जिस तरह से बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उन्हें सुनने के लिए उमड़ी उसने तमाम सियासी पंडितों के कान खड़े कर दिये हैं।

लेकिन इस रैली के दौरान एक और जो चौंकाने वाली बात थी वह थी बाहुबली नेता धनंजय सिंह की ंच पर मौजूदगी।

मायावती की मौजूदगी में हुआ धनंजय सिंह का स्वागत

पूर्व बसपा सांसद और पूर्वांचल के बाहुबलि धनंजय सिंह के बसपा में शामिल होने का ऐलान मंच पर किया गया। जिस दौरान मंच संचालक इंद्रजीत सिंह सरोज ने ऐलान किया कि धनंजय सिंह की बसपा में वापसी हुई है तो उस दौरान मायावती भी मंच पर मौजूद थीं।

टिकट पर नहीं हुई कोई घोषणा

हालांकि अभी तक इस बात की कोई भी घोषणा नहीं हुई है क धनंजय सिंह व उनकी पत्नी जागृति सिंह को बसपा का टिकट मिलेगा या नहीं, लेकिन धनंजय सिंह को उम्मीद है कि उन्हें आगामी चुनाव के लिए टिकट अवश्य मिलेगा।

क्षत्रिय वोटों पर नजर

माना जा रहा है पूर्वांचल व खास तौर पर जौनपुर में धनंजय सिंह की सवर्ण व क्षत्रिय वोटों पर अच्छी पकड़ है, इसी पहलू को देखते हुए एक बार फिर से मायावती ने धनंजय सिंह के लिए बसपा के दरवाजे एक बार फिर से खोले हैं।

खुद मायावती ने गिरफ्तार कराया था धनंजय सिंह को

धनंजय सिंह 2009 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीता था लेकिन जब उनपर उनकी नौकरानी की हत्या का आरोप लगा तो खुद मायावती ने उन्हें गिरफ्तार कराया था और पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। बसपा से बाहर निकाले जाने के बाद धनंजय सिंह ने किसी भी पार्टी का रुख नहीं किया और एक बार फिर से उन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की जिसपर मायावत ने अपनी मुहर लगा दी।

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किसी और पार्टी का दामन नहीं थामा

2012 में बसपा ने ना तो धनंजय सिंह और ना ही उनकी पत्नी जागृति सिंह को टिकट दिया था। जिसकी वजह से धनंजय सिंह ने अपनी पत्नी को मल्हनी की सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ाया था।

धनंजय जौनपुर की रारी सीट से विधायक रह चुके हैं। 2014 में बसपा ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया था जिसकी वजह से उन्होंने जौनपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ा था लेकिन उ्हें हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद एक बार फिर से धनंजय सिंह ने बसपा में के टिकट से चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया।

 

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