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आम आदमी की रोजमर्रा पर चला महंगाई का बुलडोजर

देश में खुदरा महंगाई दर 16 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। सरकार द्वारा जारी डेटा के मुताबिक मार्च में खुदरा महंगाई दर फरवरी के मुकाबले 15 फीसदी बढ़कर 6.95 फीसदी पर पहुंच गई। जबकि फरवरी में खुदरा महंगाई दर 6.07 फीसदी थी। तमाम प्रयासों के बावजूद सरकार का मंहगाई पर नियंत्रण नहीं है। मतलब साफ है लगातार बढता हुआ तापमान आम लोगों को तो सता ही रहा है, अब मंहगाई भी कहीं पीछे नहीं है। एक के बाद एक मंहगाई के झटके लगते ही जा रहें हैं। महीने के शुरूआत मे रसोई गैस के बढ़ी कीमतों से लोग उबर भी नहीं पाएं थे कि आम आदमी की जरुरत की चीजें भी आसमान छूने लगी। पिछले एक साल की बात करें तो खाने-पीने, कपड़े, पर्सनल केयर के सामान से लेकर एजुकेशन और फ्यूल तक सबकुछ महंगा हो गया। इस महंगाई की मार से आम जनता त्राही-त्राही कर रही है। जायसवाल क्लब के मनोज जायसवाल की मानें तो इस महंगाई का सबसे ज्यादा असर आम जनता पर पड़ा है।

सुरेश गांधी

फिलहाल, देश में महंगाई से आम जनता परेशान है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने के बाद अब आम आदमी को महंगाई के मोर्चे पर तगड़ा झटका लगा है। बढ़ी कीमतों के चलते ही रोजमर्रा की हर चीज़ सातवे आसमान पर पहुंच गयी है। पहले फल के बाद अब सब्जियों के दाम भी आम आदमी के घर का बजट बिगाड़ रहे हैं। एक तरफ बढ़ता पारा और गर्मी लोगों को परेशान कर रही है, तो दुसरी तरफ अब सब्जी के बढ़ते भाव लोगों को सता रहे हैं। हर चीज के दाम रिकार्ड स्तर पर हैं। नींबू ने तो पूरे नवरात्री लोगों का जायका बिगाड़े रखा। अभी भी 250 रुपए किलो बिक रहा है। या यूं कहे डीजल और पेट्रोल के बढ़े दाम ने आम लोगों को रुलाया और मध्यम वर्गीय परिवार के घरों के बजट बिगाड़ने में कोई कसर बाकी नहीं रखा। खाद्य तेलों की महंगाई ने तो कमर ही तोड़ कर रख दी है। जो लोग कल तक चीख-चीख कर दुहाई दे रहे थे, ‘महंगाई चाहे जितनी बढ़ा लो पर देश मत झुकने दो, अब उन्हें भी महंगाई एहसास होने लगा। मार्च में रिटेल इन्फ्लेशन रेट बढ़कर 6.95 फीसदी हो गया, यह पिछले 17 महीने में सबसे ज्यादा है। यानी मार्च में महंगाई ने पिछले 17 महीने का रकिॉर्ड तोड़ दिया है। इससे पहले खुदरा महंगाई दर फरवरी में 6.07 प्रतिशत पर थी। मार्च में रिटेल इन्फ्लेशन में उछाल खाने-पीने का सामान महंगा होने के कारण आया है। मार्च में खुदरा खाद्य महंगाई दर 7.68 प्रतशित रही. इससे पहले फरवरी में यह 5.85 प्रतिशत थी. यह लगातार तीसरा महीना है जब खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है।

बता दें आरबीआई ने इंफ्लेशन रेट के लिए 6 फीसदी की ऊपरी लिमिट तय की हुई है. मार्च में सबसे ज्यादा तेजी खाने के तेल और सब्जियों के भाव में आई है. केंद्रीय बैंक अपनी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर गौर करता है. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण सप्लाई चेन प्रभावति हुई. इस कारण ग्लोबल लेवल पर अनाज उत्पादन, खाद्य तेलों की आपूर्ति और उर्वरक निर्यात पर असर पड़ा है. इस कारण खाने-पीने की चीजों के भाव में तेजी आई है. पाम ऑयल के रेट में इस साल करीब 50 फीसदी की तेजी आई है. इस समय जनता परेशान है कि क्या खाएं जो बजट में आ जाए. टमाटर, मिर्च, लौकी, मूली जैसी आम सब्जियां भी बजट से बाहर हो रही हैं. खासकर हरी सब्जियों के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं. भिंडी के दाम जहां ₹80 किलो तक पहुंच चुके हैं. वहीं टमाटर के दाम भी डेढ़ गुने होकर ₹40 प्रति किलो हो गए हैं. हालांकि नींबू के दाम में आंशिक कमी आई है और तकरीबन 220 से ₹250 किलो में नींबू अब मिल रहे हैं, लेकिन लौकी, भिंडी हरिमिर्च के दामों में बढ़ोतरी लगातार जारी है. बता दें, मध्यम वर्गीय परिवार एक तरह से अपनी चरमराई हुई अर्थव्यवस्था को लेकर खासे परेशान नजर आने लगे लगे हैं। हालात यह है कि अब मध्यम वर्गीय परिवार के लिए न तो कोई उत्साह रह गया है न ही कोई उमंग। खासकर पिछले एक महीने से डीजल और पेट्रोल के बढ़े दाम ने आम लोगों को रुलाया और मध्यम वर्गीय परिवार के घरों के बजट बिगाड़ने में कोई कसर बाकी नहीं रखा। यह अलग बात है कि लोग अपने बजट के अनुसार खरीदारी कर रहे हैं, वहीं दाल सहित सब्जियों के दाम बढ़ने से गरीबों को अब रोटी-दाल का इंतजाम करना भी मंहगा पड़ रहा है। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष दाल, तेल, घी, चीनी, आटा सहित सब्जियों के दाम सातवें आसमान पर पहुंच गए हैं। खाद्य सामग्रियों पर बेतहाशा बढ़ रही मंहगाई से गृहणियों को रसोई चलाना अब भारी पड़ने लगने लगा है।

सब्जियों के आज के भाव
नींबू- 220 से 250 रुपये किलो
आलू- 20-25 रुपए किलो
प्याज-15-20 रुपए
टमाटर-30-40 रुपए
लौकी-30 -40रुपए
भिंडी- 60-80रुपए
गोभी- 60 रुपए
करेला- 70 रुपये
परवल- 60-80रुपये

मैगी और चाय-कॉफी भी हो चुकी है महंगी
पिछले 20 दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 10 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ चुकी हैं. इसके अलावा सभी दूध कंपनियों ने भी मिल्क और मिल्क प्रोडक्टस के रेट्स में इजाफा किया है. इसके अलावा हाल ही में नेस्ले कंपनी ने भी मैगी के रेट्स में इजाफा किया है और चाय-कॉफी समेत कई प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ गई हैं, जिसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ रहा है. पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने की वजह से माल-भाड़ा बढ़ रहा है और प्रोडक्ट्स की कीमतों में इजाफा हो रहा है. फूड बास्केट में बढ़ोतरी वजह से खाने के तेल के दामों में बढ़ोतरी है जो 18.79 फीसदी रहा है. साग-सब्जियों की कीमतों में 11.64 फीसदी की बढ़ोतरी आई है तो मीट और मछली के दामों में 9.63 फीसदी की उछाल आई है.

कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स – 7.68 फीसदी
कितनी रही महंगाई – 6.95 फीसदी
प्रोडक्ट्स – महंगाई दर (फीसदी)
ऑयल और फैट्स – 18.79
सब्जियां – 11.64
फुटवियर – 11.29
मीट और फिश – 9.63
कपड़े – 9.06
पर्सनल केयर – 8.71
मसाले – 8.50
ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन – 8.00
हाउसहोल्ड गुड्स और सर्विसेज – 7.67
फ्यूल और लाइट – 7.52
मनोरंज – 7.01
हेल्थ – 6.99
स्नैक्स और स्वीट्स – 6.60
नॉन एल्कोहॉलिक डिं्रक्स – 5.62
शुगर और कंफैक्शनरी – 5.51
अनाज – 4.93
मिल्क और मिल्क प्रोडक्ट – 4.71
एजुकेशन – 3.56
हाउसिंग – 3.38
पान-तंबाकू – 2.98
दालें – 2.57
फल – 2.54
अंडे – 2.44
अन्य – 7.02

बढ़ते तापमान से दूध के दाम में इजाफा
बढ़ते तापमान का असर दूध उत्पादन पर भी पड़ा है। प्रतिदिन दो से तीन हजार लीटर दूध का उत्पादन कम हो रहा है। हालांकि, इसका असर किसी उत्पाद पर अभी नहीं पड़ा है। जबकि किसानों की आय प्रभावित हुई है। दूध की कीमतों में उछाल से भी आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है. पिछले महीने से अमूल व मदर डेयरी दूध 2 रुपये प्रति लीटर तक महंगे हो चुके हैं. जबकि सट्टी में 60 से 70 रुपये लीटर बिक रहा है।

रसोई गैस ने बिगाड़ा किचेन का बजट
पूरा देश महंगाई की दोहरी मार झेल रहा है. डीजल पेट्रोल के दाम में आग लगी है, तो रसोई गैस के दाम भी आसमान छू रहे हैं. यानी पूरे देश में महंगाई को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. महंगाई का आलम यह है कि देश में दुनिया का सबसे महंगा घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर बिक रहा है. घरेलू बाजार में करेंसी की परचेजिंग पावर पैरिटी की बात करें, तो अभी भारत में प्रति लीटर एलपीजी की कीमत दुनिया में सबसे ज्यादा है. भारत में परचेजिंग पावर पैरिटी के हिसाब से बात करें तो एलपीजी 3.5 डॉलर प्रति किग्रा के भाव से बिक रहा है। या यूं कहे घरेलू गैस इन दिनों 1017 रुपये में बिक रहा है।

नींबू-मिर्ची पर महंगाई की नजर
दुनियाभर में कच्चे तेल के बढ़ते दामों और लगातार बिगड़ते मौसम का असर लोगों की जेब पर पड़ना शुरू हो चुका है। आलम यह है कि जरूरत के सामानों के दाम आसमान छूने लगे हैं। फिर चाहे वह आयात की जाने वाली चीजें हों या घरेलू उत्पादन वाली। कुछ ऐसा ही हाल खाद्य पदार्थों का भी हो रहा है। नींबू, मिर्च से लेकर हरी सब्जी तक बीते दिनों में सब कुछ महंगा हुआ है। आलम तो यह है कि नींबू इस वक्त सेब और अनार जैसे फलों से भी मंहगा हो गया है। मौजूदा समय में नींबू की कीमतें 400 रुपये तक पहुंच गई हैं। इसके अलावा कई सब्जियां लेने के बाद मुफ्त मिलने वाली मिर्च-धनिया के दाम भी 100-200 रुपये प्रति किलो के दायरे में पहुंच गए हैं। बाजार में इन दिनों नींबू की कीमतें आसमान छू रही हैं. थोक बाजार में भी नींबू 150 रुपए किलो तक बिक रहा है. थोक बाजार से आम लोगों तक पहुंचते-पहुंचते नींबू की कीमत 300 से 350 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है. इससे आम आदमी हर तरफ से घिरा हुआ महसूस कर रहा है. सामानों की ये महंगाई कार, घर, सीमेंट तक सीमित नहीं है. आम आदमी को सब्जी से लेकर ईंधन तक की महंगाई से दो-चार होना पड़ रहा है. गर्मियों के मौसम में नींबू के दाम आसमान छू रहे हैं. इसकी कीमत 300-400 रुपये प्रति किग्रा तक पहुंच चुकी है.

जीरा, धनिया, मिर्च भी महंगी
हाल के समय मेंजीरा, धनिया और मिर्ची तक के रेट में 40-60 फीसदी तक का उछाल देखने को मिला है. वहीं, ठमंदे का भाव 120 रुपये प्रति किग्रा तक पहुंच गया है. फूल गोभी का भाव अब 80 रुपये प्रति किग्रा पर पहुंच गया है जो कुछ दिन पहले तक 40 रुपये प्रति किलोग्राम के रेट पर बिक रहा था.

इन सब्जियों के भी रेट चढ़े
रिटेल मार्केट में तोरई का भाव 100 रुपये प्रति किग्रा, भिंडी की कीमत 100 रुपये प्रति किग्रा, करेला का दाम 100 रुपये प्रति किग्रा, मिर्च की सब्जी 70 रुपये प्रति किग्रा तक पहुंच गई है. हालांकि, आलू और प्याज की कीमत अभी कंट्रोल में है, जिससे आम लोग थोड़े रिलीफ में हैं.

ईंधन की कीमतें बढ़ीं
पिछले कुछ दिनों में इन वस्तुओं की कीमतों में इजाफा लागत बढने की वजह से हुआ है. 18 दिन में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 10-10 रुपये तक की वृद्धि देखने को मिली है. इसके अलावा सीएनजी की कीमतों में काफी अधिक वृद्धि हुई है. इससे माल ढुलाई महंगी हुई है.

नींबू की पैदावार में कमी
देश के चार से पांच राज्यों में मुख्य तौर पर नीबू की पैदावार होती है जिनमें गुजरात अहम है. गुजरात में नींबू की फसल काफी अच्छी हुआ करती थी लेकिन पिछले साल पहले गुजरात और महाराष्ट्र में तौकते नाम का चक्रवाती तूफान आया था जिसकी वजह से नींबू की फसल को काफी नुकसान हुआ था काफी पेड़ टूट गए थे. जिसकी वजह से गुजरात और महाराष्ट्र से नींबू बाजार में ना के बराबर आ रहा है. अब नींबू सिर्फ और सिर्फ आंध्र प्रदेश से ही बाजार में आ रहा है जिसकी वजह से नींबू इतना महंगा हो गया है. साथ ही साथ पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों का भी असर है लेकिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों का उतना असर नहीं है जितना गुजरात से नींबू का बाजार में ना आ पाना है. खुदरा विक्रेता सोमनाथ पांडेय बताते हैं कि माल की शॉर्टेज है जिसकी वजह से नींबू महंगा होता जा रहा है. हम लोगों से छोटे दुकानदार नींबू खरीदते हैं हम उन्हें 280 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं वो आगे जाकर अपने हिसाब से लोगों को बेचते होंगे. ग्राहक बहुत कम आ रहे हैं जिसे 2 किलो की जरूरत है वो 1 किलो ही ले जा रहा है काम धंधा चौपट है.

दाम बढ़ने की वजह
सब्जी मंडियों में बीते 5 दिन में नींबू की कीमतें 80 रुपये प्रति किलो तक बढ़ी हैं। नींबू कारोबारियों के मुताबिक, नींबू के दाम बढ़ने की वजह पिछले साल गुजरात में आया तूफान है। तूफान की वजह से नींबू के फूल झड़ गए। साथ ही नींबू की झाड़ियों को भी नुकसान पहुंचा। इसके अलावा दो और राज्य तेलंगाना-आंध्र प्रदेश भी नींबू की पैदावार में बड़ा स्थान रखते हैं। वहां भी चक्रवाती तूफानों की वजह से बारिश का ऐसा असर रहा कि नींबू की फसल नष्ट होती चली गई। नींबू के पेड़ों को बड़ा नुकसान पहुंचा। इसके अलावा दो साल से कोरोना काल में नींबू की सही कीमत न मिलने के कारण किसानों ने इस बार नींबू की पैदावार में कोई खास दिलचस्पी भी नहीं दिखाई। इसका नतीजा यह हुआ कि इस बार बाजार में नींबू की आवक काफी कम है। इस समय बीजापुर, गुंटूर, हैदराबाद, विजयवाड़ा से रोजाना 25 से 30 गाड़ियां ही नींबू निकलती हैं। पिछले साल इस समय रोजाना 100 से 150 गाड़ियां निकलती थीं।

भारत में पेट्रोल-डीजल के लगातार बढ़ते दामों का असर सब्जियों के ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट पर भी पड़ा है। फिलहाल ढुलाई की कीमतों में करीब 15 फीसदी तक के इजाफे की बात कही जा रही है। इसका असर न सिर्फ नींबू के दामों में देखा जा रहा है, बल्कि कई और मौसमी सब्जियां भी लगातार महंगी हो रही हैं। इसके अलावा भारत में रमजान और कुछ अन्य त्योहारों की वजह से नींबू की डिमांड में भी बढ़ोतरी हुई है। कम आवक और नींबू खरीद के लिए मची इस मारामारी ने नींबू का दाम बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दूसरी तरफ गर्मी का सीजन आते ही सॉफ्ट डिं्रक से जुड़े उद्योगों ने नींबू उत्पादकों को बड़े ऑर्डर देना शुरू कर दिया है, ताकि लेमन डिं्रक्स बनाने में नींबूओं का इस्तेमाल किया जा सके। सप्लाई और डिमांड के इस अंतर ने भी नींबू की कीमतों में जबरदस्त इजाफा किया है।

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