उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने सैनिकों की शिक्षिका पत्नियों को करवाचौथ (30 अक्तूबर) का तोहफा दिया है। वर्षों से दुर्गम और अति दुर्गम विद्यालयों में कार्यरत 22 से अधिक शिक्षिकाएं तबादला पाकर पति के गृह जनपद पहुंच गई हैं।
यह शिक्षिकाएं इस बार करवाचौथ पति के गृह जिले में मना सकेंगी। लेकिन अर्द्धसैनिकों की शिक्षिका पत्नियों के तबादले पर असमंजस बना हुआ है। शिक्षामंत्री के छूट के आदेश के बावजूद शासन यह तय नहीं कर पाया है कि तबादलों में इन्हें प्राथमिकता दी जाए या नहीं।
शिक्षामंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी के निर्देश पर सैनिकों की शिक्षिका पत्नियों के तबादलों के लिए तबादला नियमावली को संशोधित किया गया था। सैनिक बाहुल्य प्रदेश में इसे सैनिक परिवारों को लुभाने की कवायद के रूप में देखा गया। इससे सैनिकों की वह शिक्षिका पत्नियां जो दुर्गम और अति दुर्गम विद्यालयों में कार्यरत थीं पति के गृह जनपद में तबादला पा सकी हैं, लेकिन शिक्षा मंत्री के आदेश के बावजूद अर्द्धसैनिकों की पत्नियों को तबादलों में छूट का मामला उलझा हुआ है।
शिक्षा सचिव माध्यमिक शिक्षा एमसी जोशी बताते हैं कि तबादलों के लिए शासन में बहुत अधिक आवेदन आए हैं। इसमें बीमार शिक्षकों को रखा जाए, पति-पत्नी के आधार वाले प्रकरण रखे जाएं या फिर अर्द्धसैनिकों की पत्नियों के प्रकरण यह अभी तय नहीं किया जा सका है।
अपर मुख्य सचिव के पास पहुंची फाइल
नियम 29(1) के तहत तबादलों के लिए फाइल अपर मुख्य सचिव एस राजू के पास पहुंच चुकी है। शिक्षा सचिव एमसी जोशी ने कहा कि इसके लिए 2500 आवेदन मिले हैं। अपर मुख्य सचिव के स्तर से इस पर कार्रवाई होनी है।
कुमाऊं मंडल में सैनिकों की जिन शिक्षिका पत्नियों ने तबादलों के लिए अनुरोध किया था, रिक्त पदों पर उन शिक्षिकाओं के तबादले किए गए हैं।
– सुषमा सिंह, अपर निदेशक कुमाऊं मंडल
नियमावली में संशोधन के बाद सैनिकों की शिक्षिका पत्नियों को तबादलों में छूट दी गई है। गढ़वाल मंडल में माध्यमिक स्तर पर 243 अनिवार्य और इतने ही अनुरोध के आधार पर तबादले हुए। इसमें सैनिकों की शिक्षिका पत्नियों को भी लाभ मिला है।