कोरोना ने मेरठ में 13230 शादियों पर लगाया ग्रहण
मेरठ: कोरोना की दूसरी लहर ने मेरठ में शहनाईयों की गूंज पर ब्रेक लगा दी है। एक तरफ जहां पांच अप्रैल के बाद मंडपों में शादी नहीं हुई। वहीं मंडपों से जुड़े कर्मचारी भूखे मरने की कगार पर आ गए हैं। मंडप मालिकों ने भारी नुकसान बताते हुए कर्मचारियों की सैलरी रोक दी है। अप्रैल और मई माह में मेरठ के 350 मंडपों में 13230 शादी होनी थी।
लेकिन अप्रैल में व मई माह में कोरोनो ने इस तरह कहर बरपाया की शादियां नहीं हुई। वहीं मंडप मालिकों का कहना है कि मंडपों पर बिजली का बिल व व्यवसायिक टैक्स ने कमर तोड़ दी है। इस संबंध में मेरठ मंडप एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजकर टैक्स व बिजली के बिल में छूट की मांग की है।
मेरठ में 350 मंडप रजिस्टर्ड
मेरठ मंडप एसोसिएशन के अनुसार मेरठ महानगर, हाईवे, मुख्य मार्ग और बड़े कस्बों में मिलाकर 350 मंडप रजिस्टर्ड हैं। मंडपों में एक दिन में 2-2 शादी भी होती है। शादी के लिए मंडपों को 3 माह से लेकर एक साल पहले तक भी बुक कराया जाता है। मंडप एसोसिएशन के महामंत्री विपल सिंघल का कहना है कि 3 अप्रैल 2021 से लेकर 31 मई 2021 तक मेर ठ के 350 मंडपों में 13230 शादियां होनी थी। लेकिन कोरोना के चलते मंडप में दो माह में कोई भी शादी नहीं हो सकी है।
कर्मचारियों के सामने खड़ा हुआ आर्थिक संकट
शासन ने वैवाहिक कार्यक्रम के लिए मंडप, रेस्टोरेंट व होटलों में 25 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी है। लेकिन 25 सदस्यों जिनमें दुल्हन व दूल्हे पक्ष के लोग सहमत नहीं हैं और जिन्होंने शादी के लिए मंडप बुक कराए हैं, उन्होंने कोविड प्रोटोकाल की गाइडलाइन को देखते हुए मुंह मोड़ लिया है। ऐसे में मंडप मालिकों के साथ कर्मचारियों के सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है।
13 करोड़ रुपए से अधिक का करंट लगा
मंडप एसोसिएशन के महामंत्री विपुल सिंघल का कहना है कि दो माह में 13230 शादियां मंडपों में होनी थी। इन शादियों के नहीं होने से एक मंडप को एक शादी नहीं होने से एक लाख रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। यदि 13230 शादियों को लेकर बात करतें तो यह नुकसान 13 करोड़ 2 लाख और 30 हजार रुपए का बैठ रहा है। मंडपों में मैनेजर, कर्मचारियों, जनरेटर,देखरेख को लेकर एक माह में एक लाख तक तक भी नुकसान हो रहा है।
मंडप एसोसिएशन का कहना है शादी का जो साया होता है वह नवंबर में देवउत्थान एकादशी से शुरू होता है। आधे या लास्ट नवंबर से साया शुरू होकर दिसंबर, जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल व मई तक ही रहता है। लेकिन अप्रैल और मई माह में शादियां नहीं हुई। जिसके कारण यह नुकसान हुआ है।
टैक्स व बिजली के बिल ने तोड़ी कमर
मंडप मालिकों का कहना है कि एक तरफ मंडप में शादी नहीं हो रही। दूसरी तरफ मंडप का हाऊस टैक्स कामर्शियल मेंआता है। जहां एक मंडप को एक साल का तीन – तीन लाख रुपया टैक्स जमा करना पड़ता है। जबकि सालाना बिजली का खर्च भी 1.25 लाख तक पहुंच जाता है। मंडप एसोसिएशन सरकार से मांग कर रही है कि हमें टैक्स व बिजली केबिल में छूट दी जाए। मंडपों के मालिकों ने इस पर ऋण भी लिया हुआ है। जिसकी किस्त जमा करने के लिए बैंक का दबाव है।
खबरें और भी हैं…