स्वास्थ्य

सोरायसिस के बढ़ते खतरे

हमारे देश में आम तौर पर सोरायसिस (अपरस) को लेकर जागरुकता नहीं है। सोरायसिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो त्वचा पर खुजली और जलन का कारण बनती है। आहार और मौसम सहित कई कारक इस त्वचा रोग को बढ़ा सकते हैं। सोरायसिस एक जटिल त्वचा रोग है जो काफी सामान्य है लेकिन कई लोगों को इस बीमारी के मनोवैज्ञानिक बोझ का पता नहीं है, जिसकी वजह से इसके मरीज़ इलाज के लिए परेशान हो जाते हैं और कमजोर पड़ जाते हैं।सोरायसिस के बढ़ते खतरे

अधिकतर लोग केवल इतना जानते हैं कि सोरायसिस में स्किन पर खुजली, लाल दाने हो जाते हैं लकिन क्या आप जानते हैं कि त्वचा पर होने वाले इन दानों में तेज दर्द हो सकता है और इनका आकार बढ़ सकता है। भारत में यह बीमारी हर साल 2-4 फीसदी यानि 10 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करती है। डायबिटीज और कैंसर के विपरीत, लोग इस बीमारी के प्रति ज्यादा जागरूकता नहीं है। कई लोग ऐसा सोचते हैं कि यह रोग गर्मियों में होता है लेकिन आपको बता दें कि सर्दियों में भी यह रोग हो सकता है। सर्दियों में ड्राइनेस से आपकी स्थिति और गंभीर हो सकती है। सर्दियों में ठंडी हवा, कम ह्यूमिडिटी और धूप नहीं होने से स्किन ड्राई हो सकती है और खुजली हो सकती है।

आपको बता दें कि इसका खतरा केवल पुरुषों को ही नहीं बल्कि महिलाओं को भी होता है। क्योंकि दोनों इस रोग से समान रूप से प्रभावित होते हैं। इसके अलावा, यह सभी आयु समूहों में हो सकता है, लेकिन मुख्यतः यह वयस्कों को प्रभावित करता है। इसमें रोगी अक्सर अपने आपको कवर करके रखते हैं। त्वचा को छिपाने के लिए लंबे कपड़े पहनते हैंहालांकि इससे जल्दी राहत पाने के लिए आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

उपचार

सोरायसिस के लिए तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है अन्यथा इसके प्रभाव के बढ़ जाने से पीड़ित की जान तक को ख़तरा बना रहता है। वहीं आयुर्वेद में भी इसके कई उपचार हैं।

सोरायसिस का देशी आयुर्वेदिक इलाज 

रात को सोने से कुछ देर पहले आप 10 बादाम की गिरी लें और उन्हें अच्छी तरह पीसकर पाउडर बनायें. आप इन्हें 1 से ½ ग्लास पानी में कुछ देर उबलने के लिए छोड़ दें और ठंडा हो जाने पर रोगी के घावों पर लगाएं। आप इसे रात भर रोगी के शरीर पर ही लगा रहने दें और सुबह उठकर शरीर को साफ़ करे। इस उपचार से सोरायसिस के इलाज के लिए अच्छे परिणाम मिले है।

चन्दन ठीक बादाम की ही तरह आप एक चम्मच चंदन का पाउडर तैयार कर लें और उसे करीब 600 मिलीलीटर पानी में अच्छी तरह उबालें। जब आपको लगे कि 200 मिलीलीटर पानी ही बचा हुआ है तो आप उसे उतारे और ठंडा होने दें। इस पानी में आप शक्कर और थोडा गुलाबजल डालकर मिलाएं। इस तरह रोगी के लिए एक उत्तम दवा तैयार है, इससे अधिक से अधिक लाभ पाने के लिए रोगी को इसे दिन में 3 बार बनाना और पीना है।

पत्ता गोभी भी सोरायसिस के इलाज में बहुत असरदार होती है। इससे इलाज के लिए आपको पत्तागोभी का ऊपर वाला पत्ता लेना है और उससे पानी से साफ़ करना है. अब आप इसे हाथों के बीच लाकर सपाट करें और हल्का सा गर्म कर लें। आप इस पत्ते को सोरायसिस से प्रभावित हिस्से पर रखें और पत्ते के ऊपर सूती कपडा लपेट दें. इस तरह आपको इस उपाय को दिन में 2 बार अपनाना है, ये उपाय आपको जबरदस्त तरीके से फायदा पहुंचाता है।

इसके अलावा पत्तागोभी का रोजाना सुबह शाम सूप बनाकर पियें। इससे भी आपको योग्य परिणाम देखने को मिलेंगे। नींबू आप एक कटोरी में नींबू रस निकाल लें और उसमें नींबू रस की आधी मात्रा में पानी मिलाएं। इस मिश्रण को अच्छी तरह मिला लेने के बाद आप इसे उस जगह लगायें जहाँ सोरायसिस हुआ है। इस रस को आपको हर 4 घंटे के बाद प्रयोग में लायें।

शिकाकाई आप पानी में कुछ मात्रा में शिकाकाई मिलाएं और उसे उबलने दें। जब पानी आधा रह जाएँ तो आप इस पानी को सोरायसिस के धब्बों पर लगायें। इससे भी तुरंत आराम मिलना आरम्भ हो जाता है।

केले के पत्ते पत्ता गोभी की तरह केले के पत्तों का इस्तेमाल भी सोरायसिस के उपचार के लिए किया जाता है। इसका उपयोग करने के लिए रोगी अपने शरीर के उस स्थान पर पत्तों को बांधें जहाँ सोरायसिस हुआ है। पत्तों के ऊपर सूती कपड़ा लपेटना बिलकुल भी ना भूलें। ये शीघ्र ही आपको लाभ पहुंचाता है।

हर रोग पर वातावरण और मौसम का प्रभाव पड़ता है और शरीर को भी मौसम के बदलाव के साथ बदलाव की जरूरत होती है. इसलिए अगर आपको सोरायसिस सर्दियों के मौसम में हुआ है तो आप दिन में करीब 3 लीटर पानी अवश्य पियें और अगर आपको सोरायसिस गर्मियों के दिन में हुआ है तो आप 5 से 6 लीटर अवश्य पियें।

एक अन्य उपचार में सोरायसिस हो जाने के शुरूआती 15 दिनों तक सिर्फ फलाहार ग्रहण करना होता है और उसके बाद उन्हें अधिक से अधिक दूध और फलों का रस पीना होता है. इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढती है और रोगी को आराम मिलना शुरू हो जाता है। सोरायसिस के रोगियों को अपने खाने में नमक के सेवन को बिलकुल बंद कर देना चाहियें, जबकि संक्रमित भाग को रोजाना नमक मिश्रित पानी से साफ़ करने से रोगी को आराम मिलता है। कोई भी नशा जैसेकि शराब, धुम्रपान, गांझा इत्यादि शरीर, गले, फेफड़े और त्वचा के लिए हानिकारक होता है। इनका उपयोग सोरायसिस के प्रभाव को बढ़ा सकता है। इसलिए आपको कोशिश करनी चाहियें कि आप इस सब नशों से दूर ही रहें। 

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