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श्राद्ध 2022 : इन वस्तुओं के दान से मिलता है पितरों का आशीर्वाद

नई दिल्ली : बीती 10 सितम्बर शुरू हुए 16 दिन चलने वाले पितृपक्ष अर्थात् श्राद्ध का 4था दिन है। हिंदू धर्म में पितृपक्ष का बहुत महत्व है। इस पक्ष में अपने पूर्वजों के निमित श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। पितृ पक्ष के 16 दिनों में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म कर पितरों को प्रसन्न किया जाता है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पुराणों में भी पितृ पक्ष के दौरान दान पुण्य को महत्वपूर्ण बताया गया है। पितर इस दौरान यमलोक से धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर जाते हैं। पूर्वज प्रसन्न होने से परिवार में प्रसन्नता के साथ आर्थिक समृद्धि भी आती है। शास्त्रों में ऐसी बहुत सी वस्तुओं के दान के बारे में बताया गया है, जिन्हें श्राद्ध पक्ष में दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

चांदी या स्वर्ण का दान
स्वर्ण दान करने से सूर्य एवं गुरु संबंधी बाधा के अलावा रोगों से मुक्ति मिलती है, वहीं चांदी दान करने से चंद्र ग्रह संबंधी बाधा दूर होती है और परिवार में शांति, सुख एवं एकता बनी रहती है। स्वर्ण के अभाव में पीतल या दक्षिणा दे सकते हैं और चांदी के अभाव में कोई सफेद वस्तु दान कर सकते हैं।

भूमि का दान
शास्त्रों में भूमि का दान सबसे बड़ा दान होता है। इस दान से अनजाने में हुए पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। भूमि के दान से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। इससे मान-सम्मान व संपत्ति में बढ़ोतरी होती है।

जूते/चप्पलों का दान
पितृ पक्ष में पूर्वजों की संतुष्टि के लिए गरीबों को जूते या चप्पलों का दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और घर में सुख शांति और खुशहाली बनी रहती है। ऐसा करने से शनि और राहु के दोष भी समाप्त होते हैं।

घी का दान
ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान यदि गाय का घी किसी साफ बर्तन सहित दान में दिया जाता है तो उससे पारिवारिक संकट दूर होते हैं और पितरों का आशीष मिलता है। ज्योतिष के अनुसार इस दौरान मुख्य रूप से घी का दान करने की सलाह दी जाती है।

छाता दान
श्राद्ध-कर्म में और मनुष्य की मृत्यु के बाद एकादशाह श्राद्ध और शय्यादान या पितृपक्ष में छाता दान करने की प्रथा है। मान्यता है कि यममार्ग में पितरों की छाते से ग्रीष्म के ताप और वर्षा से रक्षा होती है। यह भी कहा जाता है कि इससे पितरों की छत्र-छाया बनी रहती है।

काले तिल का दान
ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान जो व्यक्ति काले तिलों का दान करता है उसे सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। काले तिलों का दान करने से व्यक्ति को ग्रह और नक्षत्र से होने वाली कोई भी बाधा से मुक्ति तो मिलती है और साथ ही दान पुण्य सभी संकटों को भी दूर करते हैं।

अन्न का दान
पितृ पक्ष के दौरान किसी भी जरूरतमंद को अन्न का दान करना सबसे अच्छा माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे वंश में वृद्धि होती है और जीवन में किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं आती है।

नमक का दान
श्राद्ध पक्ष के दौरान नमक दान करने से किसी भी नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है और यदि पितरों पर कोई कर्ज था तो उन्हें उससे भी मुक्ति मिलती है। इस दौरान नमक का दान करने से पितरों का पूर्ण आशीर्वाद मिलता है।

गुड़ का दान
श्राद्ध के दौरान पितरों को यदि गुड़ का दान किया जाता है तो इससे घर में सुख शांति का वातावरण बना रहता है। गुड़ का दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

वस्त्रों का दान
ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में आप जिन्हें भी भोजन कराएं, चाहे वो गरीब हों या ब्राह्मण, उन्हें भोजन के साथ वस्त्रों का दान जरूर करें। यदि आप ब्राह्मण को दान दे रहे हैं तो उन्हें वस्त्र के रूप में धोती, टोपी या गमछा दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पितर अपने वंशजों से ब्राह्मणों के रूप में वस्त्रों की कामना करते हैं।

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