मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मोर्सी को 20 साल की सजा
काहिरा : मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति और मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता मोहम्मद मोर्सी को स्थानीय अदालत ने बिना पैरोल के 20 साल कैद की सजा सुनाई है। मोर्सी पर देश में 2012 के प्रदर्शन के दौरान आंदोलनकारियों की हत्या करवाने का गंभीर आरोप था। उन्हें हिंसा, अपहरण और यातना देने के मामले में दोषी पाया गया। हालांकि उन्हें हत्या की साजिश रचने के आरोप से बरी किया गया, जिसमें मौत की सजा हो सकती थी। मोर्सी को वर्ष 2013 में सैन्य तख्तापलट के जरिये अपदस्थ कर सेना प्रमुख अब्देल फतह अल सिसी राष्ट्रपति बने थे। साथ ही मुस्लिम ब्रदरहुड पर पाबंदी लगा दी गई थी। मोर्सी और ब्रदरहुड के अन्य नेता आतंकवादी समूहों से साठगांठ के आरोपों का भी सामना कर रहे हैं। संगठन के सैकड़ों बड़े नेताओं को मौत की सजा के साथ हजारों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। मोर्सी को पांच दिसंबर 2012 के इत्तिहादिया प्रेसीडेंसियल पैलेस मामले में यह सजा हुई है। उस दिन मोर्सी विरोधियों और समर्थकों के बीच हुई झड़प में 10 लोग मारे गए थे।
न्यायाधीश अहमद साबरी यूसुफ ने मंगलवार को ब्रदरहुड के 12 अन्य नेताओं को भी सजा सुनाई। इनमें ब्रदरहुड के वरिष्ठ नेता मोहम्मद अल बेलतागी और इसाम अल एरियन भी शामिल हैं। मोर्सी को सजा सुनाने की अदालती कार्यवाही का मिस्र में सीधा प्रसारण किया गया। वह फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील कर सकते हैं। सजा के ऐलान के बाद देश में उग्र प्रदर्शनों की आशंका के चलते मोर्सी को हेलीकॉप्टर से अदालत से अलेक्जेंड्रिया की अल अरब जेल ले जाया गया, जहां वह करीब तीन साल से कैद हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मोर्सी को सजा के साथ मिस्र में सेना, खुफिया एजेंसियों की सरकार पर पकड़ और मजबूत हो गई है।