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11 साल की बच्ची थी स्कूल टीचर, सरकार ने अब ‘एक हफ्ते’ के लिए भेजा शिक्षक!

पटियाला। पंजाब के पटियाला के बल्लमगढ़ गांव में शिक्षा की बदहाल सूरत दिखाई दी है। पटियाला के समाना ब्लॉक के गांव बल्लमगढ़ का एक कमरे का एलीमेंट्री स्कूल मीडिया में चर्चा का विषय बन गया है। पहली से पांचवीं तक के इस स्कूल में कुल 43 स्टूडेंट हैं और इन्हें पढ़ाने वाली टीचर 11 साल की सोनिया हैं। सोनिया स्कूल की अकेली टीचर और पांचवीं की स्टूडेंट भी हैं।

सरकार ने बल्लमगढ़ गांव में डेप्युटेशन  पर एक टीचर भेज दिया है लेकिन ऐसी जानकारी है कि ऐसा सिर्फ एक हफ्ते के लिए किया गया है। गांव की पंचायत ने यह दावा किया।

11 साल की बच्ची थी स्कूल टीचर, सरकार ने अब

स्कूल में पढ़ाने वाली बच्ची शौकिया टीचर नहीं बनी, मजबूरी है। मार्च में इस स्कूल के एकमात्र टीचर सतगुरु सिंह का निधन हो गया। उसके बाद से सरकार ने कोई टीचर नहीं लगाया। गांववाले कई बार जिला शिक्षा अधिकारी के पास गए लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। स्कूल एक महीने ठप्प रहा। बच्चों की पढ़ाई खराब हो रही थी। यह देख पंचायत ने स्कूल की सबसे होनहार स्टूडेंट को ही टीचर बनाने का फैसला किया।

पांचवीं में सोनिया समेत दो स्टूडेंट हैं। इनमें गांव के ही किसान की बेटी सोनिया को चुना गया। सोनिया कहती हैं कि शुरू में बच्चों को पढ़ाती थी तो वे मेरी कोई बात ही नहीं मानते थे। मैं कहती कुछ, वे कुछ और करते। खूब शोर भी करते थे। मैंने ये बात पंचायत को बताई तो उन्होंने रोजाना स्कूल में दो-दो बुजुर्गों की ड्यूटी लगानी शुरू कर दी। अब बुजुर्ग क्लास में एक साइड में कुर्सियां लगाकर बैठ जाते हैं, तब मैं पढ़ाती हूं। मैं उन्हें होमवर्क भी देती हूं।

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11 साल की मासूम सोनिया ने टीचर बनकर स्कूल में पढ़ाना शुरू किया तो सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चों को संभालने में हुई। वे सोनिया की नहीं सुनते थे और खूब शोर मचाते थे। यह देख पंचायत ने दो बच्चों को कंट्रोल करने के लिए दो बुजुर्गों की ड्यूटी लगा दी। ये दोनों डंडे लेकर क्लास में बैठते है जिसके डर से बच्चे चुप रहते हैं। यही नहीं मिड-डे मील में भी गांव के लोग ही मदद करते हैं जिसके बाद बच्चों को दोपहर में खाना खिलाया जाता है। पिछले चार महीने से सोनिया स्कूल की टीचर बनी हुई है। पंजाब में शिक्षा की हालत खराब क्यों हैं, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण ये तस्वीर है।

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पटियाला जिले में ही 149 स्कूल ऐसे हैं जहां टीचर्स की कमी है। वहीं बल्लमगढ़ गांव के सरपंच गुलाब सिंह का कहना है कि वो काफी वक्त से सरकारी अफसरों के पास स्कूल को एक टीचर देने के लिये धक्के खा रहे है लेकिन कोई अधिकारी उनकी नहीं सुन रहा और बच्चे पढ़ाई छोड़ कर स्कूल से भाग रहे है।

वहीं, गांव के नम्बरदार (गांव में सरकार की और से नियुक्त प्रतिनिधि) का कहना है कि यूं तो कहने को चुनी हुई सरकार हमारी अपनी है लेकिन ये सरकार एक टीचर स्कूल में रखने तक के लिये तो हमारी सुन नहीं रही।

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वहीं, बल्लमगढ़ स्कूल की ये हकीकत सामने आने के बाद इलाके के जिला शिक्षा अधिकारी और डीसी ने इस मामले पर चुप्पी साध ली है लेकिन पटियाला के बल्लमगढ़ के इस स्कूल की हकीकत ने पंजाब की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है।

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