उत्तर प्रदेश
ससुराल जाकर भी वहीं पीएचडी पूरी कर सकेंगी महिलाएं
आधी आबादी को शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने कई फैसले लिए हैं। महिलाओं और दिव्यांगों के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सिफारिशें प्राप्त होने के बाद यूजीसी एमफिल और पीएचडी प्रोग्राम के नियमों में संसोधन लागू करने जा रहा है। अब महिलाएं शादी या अन्य कारणों के चलते दूसरे शहरों में जाने पर वहां के विश्वविद्यालय में अपने शोध कार्य को स्थानांतरित करा सकेंगी। वहीं, पढ़ाई या मातृत्व में से एक को चुनने की दिक्कत भी खत्म होने जा रही है। सूत्रों के अनुसार यूजीसी इसी सप्ताह इसका नोटिफिकेशन जारी करने जा रहा है।
देशभर के विश्वविद्यालयों में पीएचडी और एमफिल के नियमों में जल्द बदलाव हो जाएगा। महिलाओं और दिव्यांगों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है, जिससे उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। नए नियमों के तहत महिलाओं व 40 फीसदी से अधिक शारीरिक रूप से दिव्यांगों को एमफिल में एक वर्ष और पीएचडी में दो वर्ष का अतिरिक्त समय मिलेगा।
पढ़ाई के दौरान यदि किसी महिला की शादी हो जाती है या गाइड पसंद नहीं आता है तो वह किसी अन्य शहर के विश्वविद्यालय भी स्थानांतरण ले सकेगी। इसमें पीएचडी स्कॉलर्स का सारा शोध व अनुसंधान डाटा भी शिफ्ट करने की अनुमति होगी। वहीं, पढ़ाई के दौरान अक्सर महिलाओं को मातृत्व सुख से वंचित रहना पड़ता था। क्योंकि पीएचडी या एमफिल की पढ़ाई के दौरान पर्याप्त छुट्टी न मिलने और पढ़ाई बाधित होने के चलते महिला स्कॉलर्स बच्चे पैदा करने को तवज्जो नहीं देती थीं। महिलाओं की इन्हीं दिक्कतों को समझते हुए अब नए नियम के तहत तीन या छह महीने नहीं, बल्कि 240 दिनों का मातृत्व अवकाश या शिशु देखभाल अवकाश की अनुमति मिलेगी। यह नियम इसी सत्र से लागू होंगे।
इसके अलावा सरकार महिलाओं को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अधिक से अधिक जोड़ने के लिए पोस्ट डॉक्टरल अध्येतावृत्ति, सामाजिक विज्ञानों में अनुसंधान के लिए स्वामी विवेकानंद एकल महिला छात्रवृत्ति, महिलाओं का नामांकन पोस्ट डॉक्टरल -डॉक्टरल और उसके फीडर स्तरों पर आगे बढ़ाने के लिए स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में इंदिरा गांधी महिला स्नातकोत्तर छात्रवृति योजना भी लागू करने जा रही है।
देशभर में पीएचडी प्रोग्राम में महिलाओं के रजिस्ट्रेशन का औसत महज 39 फीसदी है। शादी या अन्य कारणों के चलते अक्सर महिलाएं एमफिल और पीएचडी की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाती थीं। सरकार का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को घर, समाज के साथ जोड़ते हुए उनके उच्च शिक्षा के सपने को पूरा करवाना है। सरकार की योजना है कि महिलाओं का पीएचडी में 39 फीसदी से आंकड़ा निकट भविष्य में आगे बढ़ाया जाए।