31 को होगा दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा का अनावरण, 4076 मज़दूर, 22500 मीट्रिक टन सीमेंट जाने और भी बहुत कुछ
दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ का परिसर दूधिया रोशनी से दमकने लगा है। वहीं, प्रतिमा सुनहरी रोशनी से दमक रही है। 31 अक्टूबर को प्रतिमा के शुभारंभ से पहले नर्मदा बांध भी रोशनी से दमकता नजर आएगा। 182 मीटर ऊंची प्रतिमा को सजाने के लिए दुबई की कंपनी को 1.23 करोड़ का ठेका दिया गया है। कंपनी ने 24 फ्रेजर लाइट एक ही खंभे पर लगाई हैं। इसका एक बल्ब 1000 वॉट की क्षमता का है।
वडोदरा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे बड़ा सपना पूरा होने जा रहा है यानी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी। यह सरदार वल्लभ भाई पटेल की एक भव्य प्रतिमा है, जिसका उद्घाटन 31 अक्टूबर को होगा। दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा होने की वजह से यह सुर्खियों में है। वडोदरा के पास नर्मदा जिले में स्थित सरदार सरोवर के केवाड़िया कॉलोनी गांव में सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति सात किलोमीटर दूर से नजर आती है। स्टैच्यू में लगी लिफ्ट से पर्यटक सरदार के हृदय तक जा सकेंगे। यहां से लोग सरदार सरोवर बांध के अलावा नर्मदा के 17 किमी लंबे तट पर फैली फूलों की घाटी का नजारा देख सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस प्रतिमा का अनावरण करेंगे। सरदार वल्लभ पटेल की प्रतिमा यानी “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बन गई है और यह दुनिया के अजूबों में भी शुमार होने वाली है। इससे बनने में कितना वक्त लगा है और कैसे तैयार हुई है। यह प्रतिमा कैसी होगी और इसमें कौन-कौन सी चीजें होंगी, जो इसे खास बनाती है। यहां हम आपको इस विशाल प्रतिमा से जुड़ी हर जानकारी बता रहे हैं।
पटेल की ये 182 मीटर ऊंची मूर्ति दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। इसके आगे ना तो 120 मीटर ऊंची चीन वाली स्प्रिंग बुद्ध मूर्ति टिकती है, ना ही 90 मीटर ऊंची न्यूयॉर्क की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी। इस काम को तय समय में अंजाम तक पहुंचाने के लिए 4076 मजदूरों ने दो शिफ्टों में काम किया। इसमें 800 स्थानीय और 200 चीन से आए कारीगरों ने भी काम किया। दरअसल इस मूर्ति तक पहुंचने के लिए आपको नाव का सहारा लेना होगा और पानी के रास्ते इस तक पहुंचना होगा। यह मूर्ति सरदार वल्लभ सरोवर बांध के पास बनाई गई है। इस मूर्ति से इसका नजारा भी दिखता है। यहां सामने की ओर नया ब्रिज आम आदमी के लिए है कि लोग अंदर आएं और पटेल के पैर तक सीढ़ियों से पहुंच सकेंगे। वहां एक लिफ्ट भी है, जिसके जरिए आप वहां पहुंच सकते हैं। इस लिफ्ट के स्थान पर आपको सरदार सरोवर बांध का नजारा दिखेगा और वादियां देखने को मिलेंगी। वहां पर दो लिफ्ट हैं, जिससे एक साथ दो सौ लोग पटेल के सीने तक पहुंच सकते हैं। यह एक गैलरी बनी हुई है, जहां तक हर कोई जा सकता है। वहां से सरदार सरोवर बांध तक का दृश्य दिखेगा। दिखने में जितनी खास ये प्रतिमा है, उतनी ही खास इसकी बनावट है। यह कॉम्पोजिट प्रकार का स्ट्रक्चर है और सरदार पटेल की मूर्ति के ऊपर ब्रॉन्ज की क्लियरिंग है। इस प्रोजेक्ट में एक लाख 70 हजार क्यूबिक मीटर कॉन्क्रीट लगा है। साथ ही दो हजार मीट्रिक टन ब्रॉन्ज लगाया गया है। इसके अलावा 5700 मीट्रिक टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18500 मीट्रिक टन रिइनफोर्समेंट बार्स भी इस्तेमाल किया गया है। यह मूर्ति 22500 मीट्रिक टन सीमेंट से बनी है। इस विशाल प्रतिमा की ऊंचाई 182 मीटर है। इस मूर्ति को बनाने में करीब 44 महीनों का वक्त लगा है। इस मूर्ति के निर्माण के लिए केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अक्टूबर 2014 में लार्सेन एंड टर्बो कंपनी को ठेका दिया गया। माना जा रहा है कि इसके निर्माण में करीब 3000 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इसमें 4 धातुओं का उपयोग किया गया है जिसमें बरसों तक जंग नहीं लगेगी। स्टेच्यू में 85 फीसदी तांबा का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही दो हजार मैट्रिक टन ब्रॉन्ज लगाया गया है। इसके अलावा 5700 मैट्रिक टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18500 मैट्रिक टन रिइनफोर्समेंट बार्स भी इस्तेमाल किया गया है। इस काम को तय समय में अंजाम तक पहुंचाने के लिए 4076 मजदूरों ने दो शिफ्टों में काम किया। इस खर्च में 2332 करोड़ रुपये प्रतिमा के निर्माण के लिए और 600 करोड़ रुपये 15 साल तक इसके रखरखाव के लिए हैं। सरदार सरोवर नर्मदा बांध, हाइवे और हजारों किमी नर्मदा नहर बनाने वाले राठौड़ की देखरेख में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी एक रिकार्ड समय करीब 44 माह में बनकर तैयार हो गई। जबकि अमरीका की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण में 5 साल का वक्त लगा था। इस मूर्ति से आप सरदार बांध का सुंदर नजारा देख सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के कोने कोने से लोहा मांगा था ताकि वो लोहा पटेल के सपनों को फौलादी बना दे। इसकी नींव 2013 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी।