नई दिल्ली : इस बार का गणतंत्र दिवस कई मायनों में खास रहा। गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर भारत का पराक्रम और ताकत देखने को मिला। साथ ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित झांकियों ने भी सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। इस बार आर्मी में शामिल किए गए नए हथियारों के अलावा महिला अर्द्धसैनिक बल द्वारा मार्च पहली बार मार्च किया गया। इसके अलावा पुरुष टीमों का नेतृत्व भी महिला ऑफिसरों ने ही किया। बोफोर्स के आने के 30 साल बाद पहली बार आर्मी एम777 और के9 वज्र का प्रदर्शन रिपब्लिक डे परेड में किया गया। पहली बार परेड में आर्मी ने अपनी नई आर्टिलरी का प्रदर्शन किया। पिछले साल ही अमेरिका से लाई गई एम777 ए2 अल्ट्रा लाइट होवित्सर भी इस परेड में देखने को मिली। इसके अलावा भारत में ही बनी के9 वज्र का प्रदर्शन भी किया गया, इसका निर्माण एल ऐंड टी ने पीएम मोदी के मेक इन इंडिया के तहत किया था। एम777 एक 155एमएम आर्टिलरी गन है, जिसकी अधिकतम रेंज 30 किलोमीटर है। यह बंदूक अफगानिस्तान में युद्ध के दौरान भी इस्तेमाल की गई थी। 2017 में भारत और अमेरिका के बीच 5000 करोड़ रुपये की लागत से 145 होवित्सर खरीद की डील हुई थी। वहीं दूसरी तरफ के9 वज्र दक्षिण कोरियाई आर्टिलरी गन है। एल ऐंड टी इस गन टेक्नॉलजी को दक्षिण कोरिया से लाई है। कंपनी ने 4500 करोड़ रुपये में 100 यूनिट की सप्लाई की है। डीआरडीओ के दो डिफेंस प्रॉजेक्ट : मध्यम दूरी की सर्फेस टु एयर मिसाइल और अर्जुन आर्म्ड रिकवरी ऐंड रिपेयर वीइकल, जिनका अभी ट्रायल चल रहा है, का भी इस परेड में पहली बार प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा सर्फेस माइन क्लीयरिंग वीइकल का भी पहली बार प्रदर्शन हुआ। राजपथ पर फ्लाईपास्ट के दौरान, 32 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ने पहली बार बायो फ्यूल से उड़ान भरी। इसके अलावा नेता जी की आर्मी आईएनए का हिस्सा रहे चार व्यक्ति भी पहली बार परेड में हिस्सा लिया। बड़े-बड़े हथियारों के अलावा परेड का मुख्य आकर्षण सेना की महिला शक्ति भी रही।
पहली बार महिला अर्द्धसैनिकों की टुकड़ी परेड में हिस्सा लिया। यह टुकड़ी असम राइफल का हिस्सा है, जो देश का सबसे पुराना अर्द्धसैनिक बल है। इस टुकड़ी का नेतृत्व मेजर खुशबू कंवर ने किया। बुधवार को फुल ड्रेस रिहर्सल के बाद मेजर खुशबू ने कहा, यह मेरे लिए काफी गर्व का क्षण है कि पहली बार परेड में हिस्सा ले रही टुकड़ी का नेतृत्व मैं कर रही हूं। देश के सबसे पुराने अर्द्धसैनिक बल ने 2015 में महिलाओं की टुकड़ी बनाई थी। 124 महिलाओं का पहला बैच अप्रैल 2016 में पास हुआ था। आज फोर्स में 220 महिला राइफल हैं। इनमें लगभग 33 प्रतिशत उत्तर पूर्वी राज्यों से हैं बाकी महिलाएं देश के बाकी हिस्सों से हैं। हालांकि असम राइफल में महिला ऑफिसर सेना से डेप्युटेशन पर आई हैं।