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हिंदी की बिंदी में उलझ गए बीजेपी के पूर्व मंत्री, दिग्‍गी राजा ने भी ली चुटकी

katheria1नई दिल्‍ली। ये भाजपा के पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री हैं तो एक विश्वविद्यालय में हिन्‍दी के प्रोफेसर। विवादों से जुड़े रहना इनकी आदत में शुमार है। कभी बयानबाजी तो कभी ट्विट को लेकर यह चर्चाओं में रहते हैं। ताजा मामला प्रोफेसर साहब के हिंदी ज्ञान को लेकर है। हिंदी के प्रोफेसर होते हुए भी सांसद रामशंकर कठेरिया हिंदी की बिंदी में उलझ गए हैं। उलझे भी ऐसे कि कांग्रेस के दिग्‍गी राजा ने भी उन पर कमेंट करने का कोई मौका नहीं छोड़ा।

अभी कुछ दिन पहले आगरा से भाजपा सांसद और एचआरडी मंत्रालय में मंत्री रहे रामशंकर कठेरिया ने हिन्‍दी में एक ट्वीट किया था। ट्विट आगरा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लेकर था। सांसद के उस ट्विट पर निगाह डालें तो इंटरनेशनल, एयरपोर्ट, मंत्रालय आदि शब्‍दों को गलत लिखा था। जिस पर एनएसयूआई के राष्‍ट्रीय महासचिव अमित सिंह ने टिप्‍पणी कर दी। उन्‍होंने तुरंत एक ट्वीट करते हुए कहा कि यह हैं हिंदी के प्रोफेसर और पूर्व एचआरडी मंत्री पर नहीं लिख पाते हैं मातृभाषा। फिर क्‍या था देखते ही देखते इस विषय पर बहस छिड़ गई।

इसी बीच अमित सिंह के इस ट्वीट को कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह रीट्वीट करके इस बहस में शामिल हो गए। उन्‍होंने चुटकी लेते हुए रीट्वीट कर दिया। इसके बाद तो बहस और तेज हो गई। कांग्रेस के दूसरे कार्यकर्ता भी बहस में कूद पड़े। ट्विटर पर अपनी किरकिरी होते देख एक बार फिर से सांसद महोदय इस बहस में शामिल हो गए। उन्‍होंने फिर से एक ट्विट कर दिया। लेकिन इस ट्विट में पहले वाले ट्विट के लिए न तो कोई अफसोस था और न ही उस मामले में कोई सफाई।

हां इस बहस को खत्‍म करने के मकसद से उन्‍होंने इतना जरूर कहा कि धन्‍यवाद सबका। मैं अपनी हिंदी मातृभाषा को सबसे अधिक जानता हूं और मुझे अपनी टूटी-फूटी ही सही( मोबाइल द्वारा लिखना…। यह लिखकर सांसद ने अपनी बात खत्‍म कर दी। ऐसा नहीं है कि सांसद ने हिंदी की गलती सिर्फ इसी ट्विट में की है। अगर उनके दूसरे और ट्विट पढ़ें तो हिन्‍दी की बहुत सारी गलतियां सामने आती हैं।

सांसद रामशंकर कठेरिया जब से सांसद ने बने हैं तभी से उनकी डिग्रियों को लेकर सवाल उठते रहे हैं। मामला कोर्ट में भी पहुंच गया था। आरोप है कि सांसद की कुछ डिग्रियां फर्जी हैं। सांसद महोदय डॉ बीआर अंबेडकर विश्‍वविघालय, आगरा में हिन्‍दी के प्रोफेसर हैं। विश्‍वविद्यालय के आवास में रहने को लेकर भी मुद्दा बन चुका है।

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