ब्याज दर में गिरावट से बचा सकते हैं अपनी कमाई
ब्याज दरें लगातार गिरती जा रही हैं। भारतीय स्टेट बैंक ने बचत खाते पर ब्याज दर को घटाकर 3.5 फीसद कर दिया है। फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरें अभी ज्यादातर बैंकों में 5.75 से 6.25 फीसद के बीच हैं, लेकिन निश्चित रूप से इनकी दरें भी नीचे आएंगी। आश्चर्य की बात नहीं होगी कि साल भर के अंदर ज्यादातर बैंक बचत खाते पर 3.5 फीसद और फिक्स्ड डिपॉजिट पर 5 से 5.5 फीसद के बीच ब्याज देने लगेंगे।
चूंकि ज्यादातर लोगों का पैसा बैंकों के इन्हीं दो श्रेणियों के खातों में जमा होता है, इसलिए घटती ब्याज दरें परेशानी का सबब हैं। कुछ साल पहले लोगों को फिक्स्ड डिपॉजिट पर जितना ब्याज मिलता था, उसकी तुलना में अब यह करीब 25 फीसद कम हो चुका है। प्रश्न है कि क्या इसका कोई हल है? हां, जैसा कि हर समस्या के साथ होता है, इसका भी समाधान है। कुछ ऐसे म्यूचुअल फंड उत्पाद हैं जो इस स्थिति में बिल्कुल फिट बैठते हैं। ये इन बैंकिंग उत्पादों की तुलना में न केवल आपको ज्यादा रिटर्न देते हैं बल्कि इन पर लगने वाला कम कर इनसे मिलने वाले रिटर्न को और आकर्षक बना देता है। ये बचत खाते की तरह सुगम तो नहीं हैं, फिर भी काफी हद तक उसके जैसे हैं।
बैंक खातों का अच्छा विकल्प बनने योग्य म्यूचुअल फंड की लिक्विड फंड, अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड और शॉर्ट टर्म फंड की स्कीमें शामिल हैं। इन फंडों में आसानी से रिटर्न का अनुमान लगाया जा सकता है और रिटर्न भी स्थिर रहता है जिसमें ना के बराबर उतार-चढ़ाव की आशंका रहती है। पिछले सालभर के दौरान लिक्विड फंड में औसतन 6.62 फीसद, अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड में 7.45 फीसद और शॉर्ट टर्म फंड में 8.62 फीसद का रिटर्न मिला है। यह रिटर्न उन बैंक उत्पादों की तुलना में बेहतर है जिनकी जगह पर इन्हें आजमाया जा सकता है।
हालांकि, कहानी में अभी बहुत कुछ कहने को है। पहली बात, कुछ फंडों के मोबाइल एप उपलब्ध हैं। जिनकी मदद से लिक्विड फंड में आसानी से निवेश किया जा सकता है और पैसा बाहर भी निकाला जा सकता है। इन एप की मदद से आप सीधे अपने बैंक खाते से पैसा ट्रांसफर करते हुए लिक्विड फंड में निवेश कर सकते हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात, आप पांच-दस मिनट में म्यूचुअल फंड की यूनिट बेचकर अपने निवेश की राशि को अपने खाते में वापस पा सकते हैं। मैंने व्यक्तिगत रूप से इन्हें आजमाया है और ये जादुई रूप से सुगम हैं। बचत खाते से डेढ़ गुना ज्यादा रिटर्न और चंद मिनटों में पैसा वापस मिलना भारतीय पर्सनल फाइनेंस क्षेत्र में तकनीकी सुविधा की असली उन्नति है।
अब फिक्स्ड डिपॉजिट को अल्ट्रा शॉर्ट टर्म और शॉर्ट टर्म फंड के साथ बदलने की बात करते हैं। इनमें से अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड एक साल तक के फिक्स्ड डिपॉजिट और शॉर्ट टर्म फंड थोड़ी लंबी अवधि के फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए अच्छे विकल्प हैं। इन दोनों फंडों निवेश एप के जरिये या ऑनलाइन हो सकता है। इनमें रिटर्न ज्यादा मिलता है, लेकिन पैसा वापस पाने में दो दिन का इंतजार करना पड़ता है। हालांकि वित्तीय लाभ बड़ा होता है।
बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट के 6.25 फीसद ब्याज के मुकाबले शॉर्ट टर्म फंड का 8.6 फीसद रिटर्न बेहतर है। कर बचत के कारण कुल लाभ अधिक होता है। दोनों तरह के रिटर्न में कर का अंतर इसलिए हो जाता है क्योंकि बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट का रिटर्न ब्याज से हुई आय की श्रेणी में आता है, जबकि म्यूचुअल फंड से मिलने वाला रिटर्न कैपिटल गेन की श्रेणी में आता है। ब्याज से मिलने वाली आय पर आपको हर साल कर देना होता है। यदि किसी बैंक से आपको ब्याज के रूप में मिलने वाली राशि 10,000 रुपये से ऊपर हो जाए तो बैंक उस पर 10 फीसद टीडीएस काट लेता है। वहीं अगर बैंक के पास आपका पैन न हो तो वह 20 फीसद की कटौती कर लेता है। इसका अर्थ हुआ कि आपके रिटर्न का यह हिस्सा आपकी कमाई में से निकल जाता है। इसी कारण म्यूचुअल फंड की तुलना में इसके रिटर्न में अंतर आ जाता है। म्यूचुअल फंड में कर देयता थोड़ी राहत भरी है।
म्यूचुअल फंड में अगर आप तीन साल या उससे ज्यादा समय के लिए निवेश करें तो अतिरिक्त फायदे का भी विकल्प होता है। निवेश तीन साल के बाद निकालने पर उसे लांग टर्म कैपिटल गेन की श्रेणी में रखा जाता है और इस पर कर इंडेक्सेशन के बाद लगता है। मोटे तौर पर कहें तो आपके रिटर्न से मुद्रास्फीति समायोजित करने के बाद उस पर कर लगता है। फिक्स्ड डिपॉजिट के मामले में ऐसा नहीं होता। इन सभी तथ्यों को देखें तो शॉर्ट टर्म फंड में तीन साल का निवेश करने से उसी अवधि के लिए किए गए फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में आपको तकरीबन दोगुना रिटर्न मिल सकता है।
यदि आप तीन साल से पहले किसी भी हाल में पैसा न निकालने के लिए प्रतिबद्ध रह सकें तो फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी) फंड को चुन सकते हैं। इनमें भी ऊंचा रिटर्न मिल सकता है। हालांकि आमतौर पर किसी भी निवेश में लिक्विडिटी अहम मुद्दा है और इस स्थित में ऊपर वर्णित तीनों फंड बेहतर विकल्प हैं। ऐसे में जबकि ब्याज दरें गिर रही हैं और निश्चित आय वालों की चिंता दिनोंदिन बढ़ रही है, मैं उम्मीद करता हूं कि समझदार लोग बैंकिंग उत्पादों से हटकर इन तरह के फंड की ओर रुख करेंगे।