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हर इस्तेमाल के बाद धुलेंगे रेलवे के कंबल
एजेंसी/रेल यात्रियों के लिए राहत भरी खबर है कि उन्हें रेलवे के बदबूदार कंबलों से जल्द ही निजात मिल जाएगी। विभाग ने अब इन्हें हर इस्तेमाल के बाद धोने का फैसला किया है।
इसके लिए ट्रेनों में वजन में हल्के और मुलायम कपड़े के कंबल दिए जाएंगे, जिन्हें धोना आसान होगा। अभी कंबलों महीने में एक या दो बार धोया जाता है। इसका एक बड़ा कारण वर्तमान में ट्रेनों में दिए जाने वाले कंबलों का बहुत भारी होना भी है।रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कंबलों के गंदे होने को लेकर बहुत शिकायतें आ रही थीं। इसी को देखते हुए तय किया गया कि जल्द ही ऐसे कंबल इस्तेमाल में लाए जाएंगे, जिन्हें रोज धोया जा सके।
नए कंबल ऊन और कपास के बने हैं तथा इन्हें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (एनआईएफटी) ने डिजाइन किया है।
नए कंबल ऊन और कपास के बने हैं तथा इन्हें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (एनआईएफटी) ने डिजाइन किया है।
पहले इन्हें कुछ चुनी हुई प्रीमियर ट्रेनों में दिया जाएगा। बाद में कई और ट्रेनों में भी इसी तरह के कंबल बांटे जाएंगे। उन्होंने बताया कि कई स्टेशनों पर मशीनी लांड्री स्थापित की गई है ताकि बेडरोल की रोज धुलाई हो सके। इसके साथ ही अब कंबलों के साथ पूरे बेडरोल का रंग रूप बदला-बदला नजर आएगा।
रेलवे ने चादर और तकियों के गिलाफ भी इंस्टीट्यूट से डिजाइन कराए हैं। दरअसल एक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार यात्री सफेद की जगह रंगीन बेडरोल को प्राथमिकता देते हैं।