हिन्दू धर्म में ये मान्यता है की पित्रमोक्ष के दिन श्राद करने से अपने पूर्वजो को शान्ति मिलती है इस बार श्राद की तिथि गणेश जी के विसर्जन के एक दिन बाद 6 सितम्बर को पड़ रही है ज्योतिष के अनुसार इस बार श्राद का दिन बहुत शुभ माना गया है. क्योकि श्राद पक्ष के दौरान पंचमी और षष्ठी तिथि एक साथ आ रही है पूर्णिमा से अमावस्या तक यह 16 दिन का होने से इसे सोलह श्राद कहते हैं। लेकिन तिथियां घटने-बढ़ने से इसके दिन कम-ज्यादा होते रहते हैं। 2016 के बाद इस वर्ष 2017 में भी सोलह श्राद्घ 15 दिन के होंगे.
ज्योतिष के अनुसार इस वर्ष श्राद पक्ष में 427 साल बाद विशेष तीन योग बन रहे है पहला श्राद पक्ष में गुरु आदित्य योग, दुसरा शुभ कर्तरी योग, और तीसरा है गर छाया योग| ये तीनो योग गृह मंडल में सात गृहो की अलग-अलग राशि के गोचर क्रम के अनुसार यह योग दुबारा बन रहा है.
ज्योतिष के अनुसार श्रादपक्ष के दौरान पितृ लोग प्रथ्वी पर अपने अग्रणी लोगो को देखने आते है और उन लोगो से पिंड दान की आशा रखते है, और जो भी अग्रणी अपने पितरो के लिए पिंड दान नहीं करता अथवा श्राद नहीं करता वह पितृ अग्रणीयों को श्राप देकर चले जाते है.
इस बार यह श्राद 6 सितम्बर से शुरू होगा और 20 सितम्बर को ख़त्म हो जाएगा इस बार श्राद में कुछ ऐसी तिथि पड़ रही है.
6 सितंबर- पूर्णिमा और प्रतिपदा, 7 सितंबर- द्वितीया, 8 सितंबर- तृतीया, 9 सितंबर- चतुर्थी/पंचमी, 10 सितंबर- पंचमी, 11 सितंबर- छठ, 12 सितंबर- सप्तमी, 13 सितंबर- अष्टमी, 14 सितंबर- नवमी, 15 सितंबर- दशमी, 16 सितंबर- एकादशी, 17 सितंबर- द्वादशी, 18 सितंबर- त्रयोदशी, 19 सितंबर- चतुर्दशी, 20 सितंबर- अमावस्या.