बिहार में राष्ट्रपति शासन को लेकर अपने हक में फैसला लाने का दबाव था
नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज ने यूपीए-1 सरकार की पोल खोल दी है। हंसराज भारद्वाज ने मनमोहन सरकार के बारे में चौंकाने वाला खुलासा किया है।
हंसराज भारद्वाज ने कहा है कि साल 2005 में उन पर दवाब बनाया गया था कि यदि वह बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने के प्रयासों में असफल रहते हैं तो वह अपना पद छोड़ दें। उन्होंने यह भी कहा है कि बिहार में राष्ट्रपति शासन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अपने हक में लाने का उन पर सरकार की ओर से काफी दवाब था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से सरकार के पक्ष में फैसला करवाने का दबाव था। गौर हो कि मई, 2005 में मनमोहन सरकार ने बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाया था और यूपीए सरकार सुप्रीम कोर्ट से अपने पक्ष में फैसला चाहती थी।
उन्होंने कहा कि मुझसे कहा गया था कि यदि फैसला हक में नहीं ला पाए तो पद को छोड़ दो। हंसराज ने यह भी कहा कि जब फैसले को चुनौती दी गई तो मैं मुश्किल में आ गया। उन्होंने दावा किया कि जब वे उस समय के चीफ जस्टिस रहे वाईके सभरवाल से मिले तो काफी मुश्किल में पड़ गया।
भारद्वाज के इस खुलासे के बाद सियासी गलियारों में सरगर्मी बढ़ गई है। गौर हो कि साल 2005 में बिहार में बीजेपी और जेडीयू सत्ता में ना आए, इसके लिए राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में तब के चीफ जस्टिस सभरवाल से मुलाकात की थी। भारद्वाज के मुलाकात के बावजूद फैसला सरकार के पक्ष में नहीं आया था। शीर्ष कोर्ट की बेंच राष्ट्रपति शासन के फैसले को धारा 356 का दुरुपयोग करार देते हुए बिहार के तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह की रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया था। पूर्व कानून मंत्री ने यह भी कहा कि जब वे चीफ जस्टिस से मिले तो मैं यह बात कहने की हिम्मत नहीं जुटा सका।
उधर, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मैं इस पर टिप्पणी नहीं करूंगा। हमने इसका समथन नहीं किया है और न ही पुष्टि की है। वहीं, बीजेपी नेता नलिन कोहली ने कहा कि ये गंभीर विषय है। पूर्व कानून मंत्री के खुलासे से यह स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए सरकार ने बिहार में राष्ट्रपति शासन जबरदस्ती लगाया गया था। हंसराज जी ने सही कहा है और अब कांग्रेस को इस मामले की सत्यता और तथ्य को आगे लाना चाहिए। कांग्रेस ने जबरदस्ती इस फैसले को थोपा था।