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कानपुर देहात में करोड़ों के घपले में पंचायती राज विभाग के 5 अफसर निलंबित

कानपुर : कानपुर देहात में पंचायतीराज विभाग में बगैर कार्य कराए संबंधित एजेंसियों व फर्मों को करोड़ों रुपये का भुगतान करने के फर्जीवाड़े में शासन ने बड़ी कार्रवाई की है। विभाग के एक उप निदेशक, दो जिला पंचायतराज अधिकारी, दो ग्राम पंचायत सचिव निलंबित कर दिए हैं जबकि तीन जिला कंसलटेंट-विशेषज्ञ व दो राज्य स्तरीय कंसलटेंट की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। कानपुर मण्डल के पंचायतीराज उप निदेशक अभय कुमार शाही के अलावा कानपुर देहात की पूर्व जिला पंचायतराज अधिकारी सुश्री नमिता शरण और मौजूदा जिला पंचायतराज अधिकारी अभिलाष बाबू को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। साथ ही निदेशक पंचायतीराज अनुज झा और कानपुर देहात के जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी से स्पष्टीकरण तलब किया गया है।

अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने मंगलवार को यह आदेश जारी किए। इसके साथ ही कानपुर देहात के ही स्वच्छ भारत मिशन के तीन जिला कंसलटेंट विमल पटेल, शैलेष श्रीवास्तव और प्रदीप कुमार तथा नोडल राज्य स्तरीय कंसलटेंट, विशेषज्ञ पी.एफ.गुप्ता और राहुल गुप्ता की सेवाएं समाप्त कर दी गयी हैं। इसके अलावा कानपुर देहात की ग्राम पंचायत भोजपुरा के ग्राम पंचायत सचिव राजीव द्विवेदी व पुनीत कुमार को भी निलंबित कर दिया गया है। कानपुर देहात के ग्राम्य विकास विभाग के जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय में तैनात पूर्व पटल सहायक सुनील कुमार के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिये गये हैं।

वित्तीय वर्ष 2021-22 में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के दूसरे चरण में ओडीएफ प्लस ग्रामों में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन निर्माण के लिए उपलब्ध धनराशि में वित्तीय अनियमितता बरती गई। मिशन के तहत कानपुर देहात को वर्ष 2021-22 में 347 ग्राम पंचाचयतों 6.13 करोड़ रुपये का कैश क्रेडिट लिमिट (सीसीएल) 30 नवम्बर 2021 को जारी किया गया। इस सीसीएल को जिला स्तर पर जुलाई 2022 तक ग्राम पंचायतों को जारी नहीं किया गया। 195 ग्राम पंचायतों को 4.9 करोड़ रुपये का सीसीएल जुलाई 2022 से लेकर नवम्बर 2022 के बीच जारी किया गया। मगर इससे संबंधित पत्र जिला स्तर से डिस्पैच नहीं किया गया।

ग्राम प्रधानों के डिजिटल सिग्नेचर के डोंगल जिला स्तर से मंगा कर और बगैर काम करवाए धनरशि ठेकेदारों और अलग-अलग फर्मों को ट्रांसफर करते हुए 3.72 करोड़ रुपये की राशि गलत तरीके से आहरित कर ली गई। इससे स्पष्ट है कि जिले से लिमिट जिस तारीख को जारी की गई, उसी दिन या उसके अगले एक-दो दिन के अन्दर प्रधान-ग्राम पंचायत स्तर के डिजिटल सिग्नेचर का प्रयोग कर ठेकेदारों को भुगतान दर्शाया गया।

नियमत: ग्राम पंचायत की धनराशि के भुगतान के लिए ग्राम पंचायत अधिकारी का यूजर आईडी और पासवर्ड के जरिये कार्य होने के बाद बिल व वाउचर अपलोड किया जाता है और ग्राम प्रधान चेकर की हैसियत से डिजिटल सिग्नेचर इस्तेमाल करते हुए धनराशि फर्म को ट्रांसफर करता है। इस मामले में ग्राम प्रधानों का डिजिटल सिग्नेचर जिला स्तर पर जिला कन्सलटेंट, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण द्वारा लेकर धनराशि फर्मों के खाते में ट्रांसफर कर दी गई। पंचायत सचिवों का यूजर आईडी व पासवर्ड नए सिरे से बनाते हुए नए मोबाइल नम्बर जिस पर ओटीपी जाता है वह भी अपने लोगों का देते हुए धनराशि अन्तरित की गई। इस मामले में इस साल बीती दो फरवरी को थाना अकबरपुर में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी।

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