राजनीति

सातों सीट जीतने पर लगा करोड़ों का सट्टा

बीजेपी और सपा-कांग्रेस गठबंधन 403 विधानसभा सीटों के चुनाव में 130-130 सीटें

अलीगढ़ (ईएमएस)। उत्तर प्रदेश में होने वाले प्रथम चरण की वोटिंग के बाद सट्टा बाजार भी गर्म हो गया है। सट्टेबाज इस बार त्रिशंकु विधानसभा की उम्मीद लगाए हुए हैं। इसमें बीजेपी और समाजवादी पाटब-कांग्रेस गठबंधन में काफी नजदीकी मुकाबला दिख रहा है। 11 मार्च को किसी पार्टी का विधायक चुना जाएगा, इसके लिये सटोरियों ने करोड़ों रूपये का दांव लगा रखा है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा मौद्रिक नीति की समीक्षा करने के बाद राज्य चुनाव घरेलू शेयर बाजार के लिए बड़ी जोखिमभरी घटना है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा का रिजल्ट निकट भविष्य के लिए बड़ा ट्रिगर साबित हो सकता है। अनौपचारिक डेटा के अनुसार बीजेपी और सपा-कांग्रेस गठबंधन नजदीकी रेस में हैं और मायावती तीसरे नंबर के लिए सबसे नजदीक हैं।

पिछले दो साल में राज्यों के चुनाव में बीजेपी को ठीक सफलता नहप मिली है और उसे बिहारी और दिल्ली में हार का सामना करना पड़ा है। त्रिशंकु विधानसभा की उम्मीद से नई सत्ता समीकरण बनते दिख रहे हैं। हालांकि बीजेपी और कांग्रेस-समाजवादी गठबंधन दोनों ही पूर्ण बहुमत का दावा कर रहे हैं। अखिलेश का तो कहना है कि उनका गठबंधन प्रदेश में तीन सौ से अधिक सीटें जीतेगा।

यूपी चुनाव को लेकर मुंबई में सट्टा बाजी का खेल शुरू हो गया है. अब तक इसमें 200 करोड़ का सट्टा लग गया है। हालांकि सटोरियों ने यूपी चुनाव में किसी दल को भी साफ बहुमत नहप दे रहे हैं. सटोरियों ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन को सबसे बड़ी पार्टी माना है।

अतरौली विधानसभा

अतरौली सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री व राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के पोते संदीप मैदान में है। संदीप का यह पहला चुनाव है। इसलिए कल्याण सिंह और उनके बेटे एटा सांसद राजू भइया के लिए यह सीट सबसे अहम और प्रति…ा से जुड़ गई है। सपा के कद्दावर नेता व वर्तमान विधायक वीरेश यादव पुन: मैदान में हैं, उनके सामने इस सीट को बचाने की चुनौती है। उन्हें भाजपा ही नहप, बसपा और रालोद प्रत्याशियों से भी पार पाना होगा।
बरौली सीट पर भी लड़ाई दिलचस्प है। बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ठा. जयवीर सिंह पिछला चुनाव हार गए थे। उन्हें हराने वाले रालोद विधानमंडल दल के नेता ठा. दलवीर सिंह इस बार भाजपा के टिकट पर उनके सामने हैं। दोनों दिग्गजों के बीच मुकाबले पर पूरे जिले की नजर है।

कोल विधानसभा सीट पर अपनी स्थिति को मजबूत मानते हुए कांग्रेस ने सपा से गठबंधन के बावजूद विवेक बंसल को मैदान में उतारा है। खुद को साबित करने के लिए उन्होंने पूरी ताकत झोंक रखी है। यह चुनाव विवेक का भी राजनीतिक भविष्य तय करेगा क्योंकि पिछले चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसी सीट पर सपा विधायक हाजी जमीरउल्लाह टिकट कटने के बाद अपने राजनीतिक भविष्य को बचाने के लिए ही निर्दलीय मैदान में कूद गए हैं।

इगलास में कांग्रेस के दूसरे कद्दावर नेता व पूर्व सांसद चौ. विजेंद्र सिंह खुद तो चुनाव नहप लड़ रहे मगर पार्टी प्रत्याशी गुरविंदर सिंह पर उन्हप का आशीर्वाद है। शहर सीट पर सपा विधायक जफर आलम व छर्रा में सपा विधायक ठा. राकेश सिंह की प्रति…ा भी चुनाव से जुड़ी है। देखना ये है कि जनता की ओर से क्या फैसला आता है।

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