मोदी के सपने को साकार करता उन्नत भारत अभियान
मुकेश शुक्ला
लखनऊ: प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्रामीण जीवन को बदलने में उन्नत भारत अभियान के प्रदर्शन पर चर्चा आज वक्त की मांग है। चाहे डीजल इंजनों के लिए बायोगैस रूपांतरण किट का विकास हो या फिर बायोमेथेन और बायोएथेनॉल उत्पादन के माध्यम से धान के भूसे का जैव-ऊर्जा उत्पादन में उपयोग या हाल ही में एनआईटी मणिपुर द्वारा संशोधित जैव-रेत जल उपचार संयंत्र, दैनिक जीवन में उपयोगी ये सार्थक कदम इसी अभियान का हिस्सा हैं। उच्च शिक्षण संस्थानों की मदद से ग्रामीण भारत के इस परिवर्तन को वर्ष 2014 में आईआईटी दिल्ली से शुरू किया गया था और आज ,3600 से ज्यादा इंस्टीट्यूट और लगभग 18000 गाँव इससे जुड़े हैं। इस योजना के अंतर्गत कम से कम 5 गांवों का समूह तैयार करके उन गांवों को उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ जोड़ाजाता है जिससे उन गांवों की तकनीकी तथा सामाजिक रूप से मदद की जा सकती है। अनुभवों की इन्हीं सफलताओ ने उन्नत भारत अभियान के दूसरे संस्करण को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है। आजादी के इतने वर्षों तक हमारी तकनीकि कुशलता, वैज्ञानिक प्रगति और सामाजिक चेतना का लाभ प्रत्यक्ष रूप से ग्रामीण भारत के लिए नदारद था । अंत्योदय की अवधारणा को समेटे हुए वर्तमान सरकार के कदम इसी ग्रामीण भारत के भी विकास की नई इबारत लिख रहे हैं उसमें दो राय नहीं हो सकती।
आई आईटी दिल्ली में प्रो वीरेन्द्र कुमार विजय और उनके सहयोगियों की इस परिकल्पना को वर्ष 2014 में तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने अपनाया। वर्तमान में शिक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित उन्नत भारत अभियान गांवों और शैक्षणिक संस्थानों को एक साथ लाने और उन्हें एक साथ विकसित करने की प्रतिबद्धता सामने रखता है । तकनीकी और गैर-तकनीकी संस्थानों को भारत में गांवों की समस्याओं के विकास के लिए काम करने और स्थायी समाधान निकालने के लिए इसे लाया गया है । यह अभियान विद्यार्थियों को विज्ञान तथा समाज के व्यवहारिक पक्षों से साक्षात्कार करवाता है । सामान्यत : तकनीकी अनुप्रयोगों में वंचित समुदायों की सामाजिक आकांक्षाओं को उचित महत्व नहीं दिया जाता है परंतु विश्वविद्यालयों, विकासात्मक संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और ग्रामीण समुदायों के साझे प्रयासों से सफलता को प्राप्त करता उन्नत भारत अभियान वंचित समुदायों की आकांक्षाओं पर भी केंद्रित है। इस प्रकार नई प्रौद्योगिकी की पहचान कर ,उनका चयन और लोगों की आवश्यकता अनुसार उसमें बदलाव को प्रोत्साहित करना भी उन्नत भारत अभियान का प्रमुख घटक है ।
उन्नत भारत अभियान के वर्तमान दूसरे चरण के अंतर्गत एक शैक्षणिक संस्थान को उनके तकनीकी, प्रबंधन और सामाजिक उत्थान में योगदान देने के लिए कम से कम 5 ग्रामीण गांवों से जोड़ा जाता है। जहां इससे एक तरफ छात्रों को अपने ज्ञान का उपयोग करने के लिए व्यावहारिक अनुभव मिलता है जो उनके विकास के लिए एक शानदार अवसर है वहीं दूसरी तरफ छात्रों और शिक्षकों के सहयोग से भारत की चुनौतियों को हल करने की दिशा में यह एक सराहनीय पहल है । उन्नत भारत अभियान के माध्यम से भारत की ग्रामीण और शहरी समस्याओं जैसे सीवेज निपटान, अपशिष्ट और जल प्रबंधन, ऊर्जा स्रोत, जैविक खेती, बुनियादी सुविधाओं के प्रावधान को केंद्र में रखते हुए हम उसे हल करने में कामयाब रहे हैं।
उन्नत भारत अभियान के दूसरे स्तर के कार्यक्रम का सक्रिय क्रियान्वयन वर्तमान भारत में चल रहा है । इसी के तहत उन्नत भारत अभियान 2.0 में 5 गांवों को गोद लेने की बात कही गई है । शिक्षा मंत्रालय द्वारा नवंबर 2014 में , भारत के गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प से शुरू यह अभियान प्रोफ़ेसर वीरेंद्र कुमार विजय के नेतृत्व में किफायती दरों में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करने की दिशा में भी कार्य कर रहा है । क्या बायोगैस ( मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड)के उपयोगों से ग्रामीण भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सकता है , क्या गांव की जरूरतों के अनुसार नीतियों का निर्धारण किया जा सकता है आदि सवालों के जवाब उन्नत भारत अभियान की सार्थकता हमें प्रदान करती है ।
शिक्षा और समाज के अंतर्संबंधों को वर्तमान शिक्षा व्यवस्था व्याख्यायित नहीं करती और यही कारण है कि सामाजिक उत्थान रूपी शिक्षा के मुख्य उद्देश्य से हम विलग होकर भटकते रहते हैं। नई शिक्षा नीति और उन्नत भारत अभियान के आलोक में सामाजिक उत्थान का प्रवेश द्वार भी खुलेगा । शिक्षा के सामाजिक उत्तरदायित्व को समझते हुए, भारत नव निर्माण के लिए यह अत्यंत आवश्यक कदम है जहां शिक्षालय सामाजिक, तकनीकी एवं प्रबंध समस्याओं और विशेषकर ग्रामीण भारत की समस्याओं का विश्लेषण और समाधान अपर मिलकर कार्य करेंगे। उन्नत भारत अभियान, ज्ञान संस्थाओं को कार्यकारी बनाकर ग्रामीण विकास की प्रक्रिया में एक नया बदलाव लाने की सोच रखता है, जिससे समग्र रूप से उन्नत राष्ट्र की लक्ष्य प्राप्ति हेतु ग्रामीण विकास प्रगति का ढांचा तैयार हो सके, जिसमें उच्च शिक्षा के विद्यार्थी एवं प्राध्यापक अपने महाविद्यालय/ विश्वविद्यालय के आसपास के गावों के लिए अध्ययन के दौरान काम करते हैं।
आईआईटी के अलावा आईआईएम, आईआईएसईआर, आईआईएससी, एम्स, भारतीय चिकित्सा संस्थानों, विश्वविद्यालय के साथ उन्नत भारत अभियान में अभी तक 3480 उच्च शिक्षा संस्थान शामिल हुए हैं जो की लगभग 17500 गांवों में काम कर रहे हैं । स्थानीय समुदायों की मदद से शुरू की गई परियोजनाएं, जैसे पेयजल के लिए आईओटी आधारित स्वचालित टैंक क्लीनर , ऑनलाइन हेल्थकेयर ऐप, वर्षा जल संचयन, सीवेज शोधन संयंत्र, कुछ ऐसे उदाहरण हैं जहां उन्नत भारत अभियान के क्रियाकलापों से गांव और स्थानीय समुदायों के जीवन की गुणवत्ता में सकारात्मक परिवर्तन आया है ।
उन्नत भारत अभियान की अवधारणा के आधारस्तम्भ श्री वीरेन्द्र कुमार विजय जी जिनके बायोगैस शुद्धिकरण और वैकल्पिक ईधनों जैसे जटिल विषयों की विशेषज्ञता ने भारत में लाखों लोगों को बायो सीएनजी तकनीक से जुड़कर उद्योगों के लिए उत्पाद निर्माण करने को प्रेरित किया है , उनके ही नेतृत्व में उन्नत भारत अभियान अभियान ने जमीनी परिवर्तन की दिशा में सकारात्मक पहल की है । गौ -आधारित आर्थिक तंत्र की दिशा में भी इनके द्वारा किए जा रहे प्रयास भारत की ग्रामीण स्थितियों के परिवर्तन में सहायक सिद्ध होंगे । ग्राम ऊर्जा -स्वराज के सपने को पूरा करने के लिए यह अत्यंतावश्यक है कि राज्य सरकारों का भी सहयोग इस अभियान को प्राप्त हो जिस दिशा में अभी काफी कुछ किया जाना शेष है।
वस्तुत उन्नत भारत अभियान के सफलता परिणामों को पूरे भारत में विस्तारित किया जा सकता है और अंततः ग्रामीण भारतीय विकास और सरकार की समस्या का समाधान किया जा सकता है। जैविक खेती,जल प्रबंधन,नवीकरणीय ऊर्जा , हस्तशिल्प और आजीविका के साधन एवं आधारभूत आवश्यकताओं को समृद्ध करने के नजरिए से उन्नत भारत अभियान एक क्रांतिकारी अभियान साबित हो सकता है यदि राज्य सरकारें भी जिजीविषा के साथ, पंचायती प्रणाली को इस अभियान से संबद्ध कर सशक्त करेंगी । उन्नत भारत अभियान से ग्रामीण क्षेत्र अपनी दैनिक जीवन की समस्याओं के तकनीकी समाधान के साथ टिकाऊ, पर्यावरण के अनुकूल और आत्मनिर्भरता की तरफ आगे बढ़ सकते हैं ।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)