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हज यात्रियों के लिए जनवरी में होगा लकी ड्रॉ, 3 लाख से ज्यादा ने किया आवेदन

नई दिल्ली. भारतीय हज समिति ने जनवरी के दूसरे सप्ताह में हज के लिए ड्रॉ निकालने का फैसला किया है. इस बार ड्रॉ की प्रक्रिया पहले से अधिक पारदर्शी होगी, जिससे उन लोगों को ज्यादा से ज्यादा मौका मिल सके जो पहली बार हज पर जाने की उम्मीद लगाए हुए हैं. दूसरी तरफ हज-2018 के लिए पिछले शुक्रवार की शाम तक देश भर से करीब 3 लाख लोगों के आवेदन आ चुके थे जिनमें 1000 से अधिक आवेदन उन महिलाओं के हैं जो ‘मेहरम’ के बिना हज पर जाना चाहती हैं. हज के लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख 7 दिसंबर थी, लेकिन इसे बढ़ाकर 22 दिसंबर तक कर दिया गया है.हज यात्रियों के लिए जनवरी में होगा लकी ड्रॉ, 3 लाख से ज्यादा ने किया आवेदन

हज समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मकसूद अहमद खान ने बताया, ‘7 जनवरी को भारत और सऊदी अरब के बीच हज से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. इसके बाद 8 जनवरी से 15 जनवरी के बीच किसी भी दिन हज के लिए ड्रॉ निकाला जाएगा.’ केंद्र सरकार की ओर से नई हज नीति लागू करने के बाद यह पहला हज होगा. हज के लिए भारत का कोटा 1 लाख 70 हजार हजयात्रियों का है.

मकसूद खान ने कहा, ‘अब तक (शुक्रवार शाम तक) हमारे पास करीब 3 लाख आवेदन आए हैं. 22 दिसंबर तक आवेदन आने हैं और ऐसे में यह संख्या बढ़ेगी.’ उन्होंने कहा कि 1,000 से अधिक महिलाओं ने ‘मेहरम’ के बिना हज पर जाने के लिए आवेदन किया है गौरतलब है कि नयी हज नीति के तहत 45 वर्ष या इससे अधिक उम्र की महिलाओं के हज पर जाने के लिए मेहरम की बाध्यता हटा ली गई है. ‘मेहरम’ वह शख्स हुआ जिससे महिला की शादी नहीं हो सकती. मसलन, पुत्र, पिता और सगे भाई ‘मेहरम’ हुए. लंबे समय से यह शिकायत रही है कि ड्रॉ की प्रक्रिया में पारदर्शिता के अभाव के चलते बहुत से लोग कई बार हज कर लेते हैं, तो बहुत से लोगों को मौका ही नहीं मिल पाता.

मकसूद खान का कहना है कि नयी हज नीति में पारदर्शिता पर जोर दिया गया है. ड्रॉ की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होगी. पारदर्शी ढंग से हज पर जाने वालों के नामों का चयन होगा. केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी 7 जनवरी को सऊदी अरब में होंगे जहां सऊदी अरब के हज मामलों के मंत्री के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. खान ने कहा, ‘हमारी तरफ से हज कोटे में बढ़ोतरी का आग्रह किया जाएगा. हज कोटे में कितनी बढ़ोतरी करनी है, इस बारे में फैसला सऊदी अरब की सरकार को करना है.’

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