विश्वस्तरीय सुविधाओं वाले रेलवे स्टेशनों की धमक 2019 के शुरुआत में ही देशवासियों को देखने को मिल जाएगी। पहला नंबर हबीबगंज का और दूसरा नंबर गुजरात के स्टेशन का है उसके बाद रेलवे देश के कई राज्यों के स्टेशनों को विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस बनाने का काम करेगा जिसमें सराय रोहिल्ला (दिल्ली), गोमती नगर (लखनऊ), कोटा, तिरुपती, नैलूस, एर्नाकुलम, पुदुचैरी, मडगांव और थाणे के स्टेशन होंगे। थाणे वही स्टेशन है जहां देश की पहली ट्रेन 160 साल पहले पहुंची थी। फिलहाल स्टेशनों का उद्धार सेल्फ-फाइनेंसिंग मॉडल के जरिए लागू किया जा रहा है।
इन रेलवे स्टेशनों पर बेहतरीन लांज, जगह-जगह लिफ्ट और एस्केलेटर, बेहतरीन खाने-पीने की सुविधाएं और दुकानें होंगी जिनका मजा ट्रेन में सफर कर रहे यात्री आराम से उठा सकेंगे। इस सुविधा के निर्माण के लिए कंपनी को 45 सालों के लिए जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा। इस जमीन पर होटल, मॉल, मल्टीप्लैक्स, ऑफिस या आवासीय योजना का निर्माण किए जाने की भी बात चल रही है। संभव है कि इस लीज की अवधि को बढ़ाया जा सके, जिससे यह प्रॉजेक्ट
रेलवे स्टेशन पुनर्विकास योजना सरकार और प्राइवेट पार्टनरशिप यानी पीपीपी मॉडल से तैयार किया जा रहा है। और इसी कड़ी में हबीबगंज रेलवे स्टेशन देश का पहला ऐसा स्टेशन है।
चूंकि यह उच्चतकनीक और विश्वस्तरीय स्टेशन होंगे इसलिए इसे तैयार करने के लिए विदेशी कंपनियां भी बड़ा योगदान कर रही हैं। हबीबगंज के रेलवे स्टेशन को जर्मनी के हाईडलबर्ग रेलवे स्टेशन की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। इसका काम आईएसआरडीसी व फर्म बंसल पाथवेज हबीबगंज प्राईवेट लिमिटेड मिलकर कर रहे हैं। हबीबगंज रेलवे स्टेशन के पूरे पुनर्विकास पर करीब 450 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है, इसमें से सौ करोड़ रुपये स्टेशन पर और 350 करोड़ रुपये व्यावसायिक विकास पर खर्च किए जाने हैं।
यह स्टेशन शीशे की गुंबद के आकार का होगा। हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर एयरपोर्ट जैसी सुविधाओं से लैस करने के लिए इसपर यात्रियों के लिए दुकानें, गेमिंग जोन और म्यूजियम आदि भी बनाए गए हैं। इसके साथ ही आलीशान प्रतीक्षालय, फूड प्लाजा, कैफेटेरिया, साफ शौचालयों का निर्माण किया गया है। हबीबगंज रेलवे स्टेशन ग्रीन स्टेशन होगा।
वहीं, गांधीनगर रेलवे स्टेशन प्रोजेक्ट हबीबगंज से थोड़ा अलग होगा और यहां से स्टेशन परिसर के ऊपर एक पांच सितारा होटल के निर्माण किए जाने की भी योजना है। यहां भी यात्रियों को हवाईअड्डे जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। यात्रियों के लिए यहां लगभर 600 सीट लगाई जाएंगी। स्टेशन परिसर के ऊपर बने पांच सितारा होटल में तीन सौ कमरे होंगे, इससे पर्यटकों व व्यवसायियों के लिए काफी सहूलियत मिलेगी। खासकर भविष्य में गुजरात में होने वाली वाइब्रेंट गुजरात सम्मिट के दौरान यह काफी सुविधाजनक रहेगा। पूरे स्टेशन में तीन बिल्डिंग होंगी और यह फूल की पंखुड़ियों के आकार की होंगी।
पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत भारतीय रेलवे करीब 400 स्टोशनों का पुर्नउत्थान करने की योजना बनाई है। हालांकि, इन 10 स्टेशनों के बाद ही दूसरा लॉट तैयार किया जाएगा।
-पहले चरण में दस स्टेशनों के विकास का किया जा रहा है काम
-इसकी लागत होगी लगभग 5000 करोड़ रुपये
-पहले 10 स्टेशन कौन से
दिल्ला का सराय रोहिल्ला , लखनई, गोमती नगर, कोटा, तिरुपती, नेल्लोर, एरनाकुलम, पुडुचेरी, मडगांव और थाणे
– रेल मंत्रालय करीब 400 स्टेशनों को पूर्नविकसित करने के लिए कर रहा है पब्लिक प्राइवेट प्रोग्राम का उपयोग
दिसंबर 2017 में रेलवे ने एनबीसीसी के साथ मिलकर शुरू किया काम।
दिया है।
इस पूरी योजना से जुड़े एनबीसीसी के अधिकारियों का कहना है कि कुछ स्टेशनों पर पुनर्विकास का कार्य 2017 दिसंबर के अंत से ही शुरू किया जा चुका है। इस स्टेशनों को जल्द से जल्द तैयार करने के लिए युद्ध स्तर से काम किया गया और अब मध्यप्रदेश और गुजरात के स्टेशन लगभग तैयार हैं।
भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम (आईआरएसडीसी) के सीईओ व मैनेजिंग डायरेक्टर एसके लोहिया ने बताया कि गांधीनगर व हबीबगंज रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास का काम 2019 के जनवरी या फरवरी तक पूरा होने की उम्मीद है। भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ एसके लोहिया ने कहा कि गांधीनगर रेलवे स्टेशन का काम जनवरी 2019 तक पूरा हो जाएगा। 1 लाख करोड़ रुपए से रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास का काम शुरू किया गया था। इनके रखरखाव, राजस्व उगाही की जिम्मेदारी आईआरएसडीसी के पास है ।
लोहिया ने कहा कि पूरी तरह बनकर तैयार होने के बाद स्टेशन का प्रतिवर्ष रखरखाव खर्च 4 से 5 करोड़ रुपए होगा। अनुमानित राजस्व प्राप्ति 6.5 से 7 करोड़ रुपए है। इसे बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए करने की योजना है। इस स्टेशन को 450 करोड़ रुपए की लागत से नया आकार दिया जा रहा है।