उत्तर प्रदेश

सपा के गढ़ में आसान नहीं विरोधियों की राह!

समाजवादी पार्टी का गढ़ माने जाने वाली मैनपुरी लोकसभा सीट 2019 चुनाव के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण सीट है. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते थे, लेकिन उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया था. जिसके बाद उनके पोते तेजप्रताप सिंह यादव उपचुनाव में बड़े अंतर से जीत कर लोकसभा पहुंचे. हालांकि, मुलायम सिंह यादव इससे पहले भी कई बार यहां से सांसद रह चुके हैं.

सपा के गढ़ में आसान नहीं विरोधियों की राह!मैनपुरी लोकसभा सीट की पृष्ठभूमि

मैनपुरी लोकसभा सीट देश में हुए पहले चुनाव के समय से ही चर्चा में रही है. 1952 से लेकर 1971 तक हुए देश में कुल 5 चुनाव में यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. हालांकि, 1977 की सत्ता विरोधी लहर में जनता पार्टी ने कांग्रेस को मात दी थी, पर अगले ही साल 1978 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने सीट वापस ले ली. उसके बाद 1980 में कांग्रेस से सीट छिनी पर 1984 की लहर में फिर वापस आई.

1984 में यहां कांग्रेस को आखिरी बार जीत नसीब हुई थी, जिसके बाद से ही ये सीट क्षेत्रीय दलों के कब्जे में रही है. 1989 और 1991 में यहां लगातार जनता पार्टी ने जीत दर्ज की. लेकिन 1992 में पार्टी गठन करने के बाद मुलायम सिंह यादव ने यहां से 1996 का चुनाव यहां से लड़ा और बड़े अंतर से जीता भी. उसके बाद 1998, 1999 में भी ये सीट समाजवादी पार्टी के पास ही रही.

2004 में मुलायम ने एक बार फिर इस सीट पर वापसी की, लेकिन बाद में सीट को छोड़ दिया. 2004 में धर्मेंद्र यादव यहां से उपचुनाव में जीते. हालांकि, 2009 के चुनाव में मुलायम यहां दोबारा लौटे और सीट को अपने पास ही रखा. 2014 के चुनाव में भी मुलायम ने यहां से जीत दर्ज कर अपने पोते तेजप्रताप सिंह यादव को ये सीट दे दी.

गौरतलब है कि मैनपुरी क्षेत्र में ही जसवंतनगर आता है, जो कि शिवपाल यादव का विधानसभा क्षेत्र है. शिवपाल यादव इस बार समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपनी नई पार्टी बना चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में उनका भी इस सीट पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है. गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी में रहते हुए भी शिवपाल यादव की संगठन पर मजबूत पकड़ थी.

मैनपुरी लोकसभा सीट का समीकरण

2014 के आंकड़ों के अनुसार मैनपुरी लोकसभा में करीब 16 लाख से अधिक वोटर हैं. जातीय समीकरण को देखें तो इस सीट पर यादव वोटरों का वर्चस्व है, यहां करीब 35 फीसदी मतदाता यादव समुदाय से हैं. जबकि करीब 2.5 लाख वोटर शाक्य हैं. यही कारण रहा है कि यहां समाजवादी पार्टी का एक छत्र राज चलता है.

इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभाएं आती हैं. इनमें मैनपुरी, भोगांव, किषनी, करहल और जसवंतनगर है. बता दें कि जसवंतनगर शिवपाल यादव का विधानसभा क्षेत्र है. 2017 के विधानसभा चुनाव में इनमें से सिर्फ भोगांव ही भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई थी, जबकि बाकी सभी 4 सीटें सपा के खाते में गई थी.

2014 में कैसा रहा जनादेश

2014 के चुनाव में चली मोदी लहर का इस सीट पर कोई असर देखने को नहीं मिला था और तत्कालानी समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी. उनके सीट छोड़ने के बाद यहां हुए उपचुनाव में तेजप्रताप सिंह यादव ने भी भारी अंतर से चुनाव जीता.

तेजप्रताप सिंह यादव को यहां करीब 65 फीसदी वोट मिले, जबकि उनके सामने खड़े बीजेपी के उम्मीदवार को सिर्फ 33 फीसदी वोट मिले थे. 2014 उपचुनाव में यहां करीब 62 फीसदी मतदान हुआ था.

सांसद का प्रोफाइल और प्रदर्शन

तेजप्रताप सिंह यादव मुलायम सिंह यादव के परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं. 2014 का चुनाव जीत उन्होंने पहली बार राजनीति में कदम रखा, हालांकि उन्हें मुलायम सिंह यादव की सीट से चुनाव लड़ने का बड़ा फायदा मिला. तेजप्रताप यादव संसद की कई कमेटियों का हिस्सा भी हैं. उन्होंने अपने संसदीय कोटे की करीब 90 फीसदी राशि खर्च की है. 16वीं लोकसभा में उन्होंने कुल 16 बहस में हिस्सा लिया है और 226 सवाल पूछे हैं.

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