इस देश में 50 लाख रुपये का मिलता है एक बर्गर, थैलों भर पैसे भरकर सामान खरीदने जाते हैं लोग
वेनेजुएला के लोग इन दिनों महंगाई की मार झेल रहे हैं। यहां 10 फीसदी तक महंगाई दर बढ़ चुकी है। जिसकी वजह से रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। एक समय यह देश दक्षिण अमेरिका के अमीर देशों में शुमार था मगर आज इसकी हालत बदतर हो गई है। जिसके लिए गलत सामाजिक प्रयोग जिम्मेदार हैं। यहां कि अर्थव्यवस्था बहुत बुरे दौर से गुजर रही है।
देश से रोजाना पांच हजार लोग दूसरे देशों में पलायन कर रहे हैं। यहां के प्रोफेशनल्स भी अस्पताल और विश्वविद्यालयों को छोड़कर जा रहे हैं। यहां कानून की पढ़ाई कर चुके लोग मजदूरी या सेक्स वर्कर के तौर पर काम करने को मजबूर हैं। इसके अलावा नौकरशाह स्तर के लोग घरों में काम कर रहे हैं। वेनेजुएला के इस संकट ने त्रिनिदाद और टोबैगो के सामने परेशानी खड़ी कर दी है क्योंकि इन्हीं देशों में इसके नागरिक शरणार्थी के तौर पर पहुंच रहे हैं।
हालांकि त्रिनिदादा और टोबैगो की स्थिति ऐसी नहीं है कि वह वेनेजुएला के नागरिकों को अपने देश में शरण दे सके। इसी कारण सीमा पर मानव तस्करी शुरू हो चुकी है। 1950 से 1980 के बीच वेनेजुएला आर्थिक तौर पर सशक्त देश था। यहां तेल के कई भंडार मौजूद थे। जिसकी वजह से यह इटली और स्पेन जैसे देशों के प्रवासियों के लिए प्रकाशस्तम्भ की तरह था।
मगर देश में तेल के दामों में आने वाले उतार-चढ़ाव ने मुद्रा संकट को बढ़ाया और सरकार की गलत नीतियों ने इस देश को परेशानियों की तरफ धकेल दिया। 1999 में जब ह्यगो शावेज देश के राष्ट्रपति बने तो उनकी समाजवाद नीति ने कई उद्योगों को नष्ट कर दिया। कुछ व्यवसायों को राष्ट्रीयकृत किया गया। 2013 मे जब निकोलस मादुरो देश के राष्ट्रपति बने तो उनके कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था और ज्यादा खराब हो गई। इसकी एक वजह अमेरिका और यूरोप के कई देशों द्वारा वेनेजुएला से तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगाना है।