वाराणसी

पीएम के संसदीय शहर वाराणसी में कूड़े से बनेगा कोयला

PM मोदी की पहल पर जल्द शुरू होगा देश का यह अनोखा प्लांट, इस प्लांट से करीब 300 टन कोयले का उत्पादन होगा, प्लांट के निमार्ण में 150 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद, पूरी तरह इकोफ्रेंडली होगा प्लांट

-सुरेश गांधी

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक नई पहल की शुरुआत होने जा रही है। जल्द ही शहर में कचरे से कोयला तैयार करने वाला देश का अनोखा प्लांट लगाया जाएगा। इस प्लांट के लिए वाराणसी के रमना में 25 एकड़ जमीन भी आवंटित कर दी गई है। जमीन आवंटन के बाद एनटीपीसी ने इस पर काम करना भी शुरू कर दिया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि पीएम मोदी जल्द ही इस प्लांट का शिलांयास करेंगे। दावा है कि इस प्लांट से तकरीबन 300 टन कोयले का उत्पादन होगा। इस प्लांट को शहर में एनटीपीसी वाराणसी नगर निगम की मदद से चलाएगी।

कोयले की आपूर्ति बढ़ेगी
वाराणसी में कोयला प्लांट के लग जाने से कोयले की आपूर्ति बढ़ेगी। साथ ही शहर से निकलने वाले कूड़े का भी निस्तारण हो सकेगा। इस प्लांट के निमार्ण में लगभग 150 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद जताई जा रही है। साथ ही काशी के बाद इस प्लांट को मध्य प्रदेश के इंदौर और भोपाल में भी लगाया जाएगा। नगर आयुक्त प्रणय सिंह ने बताया कि वाराणसी में लगने वाले इस प्लांट का संचालन एनटीपीसी करेगा और नगर निगम उनको हर रोज कूड़ा और कचड़ा उपलब्ध कराएगी। इसे लेकर नगर निगम और एनटीपीसी के अधिकारियों के बीच समझौता भी हो चुका है। नगर आयुक्त ने बताया कि साल 2022 के अंत यानी दिसंबर महीने से ये प्लांट काम करना भी शुरू कर देगा।

काशी में हर रोज निकलता है 600 टन कचरा
शहर विस्तार के बाद काशी में प्रतिदिन 600 टन कचरा निकलता है। इस प्लांट के शुरू होने के बाद जहां इस कचरे का निस्तारण होगा वहीं कोयला भी मिलेगा। इस प्लांट में एक किग्रा कोयला बनाने में छह रुपए का खर्च आएगा। जबकि बाजार में कोयले की कीमत कई गुना ज्यादा है। इस प्लांट की लागत करीब 150 करोड़ रुपए है। शहर विस्तार के बाद करीब आठ सौ टन कचरा निकासी का अनुमान लगाया जा रहा है। इसलिए प्लांट की क्षमता आठ सौ टन से अधिक कचरा प्रसंस्करण करने की क्षमता होगी। इस प्लांट के संचालन के बाद न केवल शहर में बढ़ रहे कचरे के ढेर से निजात मिलेगी, बल्कि इसका उपयोग भी किया जा सकेगा। बिजली उत्पादन इकाइयों में कोयला संकट से निजात के लिए वाराणसी में होने वाला यह प्रयोग देश को नई दिशा दिखाएगा।

पूरी तरह इकोफ्रेंडली होगा प्लांट
एनटीपीसी के अधिकारियों के मुताबिक, इस प्लांट को चलाने में करीब 600 टन कूड़े की आवश्यकता होगी। जिससे करीब 250 से 300 टन कोयले का उत्पादन होगा। 25 एकड़ में ये प्लांट लगेगा जो पूरी तरीके से इकोफ्रेंडली होगा। इससे आस पास के लोगों को किसी तरह की दुर्गंध या दूसरे दिक्कतों का सामना भी नहीं करना होगा। 20 एकड़ में प्लांट निर्माण होगा तो पांच एकड़ में कोयला निर्माण के दौरान निकले अवशेष को निस्तारित करने के लिए वैज्ञानिक विधि से व्यवस्था की जाएगी। दादरी में हुए अध्ययन के अनुसार 600 टन कचरे से 200 टन कोयला बनेगा। प्लांट निर्माण कार्य आगामी 25 साल को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है।

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