लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का समाजवाद को पाखंड बताने वाला बयान अशोभनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है। समाजवाद के विषय में बोलने से पहले उन्हें संविधान की प्रस्तावना को फिर से दोहराना चाहिए, जिसकी शपथ लेकर वह बड़े संवैधानिक पद पर पहुंचे हैं। समाजवाद अपने आप में बेहद व्यापक और विशिष्ट अर्थ लिये हुए हैं, जिसमें समाज के सभी वर्गों के कल्याण की बात है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि समाजवाद एक आंदोलन और विचारधारा है, जिसने विश्व के बड़े भूभाग को आंदोलित किया है। श्री चौधरी ने कहा की भारत में समाजवादी आंदोलन के शिखर पुरूष डॉ. राम मनोहर लोहिया ने जिस समाजवाद की अवधारणा दी उसका उद्देश्य शोषण मुक्त समाज बनाना है जिससे समाज के वंचित तबके को उनका अधिकार आसानी से मिल सके। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी सरकार में जनहितैषी नीतियों के माध्यम से समाज में गरीबी और असमानता मिटाने का हर संभव प्रयास हुआ था। पूर्व मुख्यमंत्री ने जहां एक ओर समाज के कमजोर तबके के परिवारों को सामाजिक सुरक्षा के तहत समाजवादी पेंशन योजना का सफलता पूर्वक क्रियान्वयन किया। वहीं आवागमन की बेहतरी के लिये आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और मेट्रो जैसी विश्वस्तरीय हकीकत को धरातल पर उतारा। ग्रामीण जीवन को खुशहाल बनाने के लिये अन्नदाता की समृद्धि के लिये बजट का प्रावधान समाजवादी सरकार की ही देन है।
श्री चौधरी ने बताया कि भाजपा के चाल-चरित्र और चेहरे में घोर विरोधाभाष है। भाजपा सिर्फ जनता को गुमराह करना जानती है। भाजपा सरकार के मंत्रियों के बयान संसदीय परम्परा का उल्लंघन करते हैं। प्रदेश सरकार के शीर्ष नेतृत्व का व्यवहार भी राजनैतिक शिष्टाचार के विपरीत है। लोकतंत्र में असहिष्णुता और असंवेदनशीलता का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। मंत्रियों और भाजपा नेताओं के बिगड़े बोलों का जनता जरूर जवाब देगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को समाजवाद समझने के लिये अखिलेश यादव द्वारा किये गये विकास योजनाओं को आगे बढ़ाने का काम करना होगा। मुख्यमंत्री जी को समाजवाद पर अपने दिये गये बयान का खण्डन और प्रायश्चित करना चाहिए।