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हर साल 50 लाख कमाएगी गाद से बनी गैस, जानिए

हरिद्वार: हरिद्वार जल संस्थान में अनूठा काम होने जा रहा है। जल संस्थान के अधिशासी अभियंता अजय कुमार की पहल पर अब एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) में सीवरेज जल के शोधन से निकलने वाली स्लज (गाद) से न केवल गोबर गैस तैयार होगी, बल्कि इसके व्यावसायिक इस्तेमाल से सरकार को हर वर्ष 50 लाख तकका राजस्व भी मिलेगा। योजना को शासन से स्वीकृति मिलने की बाद अब टेंडर निकालने की तैयारी है। हर साल 50 लाख कमाएगी गाद से बनी गैस, जानिए

हरिद्वार में सीवरेज जल के शोधन को तीन एसटीपी लगी हैं। इनमें से दो 18 व 27 एमएलडी की जगजीतपुर और 18 एमएलडी की सराय में है। जगजीतपुर में 18 एमएलडी की एसटीपी वर्ष 1990 और 27 एमएलडी की वर्ष 2010 में लगी। इन सभी से सीवरेज जल के शोधन के बाद बड़ी मात्रा में स्लज (गाद) निकलती है। जिसका निस्तारण हमेशा जल संस्थान के लिए मुसीबत का सबब बना रहा। बीते 27 वर्षों से इसके वैज्ञानिक निस्तारण को लेकर न तो किसी ने कोई प्रयास किया और न कोई सोच ही विकसित की। नतीजा, हर वर्ष निकलने वाली टनों गाद और उससे बनने वाली गोबर गैस को जलाकर नष्ट कर दिया जाता रहा। इससे प्रदूषण तो फैलता ही है, कीमती गैस भी नष्ट होती है। 

अब इस मामले में जल संस्थान ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हुए नई पहल की है। जल संस्थान के अधिशासी अभियंता अजय कुमार ने बताया कि स्लज से गोबर गैस बनाने और उसके व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए विश्व स्तर पर इसे लेकर होने वाले प्रयोगों का अध्ययन किया गया।  इस बाबत शासन को भेजे प्रस्ताव में स्लज से गोबर गैस बनाने की तैयारी, उसके व्यावसायिक इस्तेमाल, बिक्री आदि का विस्तृत ब्योरा दिया गया था। प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है और अब जल संस्थान मार्केट सर्वे कर ‘अभिरुचि टेंडर’ निकालने की तैयारी में है। जो कंपनियां इस काम में रुचि दिखाएंगी, उनसे काम के बदले राजस्व की डिमांड संबंधी टेंडर मांगे जाएंगे। उन्होंने दावा किया कि जगजीतपुर स्थित 18 व 27 एमएलडी वाली एसटीपी से निकलने वाली स्लज के इस्तेमाल से तैयार गैस से हर वर्ष 50 लाख तक का राजस्व मिलने की उम्मीद है। इसके लिए निकलने वाली स्लज की कुल वास्तविक मात्रा की गणना की जा रही है।  

जगजीतपुर में लगा है गोबर गैस प्लांट 

सीवरेज जल के शोधन से निकलने वाली स्लज से गोबर गैस बनाने के लिए संसाधन जगजीतपुर एसटीपी में पहले से ही उपलब्ध हैं। वर्ष 1990 में 18 एमएलडी की एसटीपी के निर्माण के वक्त ही यहां स्लज के निस्तारण को गोबर गैस प्लांट लगाया गया था। लेकिन, इसका उचित इस्तेमाल आज तक नहीं हुआ। इस प्लांट से 27 एमएलडी वाली एसटीपी भी जुड़ी हुई है और जरूरत पडऩे पर इससे प्लांट तक स्लज आसानी से भेजी जा सकती है। 

खाद में भी स्लज का इस्तेमाल 

एसटीपी में सीवरेज जल के शोधन के बाद निकलने वाली स्लज का इस्तेमाल खाद के रूप में भी किया जा सकता है। अधिशासी अभियंता अजय कुमार बताते हैं कि स्लज से तैयार खाद बेहद उपजाऊ होती है और इसकी मांग भी काफी है। 

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