वाराणसी

अकीदत के साथ अदा की गई नमाज, सजदे में झुके सिर

अमन और शांति की मांगी दुआ, मस्जिदों व ईदगाहों में उमड़ी भीड़, गले लगाकर दी एक-दूसरे को बधाई, फेसबुक, वाट्सप पर दी अपनों को मुबारकबाद

सुरेश गांधी

वाराणसी : शहर से लेकर देहात तक में मंगलवार को ईद उल फितर का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मस्जिद हो ईदगाह नमाजियों अटा पड़ा था। नमाज के बाद बंदों ने मुल्क की सलामती के साथ ही भाईचारा और अमन चैन की दुआ की। लोगों ने एक दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद दी। खास यह रहा कि कोरोना के चलते दो साल बाद ईदगाह पर हुई ईद की नमाज में शामिल होने को लेकर लोगों में उत्साह नजर आया। नमाज के बाद लोगों ने एक-दूसरे के घर जाकर ईद की मुबारकबाद दी। इस दौरान घरों में मीठी खीर और अन्य मिठाई एक-दूसरे को खिलाकर ईद मनाई गई। ईद पर पुलिस और प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। वाराणसी समेत पूर्वांचल के जिलों में स्थित तमाम मस्जिदों से लेकर ईदगाहों और घरों तक ईद की खुशियों का अलग ही नूरानी रंग देखने को मिली।

उधर चांद रात को बाजारों में ईद की रौनक अपने पूरे शबाब पर रही। मीठी सेवइयां, लजीज पकवान घरों में देर रात तक बनते रहे और ईद को पूरे उल्लास के साथ मनाने की तैयारियां होती रहीं। हर तरफ एक-दूसरे को बधाइयां देते लोग और खुशियां मनाते बच्चों का झुंड देखा गया। बता दें, रमजान में महीने भर तक इबादत के बाद मंगलवार को ईद का मुबारक मौका आया तो खुशियों की चमक से कोना-कोना खिल उठा। सभी मस्जिदों-ईदगाहों में ईद की नमाज अदा की गई। खुशनुमा माहौल में सुबह से ही नमाजी पहुंचने शुरू गए। लकदक लिबास में बड़ों के साथ बच्चों की टोलियां भी नमाज अदा करने पहुंचीं।

वाराणसी में काशी विद्यापीठ ईदगाह, नई सड़क, नदेसर, चौक, लाटसरैया, मदनपुरा, रेवड़ी तालाब, शक्कर तालाब, बादशाह बाग आदि स्थानों पर सुबह सात बजे से नमाज अदा करने का दौर शुरू हो गया। पूरे दिन लोग अपने रिश्तेदारों और परिजनों को फोन, फेसबुक, वाट्सप और ट्विटर पर पर ईद मुबारक कहा। वहीं, घर के छोटे बच्चों को ईदी दी गई। कुछ ही माहौल पूर्वांचल के भदोही, मिर्जापुर, जौनपुर, मउ, आजमगढ़, गाजीपुर, बलिया व सोनभद्र मे भी रहा। ईद के इस पर्व पर एक दिन पहले से ही घरों में शीर-खुरमा, सेवइयों और मिठाइयों की महक बिखरने लगी थी। हाफिज ने कहा ईद का मतलब है दूसरों में खुशियां बांटना। दूसरों की मदद करना ईद का सबसे बड़ा मकसद है। तभी तो रमजान में जकात, फितरा, सदका निकालने का हुक्म है, ताकि कोई गरीब, मिसकीन, यतीम, बेवा, फकीर नए कपड़ों व ईद की खुशी से महरूम न रह जाए।

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