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न्यूक्लियर हथियारों का निर्माण, अमेरिका के लिए खतरा; बड़ा करने की फिराक में चीन

नई दिल्ली : चीन तेजी से अपने परमाणु हथियारों के शस्त्रागार का विस्तार कर रहा है. मई 2023 तक, चीन के पास पहले से ही 500 से अधिक एक्टिव परमाणु हथियार थे, और 2030 तक 1,000 से अधिक होने का अनुमान है. अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसी पेंटागन ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें दावा किया गया है कि चीन लगातार परमाणु हथियार बढ़ाने पर जोर दे रहा है. चीन का परमाणु शस्त्रागार अभी भी अमेरिका और रूस से काफी पीछे है. अमेरिका के पास वर्तमान में लगभग 1,410 परमाणु हथियार हैं, जबकि रूस के पास 1,550 हैं. चीन के तेजी से विस्तार के बावजूद, इन दोनों देशों की परमाणु क्षमताओं की बराबरी करने के लिए उसे अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है.

अपने परमाणु कार्यक्रम के अलावा, चीन अपनी आर्मी मॉर्डनाइजेशन के हिस्से के रूप में नए हथियार विकसित करने और अपने सैन्य प्रशिक्षण को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है. 2049 तक “विश्व स्तरीय” सेना बनाने का चीन का प्लान है. चीन इनके अलावा इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल पर भी काम कर रहा है. इसकी मारक क्षमता इतनी होगी कि चीन अमेरिका, हवाई और अलस्का तक को निशाना बना सकता है.

रिपोर्ट से पता चलता है कि अपनी सेना को आधुनिक बनाने का चीन का संकल्प आंशिक रूप से अमेरिका की चीन के विकास को दबाने, मेनलैंड चीन के साथ ताइवान के एकीकरण को रोकने और वैश्विक आधिपत्य बनाए रखने की चीन की मंशा है. इसके जवाब में चीन ने ताइवान के खिलाफ कूटनीतिक, राजनीतिक और सैन्य दबाव बढ़ा दिया है. चीन ताइवान के आसपास आए दिन फाइटर जेट भेजता है और उकसावे का काम करता है.

चीन ताइवान पर अपना दावा करता है और उसने आईलैंड पर कब्जा करने के लिए सेना के इस्तेमाल से इनकार नहीं किया है. हाल की गतिविधियों में ताइवान के हवाई क्षेत्र में लगातार चीनी जेट्स की घुसपैठ, नौसेना की गतिविधियां और ताइवान के आसपास भारी हथियारों के साथ सैन्य अभ्यास शामिल है.

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