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सुप्रीम कोर्ट का रिजर्व बैंक को आदेश, ‘दो डिफॉल्टरों की सूची’

दस्तक टाइम्स एजेंसी/सरकारी बैंकों का बढ़ते वित्तीय घाटे के बीच अब उच्चतम न्यायालय की नजर बड़े डिफॉल्टरों पर आ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक को आदेश देते हुए कहा है कि उसे उन सभी डिफॉल्टरों की सूची उपलब्‍ध कराई जाए जिन्होंने सरकारी बैंको से 500 करोड़ रुपए का लोन लेकर डिफॉल्ट किया है।supreme-court-52aeb917c9f0e_exlst (1)

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी बैंकों के बढ़ते घाटे को लेकर समाचार पत्रों में आई खबरों को देखने के बाद यह निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आरबीआई से ऐसे डिफॉल्टरों की लिस्ट मांगी है। एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी बैंकों का कुल 1,14,000 करोड़ रुपए बाजार में फंस गया है।

आपको बताते चले कि सरकारी बैंकों के बढ़ते घाटे को लेकर वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भी च‌िंता जताई है। यही नहीं उन्होंने सरकारी बैंकों को और ज्यादा आधुनिक बनाने को लेकर उसकी अंशधारिता घटाकर 51 फीसदी तक लाने की बात कही है। देश में इस समय 28 सरकारी बैंक है जिनपर लगातार एनपीए बढ़ता जा रहा है।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने भी बैंकों को मार्च, 2017 तक का समय दिया है कि वे अपनी बैलेंस शीट को दुरुस्त कर उन डूबे कर्जों का भी बंदोबस्त करें।

 
 

सरकारी बैंकों का एनपीए एक अरसे से उनके गले की हड्डी की तरह रहा है, जो कई बार सरकारों के लोकप्रिय फैसलों की वजह से उठाना पड़ा तो कई बार इसके पीछे राजनीतिक दबाव भी रहे हैं।

आखिरकार इन बैंकों में बड़े तौर पर हमारा और आपका पैसा होता है और अलग-अलग स्तर पर इनको अधिकार होता है इस पैसे से कर्ज देने का। आज जब ये साबित हो रहा है कि उनमें से एक बहुत बड़ी रकम के वापस आने की गुंजाइश नहीं है, तो सवाल एक बार फिर सिस्टम का है, लेकिन ये बड़ी चिंता की बात है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक मंदी का हवाला देनी वाली सरकारों के क्या राष्ट्रीय बैंक खुद कमजोर होते जा रहे हैं।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक उन सार्वजनिक बैंकों का जिनके शेयर बाजार में खरीदे-बेचे जाते हैं, दिसंबर तिमाही तक उनका डूबा कर्ज एक हजार अरब पहुंच चुका है और ऐसे बैंकों के स्टॉक में 29 फीसदी तक गिरावट आई है।

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