उत्तर प्रदेशराज्य

हिंदू, मुस्लिम व सिख धर्म के पहलवानों के सद्भाव भरे दंगल में जीत गई परंपरा

लखनऊ। गंगा जमुनी विरासत को अपने आंचल में संजोए शहर-ए-लखनऊ में सोमवार को सद्भाव के दंगल में एकता और भाईचारे का दांव लगा तो एक बार फिर सदियों पुरानी परंपरा जीवंत हो गई। एक ओर जहां क्रिसमस के उल्लास में सभी शरीक हो रहे थे तो दूसरी ओर आरडीएसओ मैदान में पहलवान दंगल में दांव लगाए जा रहे थे।हिंदू, मुस्लिम व सिख धर्म के पहलवानों के सद्भाव भरे दंगल में जीत गई परंपरा

जयकरन पहलवान, उसमान और संत कंवर जीत सिंह ने 1957 में शौहार्द और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए आलमबाग में दंगल की शुरुआत की थी। उसके बाद जगह बदली, लेकिन परंपरा कायम रही। तीनों के निधन के बाद निवासियों ने इसे आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। हर वर्ष 25 दिसंबर को ईसाई समाज के लोगों के पर्व क्रिसमस पर एकता के दंगल में भाईचारे की दास्तां लिखी जाती है। सभी धर्मों के लोग मिलजुलकर हिस्सा लेते हैं। जयकरन पहलवान, उस्मान खान एवं संत कंवरजीत सिंह स्मारक समाज कल्याण समिति की ओर आयोजित हुए दंगल में राजधानी के साथ ही दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, गोरखपुर, वाराणसी व सैफई के पहलवान ने दो-दो हाथ किए।

कुश्ती से पहले संकल्प लंगर

कुश्ती के दांव से पहले यहां तेजपाल कोहली के संयोजन में एकता के संकल्प का लंगर लगाया गया। लंगर में खिलाड़ी ही नहीं आसपास के लोग भी प्रसाद ग्रहण करते हैं। समिति के डॉ.देशदीपक पाल ने बताया यह परंपरा पिछले 60 वर्षों से कायम है। समिति के अध्यक्ष रमेश पहलवान के साथ ही बद्री विशाल शुक्ला, रवि अवस्थी, अभय सिंह, शैलेंद्र पाल, ताज मुहम्मद, आशीष सोनकर व प्रशांत मिश्रा के साथ ही आलमबाग के लोग मिलकर लंगर में शिरकत करते हैं।

महिलाओं ने भी लगाए दांव

दंगल में पुरुष पहलवानों के साथ ही महिला पहलवानों ने भी हिस्सा लिया। खुली कुश्ती होने की वजह से हर कोई किसी से भी लडऩे के लिए तैयार होता है, लेकिन समिति के लोग दंगल का फैसला स्वयं करते हैं। 100 से अधिक पहलवानों ने दंगल में हिस्सा लिया और देर शाम तक कुश्तियों का दौर चलता रहा। डॉ.देशदीपक पाल का कहना है कि सभी पहलवानों को मौका दिया गया।

सांसद ने भी दिया टिप्स 

 महिला-पुरुष पहलवानों को राष्ट्रीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष व सांसद बृज भूषण सिंह ने कुश्ती के दांव पेच बताए। पहली बार अंकों के आधार पर हुई कुश्ती देर रात तक चलती रही। 55, 65 व 75 किग्रा वर्ग में पुरुषों और 55 और 60 किग्रा वर्ग में महिला पहलवानों ने जीत के दांव लगाए। प्रथम तीन विजेताओं को क्रमश: 15000, 10000 और 7500 रुपये का नगद पुरस्कार दिया गया।

गोंडा की महिला पहलवान रहीं विजयी

55 किग्रा महिला वर्ग में अंजू गोंडा-प्रथम, बेबी गोडा-द्वितीय और मेरठ की ऋशु व गोंडा की सुधा तीसरे स्थान पर रहीं। 60 किग्रा वर्ग में गोंडा की भारती बघेल को पहला, मेरठ की नीलम को दूसरा और हरियाणा की मुकेश और गोंडा की आंचल तीसरा स्थान मिला। 55 किग्रा पुरुष वर्ग में गोंडा के राहुल पहले, जौनपुर के गौतम दूसरे और गोंडा के मनोज और राजधानी के रविंदर तीसरे स्थान पर रहे। 65 किग्रा वर्ग में धनंजय यादव को पहला, राजधानी के संतोष को दूसरा और गोरखपुर के राम प्रवेश और गोंडा चंदन को तीसरा स्थान मिला। 75 किग्रा वर्ग में वाराणसी के गौरव पहले, मेरठ के आशीष दूसरे और वाराणसी के द्रोण पाल व गोंडा के शिव कुमार तीसरे स्थान पर रहे। 75 किग्रा से अधिक में हरियाणा के अमित विजयी रहे तो गोंडा के रोहित दूसरे और वाराणसी के वीरेंद्र व अर्जुन तीसरे स्थान पर रहे।

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