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455 गुना अधिक हुआ विप्रो के सीईओ का वेतन

बेंगलूरू : सूचना-प्रौद्योगिकी क्षेत्र के दिग्गज कंपनियों के सीईओ तथा कर्मचारियों के वेतन के बीच की खाई लगातार बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2018-19 में भी यह अंतर काफी बढ़ गया है क्योंकि कर्मचारियों की सैलरी जहां नाम मात्र की बढ़ी, वहीं सीईओ की सैलरी में बंपर इजाफा हुआ। आईटी कंपनी विप्रो के सीईओ आबिदाली नीमचवाला का वेतन कंपनी के कर्मचारियों के औसत वेतन की तुलना में बढ़कर 455 गुना हो गया है। पिछले साल यह आंकड़ा 337 गुना था। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के सीईओ राजेश गोपीनाथन का वेतन वित्त वर्ष 2018-19 में कंपनी के कर्मचारियों के औसत वेतन की तुलना में 262 गुना अधिक दर्ज किया गया, जो पिछले साल 211 गुना था। वहीं, इन्फोसिस के सीईओ सलिल पारेख का वेतन कंपनी के कर्मचारियों के औसत वेतन की तुलना में 273 गुना (पारेख ने कंपनी जनवरी 2018 में जॉइन किया) अधिक है। यह ट्रेंड दुनिया की अन्य कंपनियों के ट्रेंड के विपरीत मालूम पड़ता है। अमेरिकी कंपेनसेशन रिसर्च फर्म इक्विलर ने कहा कि रसेल 3000 कंपनियों (मार्केट कैपिटलाइजेशन आधारित इक्विटी इंडेक्स) के मई के आंकड़ों के आधार पर यह पाया गया है कि टेक कंपनियों के सीईओ को मिलने वाला वेतन और कर्मचारियों के मिलने वाले औसत वेतन में बदलाव की रफ्तार लगभग समान रही है। सीईओ के औसत वेतन में जहां 0.58 प्रतिशत की गिरावट आई है, वहीं कर्मचारियों के औसत वेतन में 0.51% की गिरावट आई है। आईटी कंसल्टिंग फर्म एचएफएस रिसर्च के सीईओ फिल फ्रेष्ट ने कहा कि अधिकांश आईटी कंपनियों में जब कर्मचारी को अंदर (नीमचवाला और पारेख को बाहर से हायर किया गया) की तुलना में बाहर से हायर किया जाएगा तो उनका वेतन अधिक होगा।

‘ सिक्यॉरिटी ऐंड एक्सचेंज कमिशन को दी गई नियामकीय सूचना के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 में नीमचवाला का वेतन 41% की वृद्धि के साथ 39.5 लाख डॉलर (28 करोड़ रुपये), जबकि पिछले साल उनका वेतन लगभग 20 करोड़ रुपये था। दूसरी तरफ, कर्मचारियों का औसत वेतन 11% की वृद्धि के साथ 2018-19 में छह लाख रुपये तथा 2017-18 में 5.4 लाख रुपये रहा था। 2017-18 में कर्मचारियों के औसत वेतन में वृद्धि महज 3.25 प्रतिशत रही थी। बीते वित्त वर्ष में टीसीएस में कर्मचारियों की औसत सैलरी में 3.7 फीसदी का इजाफा हुआ, जो इसके पिछले वित्त वर्ष में हुए 0.5 प्रतिशत की तुलना में बेहतर रहा। 2018-19 में गोपीनाथन की सैलरी (स्टॉक ऑपेशंस को छोड़कर) 29 फीसदी बढ़कर 16 करोड़ रुपये रही। वित्त वर्ष 2018-19 में पारेख की सैलरी 24.7 करोड़ रुपये रही। पिछले वित्त वर्ष में कर्मचारियों के औसत वेतन में महज 4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।

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