उत्तराखंड

800 साल पहले केदारघाटी में आई प्रलय से नष्ट हो गई थी सभ्यता

two-years-of-kedarnath-disaster-557f3e1914cd2_exlstदस्तक टाइम्स/एजेंसी- उत्तराखंड :

केदारघाटी में एक हजार साल में 40 बार जल प्रलय आई है। लेकिन इनमें सबसे खतरनाक 800 साल पहले 13वीं सदी में आई जल प्रलय थी, जिसमें एक पूरी सभ्यता ही नष्ट हो गई थी। उस वक्त केदारघाटी में खानाबदोश (नोमेडिक) सभ्यता रही थी। विज्ञानियों का अंदाजा है कि केदारनाथ मंदिर का मौजूदा स्वरूप भी उसी वक्त का है।

800 साल पुरानी सभ्यता के साक्ष्य
वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के विज्ञानियों को यहां 800 साल पुरानी सभ्यता के अस्तित्व, कृषि, वनस्पतियों और जल प्रलय के साक्ष्य मिले हैं। संस्थान ने यह शोध रिपोर्ट केंद्र सरकार को भी भेजी है।

वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के विज्ञानियों ने केदारघाटी में जाकर उत्खनन शुरू किया तो भूगर्भ में हजारों साल से दबे राज यहां की मिट्टी ने उगलने शुरू कर दिए। संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी प्रदीप श्रीवास्तव की अगुवाई में शोध टीमों को यहां आठ सौ साल पहले के धान, सूरजमुखी, झूम समेत अन्य वनस्पतियों के परागकण मिले हैं। तब यहां धान की फसलें लहलहाती थीं, लेकिन अब यहां धान नहीं होता है।

 

यहां मिट्टी के टूटे हुए बर्तन भी पाए गए हैं, जो 13वीं शताब्दी के हैं। कई स्थानों पर चारकोल के कणों ने खाना बनाए जाने के स्थान को भी चिन्हित किया है। जांच में पाया गया कि उस वक्त केदारघाटी में खानाबदोश (नोमेडिक) सभ्यता रही थी।

800 साल पहले आई आपदा ने इस सभ्यता को नेस्त-नाबूद कर दिया था, लेकिन इसके साक्ष्य केदारघाटी आज भी संजोये हुए है। वर्ष 2013 की आपदा में मंदिर के पीछे प्रकट हुई ग्रेनाइट की दिव्य शिला जैसी और भी चट्टानें मंदिर के आसपास और नीचे मिली हैं। इसके बाद विज्ञानियों की टीमें श्रीनगर और देव प्रयाग में पहुंचीं।

गढ़वाल की घाटियों में छानबीन की गई तो पता चला कि एक हजार साल में 40 बार जल प्रलय आई। शोध रिपोर्ट में यह भी इंगित किया गया कि आपदा प्रत्येक 50 वर्ष के अंतराल में आई थी और पांच हजार और साढ़े तीन हजार साल पहले भी केदारघाटी में वर्ष 2013 की तरह मानसून की अधिकता हुई थी। इन रिसर्च टीमों में डॉ.वाईपी सुंदरियाल और डॉ. सुमन रावत शामिल रहीं।

 

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