लखनऊ

इग्नू का श्रेष्ठ विद्यार्थी बना जेल में बंद अजीत

jealलखनऊ। वाराणसी की सेंट्रल जेल में बंद एक कैदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र को गौरवांवित किया है। गैर इरादतन हत्या के मामले में दस वर्ष कैद की सजा पाने वाले अजीत को इग्नू के दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक मिलेगा। अजीत कुमार सरोज को डिप्लोमा इन टूरिज्म पाठ्यक्रम में 75 प्रतिशत अंक मिले हैं। अजीत की यह ऐसी उपलब्धि है तो इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) के इतिहास में पहली बार दर्ज हुई है।अजीत अदालत में अपराधी साबित होने के बाद धारा 304 के तहत दर्ज मुकदमे में 2012 से बनारस के केंद्रीय कारागार में सजा काट रहा है। उसको दस वर्ष कैद की सजा मिली है। जेल के बाहर जाने-अनजाने उसके हाथ से हुए कार्यों ने सलाखों के पीछे पहुंचा दिया लेकिन जेल की सलाखें उसकी प्रतिभा को सामने आने से नहीं रोक सकीं। इनके पीछे रहते हुए भी अजीत ने ऐसा काम किया कि अब उसको गोल्ड मेडेल मिलेगा। उसने कलम को हथियार बनाया और कागज को कुरुक्षेत्र। सलाखों के पीछे रहकर उसने शिक्षा का ऐसा अस्त्र हासिल किया कि निशाना सीधे गोल्ड मेडल पर।इग्नू के बीएचयू केंद्र के मुखिया डा. अवध नारायण त्रिपाठी ने बताया कि डिप्लोमा इन टूरिज्म के छात्र कैदी अजीत ने पूरे देश में इस पाठ्यक्रम में सर्वोच्च 75 प्रतिशत अंक हासिल किया है। इग्नू इस उपलब्धि पर उसे आज दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडल देगा। उन्होंने बताया कि इग्नू ने अजीत का बायोडाटा भी तैयार कर लिया है जो उसे गोल्ड मेडल देने से पहले पढ़कर सुनाया जाएगा। अजीत जब आज से ढाई साल पहले गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी पाया गया था। तभी उसने अलग-अलग कोर्स की पढ़ाई शुरू कर दी थी। डा. त्रिपाठी ने बताया कि इग्नू के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी कैदी ने गोल्ड मेडल हासिल किया है। 23 वर्ष की उम्र में गैर इरातन हत्या के इस दोषी ने इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) के एक डिप्लोमा कोर्स में राष्ट्रीय स्तर पर टॉप किया है। एक वर्ष के डिप्लोमा कोर्स की पढ़ाई अजीत ने जेल में ही की है। अजीत को आज जेल से बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी लाया जाएगा, जहां कुलपति उसे गोल्ड मेडल से सम्मानित करेंगे। अजीत अकेला ऐसा दलित छात्र है जिसे वाराणसी की इग्नू शाखा से गोल्ड मेडल मिलेगा। वाराणसी की इग्नू शाखा में 20 जिले हैं, जिनमें छह हजार छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं। इन सबके बीच अजीत ने गोल्ड मेडल हासिल किया है।डिप्लोमा इन टूरिज्म स्टडीज (डीटीएस) में दाखिला लेने से पहले अजीत मानवाधिकार, आपदा प्रबंधन, एनजीओ मैनेजमेंट और खाद्य और पोषण जैसे डिप्लोमा कोर्स कर चुका था। इन सभी में उसने 65 प्रतिशत से अधिक अंक थे। त्रिपाठी का कहना है कि अजीत नैनी, वाराणसी व गोरखपुर जेलों के कैदियों के लिए एक मिसाल है। वाराणसी जेल के जेलर और इग्नू के जेल कोडिनेटर बीएन मिश्रा ने बताया कि अजीत जौनपुर का रहने वाला है और 2012 में गैर इरादतन हत्या के आरोप में यहां आया था। तब वह जौनपुर में ही बीएसी प्रथम वर्ष का छात्र था।अजीत के गांव में ही एक जमीनी विवाद के चलते एक झगड़ा हुआ, जिसमें उसके पड़ोसी राजेंद्र की मौत हो गई। राजेंद्र की गैर इरादतन हत्या के आरोप में उसे दस साल की सजा सुनाई गई।

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