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‘हमें पीओके नहीं चाहिए, तुम भी हमारा कश्मीर लेने की कोशिश न करो’

litfest-561897ac8a62e_exlstदस्तक टाइम्स/ एजेंसी. कसौली (सोलन) : बेबाकपन और जिंदादिली की मिसाल मशहूर लेखक स्वर्गीय खुशवंत सिंह के चौथे लिटफेस्ट में भारतीय और पाकिस्तानी हस्तियों ने सीमा पर शांति और दोनों मुल्कों में आपसी सौहार्द पर जोर दिया। मंच साझा कर रहे भारतीय वक्ताओं ने पाकिस्तानी मेहमानों से कहा- ‘हमें पाक अधिकृत कश्मीर नहीं चाहिए, लेकिन तुम भी हमारा कश्मीर लेने की कोशिश न करो।’

खुशवंत सिंह के बेटे राहुल सिंह ने लिटफेस्ट का शुभारंभ किया। इसके बाद दोनो मुल्कों के प्रतिनिधियों ने मंच साझा किया और खुशवंत सिंह को याद करते हुए सरहद पर तनाव को कम करने की अपील की। लिटफेस्ट में भारत और पाकिस्तान से कई नामी हस्तियां पहुंची हैं।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला ने मंच पर बेबाकी से पाकिस्तानी मेहमानों को अपने यहां अमन का पैगाम फैलाने का आह्वान किया। मंच पर उन्होंने कहा कि हमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर नहीं चाहिए, लेकिन तुम भी हमारा कश्मीर लेने की कोशिश न करो।

दोनों मुल्क में ऐसा सौहार्द होना चाहिए कि आने-जाने वालों को वीजा न लगाना पड़े। अल्लाह ऐसा समय दिखाए कि यूरोपीयन देशों की तरह हम भी एक-दूसरे के मुल्क में बिना वीजा के घूम सकें। इसका समर्थन मंच सांझा कर रहे खुशवंत सिंह के भतीजे पम्मी सिंह, सुदीप सिंह और सुदीप सेन ने भी किया।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (ओयूपी) पाकिस्तान की मैनेजिंग डायरेक्टर अमीना सईद ने कहा कि सरदार (खुशवंत सिंह) हमेशा दोनों देशों के बीच सौहार्द कायम करना चाहते थे। तनावपूर्ण माहौल में इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए अब पाकिस्तानी प्रेस उनकी ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’ पुस्तक को पाकिस्तान में पब्लिश करेगी। यूएस में पाकिस्तान एंबेसडर रही सैयदा आबिदा हुसैन ने कहा कि खुशवंत सिंह की हमेशा कोशिश रहती थी कि बॉर्डर के उस पार और इस पार शांति रहे।

पाकिस्तानी मेहमान ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस की एमडी अमीना सईद ने सदी के महान लेखक को अपने ही अंदाज में श्रद्धांजलि दी। कहा कि भारत में 1980 में खुशवंत सिंह से पहली मुलाकात उन्हें आज भी याद है। शाम को दारू पीने का निमंत्रण और वहा पहुंचने पर उनसे पहली मुलाकात के गंदे जोक्स कभी नहीं भूले।

जब उन्हें 2006 में पंजाब रत्न अवार्ड मिला तो पाकिस्तान से जिन दो दोस्तों को बुलाया था वह उनमें से एक थीं। पाकिस्तानी राजनयिक सैयदा आबिदा हुसैन ने कहा कि खुशवंत सिंह से उनकी पहली मुलाकात भारत में एक समारोह में हुई। जहां….उनके शब्द ओ भी मैनूं सोहनी लगदी है ते तू भी मैनू सोहनी लगदी है.. अभी तक नहीं भूले।

उनका व्यक्तित्व आकर्षक था और लेखनी प्रभावी। यही कारण है कि वह आज भी हमारे बीच जिंदा हैं। बिशन सिंह बेदी ने खुशवंत सिंह से मुलाकात को याद करते हुए कहा कि सरदार जी को क्रिकेट से नफरत थी। वह इसे 11 बेवकूफ लोगों का खेल मानते थे और सबसे बड़ा बेवकूफ टीम के कैप्टन यानी बिशन सिंह बेदी को मानते थे।

 

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