जलीकट्टू मामले पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि क्या परंपरा के नाम पर बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को इजाजत देनी चाहिए? न्यायधीश दीपक मिश्र और आर.एफ नरीमन की बेंच ने कहा कि यदि मामले की पार्टियां कोर्ट को विश्वास दिला सकें कि इससे पहले का फैसला गलत था तो यह मामला बड़ी बेंच को रेफर कर दिया जाएगा।
बेंच ने कहा कि ‘सिर्फ इसलिए कि खेल ( जलीकट्टू ) सदियों पुरानी प्रथा है इसका मतलब यह नहीं कि यह वैध है अथवा का कानून के अंतर्गत यह स्वीकार्य भी होगा। सदियों पहले जो बच्चे 12 साल से कम की आयु के थे उनकी शादी भी कर दी जाती थी। तो क्या इसका मतलब यह हुआ कि बाल विवाह वैध है?’
न्यायालय जलीकट्टू की संवैधानिक वैधता के मामले पर सुनवाई 30 अगस्त को करेगा।