पश्चिमी यूपी में लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाए जाने के खिलाफ खाप, बढ़ेगी बीजेपी की चुनौती?
शामली: तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का गढ़ रहे पश्चिमी यूपी प्रदेश में अब मोदी सरकार के एक और फैसले के विरोध में आवाज उठ रही है। शामली में बुधवार को जुटे खापों ने एक तरफ जहां दिल्ली में किसानों से किए गए वादों को पूरा करने की मांग की तो दूसरी तरफ लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 किए जाने का विरोध किया। खापों ने यह रुख ऐसे समय पर अपनाया है जब यूपी में कुछ ही महीनों बाद चुनाव होने जा रहे हैं और मोदी सरकार कृषि कानूनों को वापस लेकर किसानों की नाराजगी दूर करने में जुटी है। बुधवार को खापों की हुई बैठक में बत्तीसा खाप के प्रमुख चौधरी विनय कुमार, बुड़ियांन खाप के प्रमुख सचिन जावला, बेनिवाल खाप के प्रमुख अमित बेनिवाल और दंधू खाप के प्रमुख उपेंद्र चौधरी सहित कई खापों के प्रमुख शामिल हुए। उन्होंने आगे की रणनीति तय करने के लिए आगे भी बैठकें करने का फैसला किया।
केंद्रीय कैबिनेट ने हाल ही में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। खाप पंचायतों ने इस फैसले का विरोध किया। बैठक में बत्तीसा खाप के चौधरी विनय पंवार ने कहा कि वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा लड़कियों की आयु पर लगाए गए अध्यादेश कानून पर पुनर्विचार करना चाहिए। बुड़ियांन खाप के चौधरी सचिन जावला ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा 2022 में होने वाले चुनाव में सभी खाप चौधरियों ने अपना निर्णय किसानों के पक्ष में रखा है। जल्दी अन्य खाप चौधरियों के साथ उक्त विषय को लेकर बैठक भी की जाएगी। बेनीवाल खाप के चौधरी अमित बेनीवाल ने प्रतिवर्ष कम से कम एक बार सर्व समाज में आप संसद का आयोजन का प्रस्ताव रखा।
‘किसानों से किए वादों को पूरा करे सरकार’
कांधला के प्रगति मार्केट में आयोजित खाप चौधरियों की बैठक में किसान आंदोलन में हुए समझौते को केंद्र सरकार से लागू कराए जाने की मांग की गई। खाप चौधरी ने एमएसपी पर गारंटी और किसान आंदोलन में दर्ज मुकदमों को वापस लेने के लिए मांग की है।
गन्ना किसानों का नहीं हो रहा है भुगतान: टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत कैराना में हुई किसान रैली में जाते समय घायल हुए किसानों का हाल जानने गांव भभीसा पहुंचे। उन्होंने कहा कि देश में किसान एकता के चलते केंद्र सरकार को हठधर्मिता छोड़कर किसानों की मांग को मानना पड़ा। राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली में किसानों का आंदोलन भले ही समाप्त हो गया है। लेकिन आज भी किसान कई समस्याओं को लेकर जूझ रहा है। प्रदेश में किसानों का गन्ना भुगतान समय से नहीं किया गया है, जबकि प्रदेश सरकार ने बड़े फ्लेक्स बोर्ड लगाकर गन्ना भुगतान करने का दावा किया है। किसान बिजली पानी की समस्या को लेकर घिरा हुआ है।