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सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में फहराएगा तिरंगा, जेएनयू से होगी शुरुआत

flag-cp-delhi_650x400_81445174210दस्तक टाइम्स एजेंसी/ सूरजकुंड (हरियाणा): केन्द्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में एक बैठक में स्वीकार एक प्रस्ताव में गुरुवार को कहा गया कि सभी 46 केन्द्रीय विश्वविद्यालय ‘‘मजबूत भारत’’ दिखाने के लिए अपने परिसरों में ‘‘शान और गर्व के साथ’’ 207 फुट ऊंचे खंभे पर तिरंगा फहराएंगे और सबसे पहले इसे जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) विश्वविद्यालय में लगाया जाएगा।

स्मृति की केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘हर विश्वविद्यालय में किसी केन्द्रीय स्थल पर राष्ट्रीय ध्वज शान और गर्व के साथ फहराया जाएगा।’’ इस कदम पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि राष्ट्रवाद का मतलब झंडा फहराना और वंदेमातरम गाना नहीं होता है और यह संविधान में हमारे भरोसे में झलकना चाहिए। माकपा नेता बृंदा करात ने भी इस फैसले के लिए सरकार की निंदा की।

यह फैसला ऐसे समय किया गया है जब जेएनयू परिसर में भारत विरोधी नारेबाजी वाले एक कार्यक्रम में कथित रूप से उपस्थित होने पर देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी को लेकर विवाद चल रहा है। सरकार को इस मुद्दे पर विपक्ष की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, आज का कदम इस पर आक्रामक रुख अपनाने की प्रतिबद्धता दिखाता है।

एचआरडी मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि 207 फुट ऊंचे खंभे पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का प्रस्ताव स्मृति ने पेश किया और सभी 46 कुलपतियों ने सर्वसम्मति से इसे मंजूरी दी। उन्होंने इस तरह का पहला झंडा जेएनयू में फहराने का प्रस्ताव भी रखा जिसका भी सभी कुलपतियों ने समर्थन किया।
मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि प्रस्ताव के अनुसार, जेएनयू सहित सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को तिरंगा फहराना होगा और यह फैसला उच्च शिक्षा के संस्थानों में ‘‘मजबूत एवं एकजुट भारत के प्रतीक’’ के रूप में किया गया है। हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित शोधार्थी रोहित वेमुला की खुदकुशी को लेकर व्यापक प्रदर्शन के बाद स्मृति ने कुलपतियों की बैठक बुलाई थी।

कांग्रेसी नेता आरपीएन सिंह ने कहा, ‘‘राष्ट्रवाद का मतलब सिर्फ झंडा फहराना और वंदेमातरम गाना नहीं होता है। यह संविधान में आपके भरोसे को दिखाने को लेकर होता है, यह उन संस्थानों के प्रति सम्मान दिखाने को लेकर होता है जिन्होंने देश को लोकतांत्रिक ढांचा दिया है।’’

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