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सत्ता में वापसी को बेताब मुख्यमंत्री हरीश रावत

गोपाल पोखरिया
तीन साल पहले केदारनाथ में आई भीषण आपदा के बाद सत्ता पाने वाले मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अगले विधानसभा चुनाव में फिर से सीएम बनने के लिए बेताब दिख रहे हैं। परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन वे खुद तैयारियों व मेहनत में कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं। यही कारण है कि हर दिन वे पूरे राज्य में ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं। यही नहीं, पिछले एक पखवाडे़ में इतने अधिक शिलान्यास व घोषणाएं कर डाली, जितने पहले कभी नहीं हुई। यहां तक कि वे खुद कह चुके हैं कि मैं डबल घोषणाओं वाला मुख्यमंत्री हूं। यानि कि इससे पहले किसी ने भी इतनी अधिक घोषणाएं नहीं की थी। इसके साथ ही वे पुन: सत्ता वापसी को कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। यही कारण है कि जुमे की नमाज के लिए मुस्लिम समाज के लोगों को डेढ़ घंटे का विशेष अवकाश तक देने की व्यवस्था कर दी। हालांकि इस पर खुद कांग्रेस का संगठन तक ने इसका विरोध किया। बावजूद मुख्यमंत्री हरीश रावत इस फैसले पर अडिग हैं। अधिक विरोध होने पर सरकार ने सभी धर्मों के लिए यह व्यवस्था कर दी कि वे भी पूजा अर्चना के विशेष मौकों पर इस तरह का अवकाश ले सकते हैं। यानि समझा जा सकता है कि सीएम कुछ भी करके पुन: सत्ता वापसी चाहते हैं।
वैसे भी प्रदेश में अब कांग्रेस की राजनीति पूरी तरह से हरीश रावत के ही इर्दगिर्द सिमट कर रह गई। वही अब सारे बड़े फैसले ले रहे हैं। सीएम के पिछले दिनों के बयानों पर गौर करें तो यह सबकुछ दिखता भी है। अब वे वन मैन शो की तरह ही कार्य कर रहे हैं। एक ओर जहां पूरे प्रदेश में प्रचार का जिम्मा व विरोधियों का जवाब भी खुद ही दे रहे हैं, तो विरोधियों के भी निशाने पर गाहे बगाहे वही रहते हैं। इसके चलते पिछले दिनों मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यह कहकर अपने इरादे जाहिर कर दिए कि वह कांग्रेस के नॉटआउट बैट्समैन हैं। हालांकि भाजपा व केंद्र की मोदी सरकार ने उनको आउट करने के काफी प्रयास किए पर सफल नहीं हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि उनका सिर भगवान गणेश की भांति काटा गया, लेकिन हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट व जनता के आशीर्वाद से उनका सिर फिर से जोड़ा गया तथा वे प्रदेश के जनमानस की सेवा में जुटे हैं। बताते चलें कि इस साल के बजट सत्र के दौरान कांग्रसी विधायकों की बगावत रही हो या फिर विनियोग बिल का विरोध, इन सभी में हरीश रावत की अग्निपरीक्षा हुई थी, लेकिन इनमें वे अव्वल नंबरों से पास हो गए। तमाम आरोपों के बावजूद जब पहले वे बचाव की मुद्रा में दिखते थे वहीं अब इनका कड़ा जवाब देते हुए वे आक्रामक फैसले लेने का भी साहस ले रहे हैं।
जब उन पर वन मैन शो की तरह काम करने का आरोप लगा तो उन्होंने कहा कि उनसे ज्यादा मंत्रिमंडल की बैठकें आज तक किसी भी मुख्यमंत्राी ने नहीं की हैं। मंत्रीमंडल उपसमितियां भी किसी ने नहीं बनाई हैं। सबसे कम विभाग अपने पास रखे हैं। फिर वन मैन शो वाली बात कहां से आती है। शायद इसलिए कि वे अन्य की तुलना में ज्यादा विजीबल सीएम हैं। वे ऐसा ही बनना चाहते हैं। उनका मानना है कि उत्तराखंड जैसे राज्य में सीएम को प्रफंट से लीड करने की जरूरत होगी। वे सनसनी फैलाने वाले मुख्यमंत्री नहीं हैं। यही कारण है कि सरकार के योजनागत बजट में दो साल के भीतर 29 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। आठ सौ करोड़ खर्च करने वाली पीडब्ल्यू डी 2800 करोड़ खर्च करने वाली संस्था बन गई। 14 घंटे बिजली देने वाला राज्य आज 23 घंटे बिजली की आपूर्ति कर रहा है। इसमें उनका कुछ तो हुनर काम किया होगा। काम लेने का उनका अपना तरीका है। उन्होंने यह भी कहा कि एक बात का उनको दुख है कि हरक सिंह जैसे मंत्री की मनमानी पर मजबूरन आखें बंद किए रहा और जब उनको टोका तो उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी।
जब उन पर विपक्षियों की ओर से ज्यादा घोषणाएं करने के आरोपों के बारे में उनका जवाब था कि दो बातें बिल्कुल सत्य हैं कि इस राज्य में अब तक जितने भी सीएम हुए हैं उन्होंने मिलकर जितनी घोषणाएं की हैं, उतनी दो साल में अकेले उन्होंने की है। उन्होंने एक जनसभा के दौरान साफ कहा कि वे डबल घोषणा वाले सीएम हैं। यह भी सत्य है कि घोषणाओं पर साठ फीसदी से अधिक पर काम हो चुका है या फिर उन पर कार्य गतिशील है। उनका कहना है कि उनकी 30 फीसदी घोषणाएं भविष्य के लिए हैं।
संधिकाल का सीएम होने के कारण उनका दायित्व है कि वे भविष्य को लक्ष्यगत रखते हुए कुछ योजनाएं बना दूं। इसके साथ ही अपने सभी दोस्तों से कहना चाहूंगा कि उनके द्वारा की गई घोषणाओं की स्थिति सत्तर फीसदी से अधिक होगी और मैं डिस्टिंगशन से पास होऊंगा। यह भी स्थिति तब है जब पांच महीने तक सरकार की सियासी बिजली गुल कर दी गई। उनकी सरकार पर जब आम लोगों की समस्याओं के निस्तारण की प्रक्रिया धीमी गति से होने की बात आई तो उनका जवाब था कि वे सबसे ज्यादा उपलब्ध और सर्वाधिक निर्देश पारित करने वाले सीएम हैं। समाचार पत्रों में जो भी आलोचनात्मक खबरें प्रकाशित होती हैं उनकी कटिंग भी आवश्यक कार्रवाई के निर्देश के साथ अधिकारियों को भेजता हूं। समाधान का भी एक पोर्टल है। जिस पर समाधान के लिए मैं खुद भी उपलब्ध रहता हूं। सोशल मीडिया पर सक्रिय होने के साथ ही राह चलते लोगों से बात करके उनकी समस्याएं सुनता हूं। मुझे एक चीज के लिए दोष दिया जाना चाहिए कि मैंने लोगों की अपेक्षाएं बढ़ा दी हैं। मेरा मानना है कि दस कामों को हाथ में लेकर दसों को पूरा कर देना सफल विकास कार्यकर्ता की निशानी नहीं है। विकास के कार्यकर्ता को तो दस हजार काम हाथ में लेना चाहिए और उनमें से पांच सौ का भी समाधान ढूंढ लिया तो यह बेहतर स्थिति है। मैं पांच सौ का समाधान करने वाला मुख्यमंत्री बनना चाहता हूं।
राजनीतिक हलकों में अक्सर यह भी चर्चा चली कि उन्होंने सत्ता में लौटने का बेहतरीन मौका खो दिया। जब विश्वास मत हासिल कर लिया तो उसके बाद विधानसभा भंगकर चुनाव में जाना बेहतर होता। इस पर सीएम का जवाब था कि उन्होंने उत्तराखंड के हित में ऐसा नहीं किया। ऐसा करते तो न केवल वर्ष 2016 का विकास ठप हो जाता बल्कि वर्ष 2017 में भी विकास की स्थिति बिगड़ जाती। इसके चलते उन्होंने बिना बजट पास किए चुनाव में जाना उचित नहीं समझा। अब उत्तराखंड की जनता को तय करना है कि वे उनको दंडित करती है या फिर से आशीर्वाद देती है। सरकार और संगठन के बीच जब तक तकरार की बातें आती हैं तो उनका कहना था कि जब जीवंत संगठन होता है तो वह सरकार का एजेंडा तय करना चाहता है। उत्तराखंड में कांग्रेस के साथ कुछ ऐसी ही स्थिति है। इसे मतभेद मानना मेरी भूल होगी। एक सक्रिय सचेत संगठन चुनावी वैतरणी पार करने की गारंटी होता है। मैं एक कांग्रेस मैन के तौर पर संगठन का स्वागत करता हूं। जब उन पर राजनीतिक संकट के लिए उनके पीछे चलने वाली सिपहसालारों की टीम को जिम्मेदार मानने की बात सामने आयी तो उन्होंने जवाब दिया कि वे 196से राजनीति में हैं और वर्ष 1969 से कांग्रेस में हैं। इस सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपदा राहत घोटाले की बात उठाई तो सीएम ने अगले दिन ही इस मामले की एक बार फिर न्यायिक जांच की घोषणा कर दी है। हालांकि उन्होंने कहा पूर्व में इस मामले की जांच मुख्यसचिव कर चुके हैं, जिसमें कुछ भी नहीं मिला। मामले में कोई तथ्य नहीं मिले हैं। हालांकि मुख्यमंत्री की घोषणाओं की बात करें तो अभी एक दिन में उन्होंने साढ़े पांच हजार करोड़ के शिलान्यास अपने आवास पर ही कर डाले। 

अल्मोड़ा से हुआ कांग्रेस का शंखनाद
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी उत्तराखंड पहुंच ही गये। उनके कई बार कार्यक्रम के संबंध में प्रदेश कांग्रेस कमेटी घोषणा करती रही लेकिन हर बार किसी ने किसी कारण से उनका उत्तराखंड आगमन टलता गया। कांग्रेस के युवराज चुनावी शंखनाद दून से तो नहीं कर पाये, अलबत्ता उन्होंने अल्मोड़ा से चुनावी शंखनाद कर दिया है। अपनी पहली चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जहां एक तरफ राज्य सरकार की जमकर तारीफ की, वहीं दूसरी ओर उन्होंने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के युवराज ने यहां तक कह डाला कि देश के प्रधानमंत्री सवाल का जवाब देने से डरते हैं और वह जनता के सवालों का जवाब देने से भाग जाते हैं। ऐसा व्यक्ति कभी देश का भला नहीं कर सकता। उत्तराखंड की जनता को चाहिए कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का सुपड़ा साफ कर दे और विकासपरक सोच वाली कांग्रेस सरकार के हाथ में पुन: कमान सौंपे। उन्होंने कहा कि 8 नवम्बर को प्रधानमंत्राी ने नोटबंदी का निर्णय लिया। उनके इस निर्णय ने पूरे देश को लाइन में खड़ा कर दिया। एक गलत निर्णय ने न जाने कितनी जिंदगियां ले ली। संसद में विपक्षी दलों ने कहा कि जब किसी की मौत होती है तो दो मिनट का मौन रखते हैं। केंद्र सरकार ने नोटबंदी से 100 लोगों की मौत पर लोकसभा में मौन के लिये विपक्ष को खड़े नहीं होने दिया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सत्तारूढ़ पार्टी किस तरह विपक्ष को ले रही है। उन्होेंने कहा कि आज गरीब देश बनाने में जीवन बिता देता है लेकिन मोदी के एक फैसले ने उन्हीं गरीबों, किसानों के हितों पर गहरी चोट मारी है। श्री गांधी ने कहा कि कांग्रेस देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिये संघर्ष करती आ रही हैं। देशहित में प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी का फैसला देशहित में होता तो कांग्रेस साथ देती। लेकिन नरेंद्र मोदी का नोटबंदी का फैसला देशहित में नहीं था और न ही कालेधन के खिलाफ था। श्री मोदी का फैसला देश में आर्थिक डकैती मारने जैसा है। मजदूरों, किसानों व गरीबों के हितों पर नोटबंदी एक गहरी चोट है। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी यह भूल गये हैं कि जिन गरीबों पर वह चोट कर रहे हैं, वही गरीब भारत निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि कालाधन है कहां? ज्यादा से ज्यादा कालाधन विदेशी स्विस बैंक में है, रियल स्टेट में है, जो यह 94 प्रतिशत बैठता है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने अपना निशाना उस 6 प्रतिशत पर लगाया जहां काला नहीं सफेद धन है। श्री गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि विदेश से कालाधन लाएंगे और देश के प्रत्येक नागरिक के खाते में 15 लाख रुपये जमा कराएंगे, लेकिन वह न ही विदेशों में जमा कालाधन ला पायें और न ही ढाई साल बाद भी प्रत्येक नागरिक के खातें में 15 लाख रुपये डलवा पाये। उन्होंने कहा कि भाजपा केंद्र सरकार झूठ के सहारे चल रही हैं।

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