खाद घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने सीए को किया गिरफ्तार
नई दिल्ली: ईडी ने दिल्ली के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी हवाला के जरिये करीब 40 करोड़ रुपये दुबई से कथित तौर पर भारत भेजे जाने को लेकर की गई है। इस मनी लॉन्ड्रिंग के तार 685 करोड़ रुपये के खाद घोटाले के आरोप में ईडी की हिरासत में चल रहे राजद के राज्यसभा सांसद एडी सिंह से भी जुड़े हुए हैं। ईडी ने बताया कि चार्टर्ड अकाउंटेंट को मंगलवार को विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उसे 10 दिन के लिए ईडी को रिमांड पर सौंपा है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को बताया कि अलंकित समूह के चेयरमैन आलोक कुमार अग्रवाल को सोमवार को गिरफ्तार किया गया था। अग्रवाल ने स्वीकार किया है कि दुबई से आई रकम का एक हिस्सा राजद सांसद एडी सिंह को भी दिया गया था। राज्यसभा सांसद को ईडी ने पिछले महीने खाद घोटाले में कथित भूमिका के लिए सीबीआई की तरफ से दर्ज मुकदमे के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू करते हुए गिरफ्तार किया था।
ईडी के मुताबिक, अग्रवाल का अलंकित समूह इक्विटी ब्रोकिंग व कमोडिटी ब्रोकिंग, डिपॉजटरी पार्टिसिपेंट, जीएसटी सुविधा केंद्र, पैन कार्ड केंद्र और टिन फैसिलेशन सेंटर जैसी सेवाएं उपलब्ध कराता है। उसके समूह का काम भारत से दुबई तक फैला हुआ है। उसके खिलाफ भारत और दुबई में मौजूद अपने समूह की कंपनियों के जरिये जांच के दायरे में शामिल अपराध के पैसे को इधर से उधर भेजने का आरोप है।
ईडी ने कहा, अग्रवाल ने 40 करोड़ रुपये दुबई से भारत भिजवाए थे, जिन्हें पाने वाले सभी लोगों की पहचान की जा रही है। जांच के दौरान सामने आया कि इस मॉड्यूल के जरिये राजद सांसद एडी सिंह ने भी कुछ रकम हासिल की थी। क्या है खाद घोटाला यह मामला इफको और इंडिया पोटाश लिमिटेड (आईपीएल) से जुड़ा है। आरोप है कि 2007 से 2014 के बीच विदेशी सप्लायरों की तरफ से इफको के प्रबंध निदेशक व सीईओ यूएस अवस्थी और इंडियन पोटाश लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पीएस गहलोत के एनआरआई बेटों को 685 करोड़ रुपये की रकम अवैध कमीशन के तौर पर उपलब्ध कराई गई थी।
सीबीआई ने इस संबंध में पिछले महीने भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज किया था। आरोप है कि एडी सिंह इस मामले में शामिल ज्योति ट्रेडिंग कंपनी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष होने के साथ ही राज्यसभा सांसद के तौर पर खाद से जुड़ी स्थायी संसदीय समिति के सदस्य भी थे। इस समिति के सदस्य होने के चलते वह खाद के आयात में शामिल विभिन्न कंपनियों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार कर रहे थे।