सलमान प्रकरण: घटनास्थल से लिए टायर मोल्ड से मैच होते हैं जिप्सी के टायर मोल्ड
राजस्थान हाईकोर्ट में फिल्म अभिनेता सलमान खान की ओर से घोड़ा फार्म हाउस शिकार प्रकरण में सजा के खिलाफ पेश की गई निगरानी याचिका पर बुधवार को भी सरकार की बहस अधूरी रही। न्यायाधीश निर्मलजीत कौर की अदालत में सरकार की ओर से दूसरे दिन भी अतिरिक्त महाधिवक्ता कांतिलाल ठाकुर ने अपने सहयोगी के.एल. विश्नोई के साथ पक्ष रखा, लेकिन समयाभाव के चलते बहस अधूरी रही।
बहस के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि इस मामले में मुख्य गवाह हरीश दुलानी था, जिसके बयानों की पुष्टि अन्य गवाहों के बयानो से होती है। दुलानी ने जो बताया था, उसी आधार पर वन विभाग ने जांच की और शिकार के घटना स्थल से नमूने लिए थे।
शिकार में जिस जिप्सी का उपयोग किया गया था, उसके तीन टायर के निशान के मोल्ड और वन विभाग के कार्यालय में जब्त जिप्सी के टायर के मोल्ड से मैच होते हैं। इसकी एफएसएल रिपोर्ट भी है, एक टायर के मोल्ड स्पष्ट नही थे, इसीलिए एफएसएल रिपोर्ट में उसका जिक्र नहीं किया गया है। सरकार की बहस गुरुवार को भी जारी रहेगी। जिसमें घटना स्थल पर रात्रि में खेत में कार्य कर रहे किसान के बयान पर बहस की जाएगी।
यह था मामला
गौरतलब है की वर्ष 1998 में घोड़ा फार्म हाउस शिकार प्रकरण में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (जोधपुर जिला) ने 10 अप्रेल, 2006 को सलमान खान को पांच वर्ष के कारावास और 25 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई थी। जिस पर सलमान ने हाईकोर्ट में निगरानी याचिका पेश कर सजा पर स्टे करवाया था। वहीं इस मामले में सह आरोपी रहे गोरधनसिंह को बरी कर दिया गया था, जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने अपील पेश की है।