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2 घंटे तक ईडी ने की वाड्रा से पूछताछ, थोड़ी देर बाद फिर शुरू होगी कार्रवाई


नई दिल्ली : बेनानी संपत्ति के मामले में आज फिर से रॉबर्ट वाड्रा से करीब 2 घंटे तक पूछताछ हुई। फिलहाल, पूछताछ खत्म नहीं हुई है, वाड्रा लंच के लिए गए हैं। इससे पहले बुधवार को भी वाड्रा से 6 घंटे तक पूछताछ हुई थी। हालांकि, सूत्र बताते हैं कि बुधवार की पूछताछ के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को संतोषजनक जवाब नहीं मिले हैं। जिसके चलते आज फिर से वाड्रा ईडी के समक्ष पेश हो रहे हैं। बता दें कि अदालत के निर्देश पर वाड्रा ईडी के समक्ष पेश हुए थे। वाड्रा को इसके अलावा बीकानेर जमीन घोटाले में भी 12 फरवरी को पूछताछ के लिए ईडी के सामने पेश होना है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जिस तरह रॉबर्ट वाड्रा सवालों का सही-सही जवाब देने से कन्नी काट रहे हैं, उसके बाद अदालत से उनसे हिरासत में लेकर पूछताछ करने की इजाजत मांगी जा सकती है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रॉबर्ट वाड्रा से मुख्यतौर पर लंदन स्थित बेनामी संपत्तियों के बारे में पूछताछ की जा रही है। संजय भंडारी के खिलाफ विदेश में छिपाए गए काले धन की जांच के दौरान आयकर विभाग को वाड्रा की इन संपत्तियों का पता चला था। शुरुआती पूछताछ में संजय भंडारी ने लंदन की एक प्रापर्टी के वाड्रा से संबंधित होने की बात स्वीकार की थी। लेकिन उसके बाद संजय भंडारी देश से फरार हो गया है, लेकिन आयकर से मिले दस्तावेजों के आधार पर ईडी ने मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत इसकी जांच शुरू की थी। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वाड्रा की लंदन में एक दर्जन से अधिक बेनामी संपत्ति होने के सुबूत मिले हैं। इनके बारे में उनसे सवाल पूछे जा रहे हैं। इनमें एक प्रॉपर्टी लंदन स्थित 12 ब्रायंस्टन स्कवायर है। 2010 में लंदन स्थित सुमित चड्ढा ने वाड्रा को मेल कर संपत्ति के नए सिरे से मरम्मत किए जाने की जरूरत बताई। जवाबी ईमेल में वाड्रा की ओर से इजाजत मिलने पर सुमित चड्ढा ने मरम्मत का पूरा प्लान भेजा। इसे वाड्रा ने हरी झंडी दे दी। इसके बाद पैसे की दिक्कत का हवाला देकर सुमित चड्ढा ने पैसे भेजने को कहा। इसके जवाब में वाड्रा ने मनोज अरोड़ा के मार्फत पैसे की इंतजाम का भरोसा भी दे दिया। इसकी मरम्मत पर लगभग 32 लाख रुपये का खर्च आया। सबसे खास बात यह है कि 2010 में यह संपत्ति संजय भंडारी के नाम थी। सुमित चड्ढा और वाड्रा के बीच ईमेल पर हर बातचीत की कॉपी संजय भंडारी को भी भेजी जा रही थी। वहां से वह आयकर विभाग के हत्थे चढ़ गई। बताया जाता है कि बाद में इस संपत्ति को दुबई में रहने वाले शिशिर थम्पी को बेच दी गई थी। वाड्रा से इन सारे बिंदुओं पर सवाल पूछे गए। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि संजय भंडारी, सुमित चड्ढा और शिशिर थम्पी तो विदेश में है, लेकिन मनोज अरोड़ा से कई दौर की पूछताछ की जा चुकी है। वैसे तो वाड्रा लंदन की संपत्ति और संजय भंडारी से संबंध से इन्कार कर रहे हैं, लेकिन ईमेल पर बातचीत पर साफ-साफ जवाब नहीं दे पा रहे हैं। उनका यही कहना है कि इस ईमेल के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, वह यह नहीं बता पा रहे हैं कि जिस ईमेल का वे खुद लगातार इस्तेमाल कर रहे थे, उससे किए गए मेल के बारे में उन्हें कैसे जानकारी नहीं है। ईडी के नियमों के मुताबिक वाड्रा को खुद ही ईडी का सवाल भी लिखना पड़ा रहा है और उसका जवाब भी। ध्यान देने की बात है कि ईडी में दिए बयान को अदालत में सुबूत के तौर पर माना जाता है। चूंकि अदालत ने वाड्रा की गिरफ्तारी पर 16 फरवरी तक रोक लगा रखी है, इसीलिए उनसे सिर्फ पूछताछ की जा रही है। 2009 में एक पेट्रोलियम सौदे में वाड्रा की अहम भूमिका बताई जा रही है। इसकी जांच की जा रही है। वहीं, एजेंसी को यह भी सूचना मिली है कि लंदन में कई प्रॉपर्टी रॉबर्ट वाड्रा से संबंधित हैं। इनमें दो घर और छह फ्लैट शामिल हैं। ईडी चाहती है कि वाड्रा आएं और अपनी प्रॉपर्टी के बारे में जानकारी दें। रॉबर्ट वाड्रा ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका में आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ अनुचित, दुर्भावनापूर्ण और अन्यायपूर्ण तरीके से कार्रवाई की जा रही है, जो राजनीति से प्रेरित है। वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अदालत में सवाल उठाया कि क्या एजेंसी को किसी राजनीतिक ब्रिगेड की जांच नहीं करनी चाहिए? क्या ऐसा करना राजनीतिक प्रतिशोध कहलाएगा?

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